LAC पर पीछे हटने को राजी चीन, 72 घंटे तक स्थिति पर रखी जाएगी नजर!
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच युद्ध के हालात बने हुए हैं और इस टकराव को खत्म करने के लिए मंगलवार को भारत और चीन के बीच कोर कमांडर के बीच एक और दौरा वार्ता हुई। मंगलवार सुबह 11 बजे शुरू हुई वार्ता 14 घंटे तक चली। भारत और चीन के बीच तनाव को खत्म करने के लिए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर यह ऐसी तीसरी मीटिंग थी। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया है कि भारत और चीन दोनों लद्दाख में टुकड़ों में सेनाओं को पीछे करने पर राजी हो गए हैं।
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14 घंटे तक चली चुशुल में मीटिंग
30 जून को चीन के कोर कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने इंडियन आर्मी के लेह स्थित 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह के साथ हुई मीटिंग में एलएसी से पीछे हटने को लेकर विस्तार से चर्चा की। इस बार चुशुल में हुई इस मीटिंग में कोई ठोस नतीजी नहीं निकल सका है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्ष 15 जून जैसी खूनी भिड़ंत फिर ना करने पर सहमत हुए हैं। भारत और चीन में सहमति बनी है कि 72 घंटों तक दोनों पक्ष एक दूसरे पर निगरानी रखेंगे कि जिन बातों पर एक राय बन गई उसे जमीन पर उतारा जा रहा या नहीं। ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया है कि भारत और चीन एलएसी पर तनाव कम करने पर सहमत हो गए हैं। दोनों देशों में चरणबद्ध तरीके से सैनिकों को हटाने पर सहमति बन गई है। चीनी अखबार ने सूत्र के हवाले से कहा कि भारत और चीन स्थिति को शांतिपूर्ण बनाने के लिए प्रभावी उपाय करेंगे। ग्लोबल टाइम्स के इस दावे पर अभी तक कोई मुहर नहीं लगी है।
डिसइंगेजमेंट में लगेगा काफी समय
सूत्रों के मुताबिक चीन 22 जून की बैठक में भी चरणबद्ध तरीके से सरहद से हटने को तैयार हो गया था लेकिन आठ दिन बाद भी हालात में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हालांकि अभी तक न तो भारत और न ही चीन की तरफ से 30 जून को हुई कोर कमांडर वार्ता पर कोई आधिकारिक बयान दिया गया है। भारत में भी इंडियन आर्मी के सूत्रों के हवाले से न्यूज एजेंसी एएनआई ने जानकारी दी है कि मिलिट्री कमांडर स्तर की तीसरी मीटिंग के दौरान एलएसी पर स्थित टकराव वाली जगहों पर डिइसएंगेजमेंट और बॉर्डर इलाकों पर डिएस्कलेशन की प्रक्रिया पर चर्चा हुई। सूत्रों की मानें तो भारत और चीन दोनों ही देशों की तरफ से एक विस्तृत, चरणबद्ध तरीके से डिएस्कलेशन पर जोर दिया गया है।रक्षा सूत्रों ने यह बात मानी है कि मंगलवार को जो मीटिंग थी वह लंबी चली और कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत आयोजित हुई। दोनों पक्षों ने एलएसी पर तनाव को कम करने के लिए विस्तार से चर्चा की। सेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया एक लंबी प्रक्रिया है और इस तरह के परिप्रेक्ष्य में बेहतर होगा कि अपुष्ट जानकारी और रिपोर्ट्स से बचा जाए।