Hindi Diwas: इनसे मिली हैं पूरी दुनिया में हिंदुस्तान की हिंदी को पहचान
बेंगलुरु। हिंदी भाषा ही भारत की एकमात्र भाषा है जो हर सीमाओं को लांघ चुकी हैं। दक्षिण भारत ही नहीं अब विदेशियों ने भी हिंदी भाषा को अपनाया हैं। विदेश में हिंदी की लोकप्रियता में भारतीय संस्कृति और योग के प्रति विदेशियों का आकर्षण भी प्रमुख योगदान रहा हैं। लेकिन हिंदी की लोकप्रियता बढ़ाने में हिंदी फिल्मों को श्रेय सबसे ज्यादा जाता हैं इस बात से नकारा नहीं जा सकता।
हिन्दी फिल्में देश के साथ-साथ विदेशों में भी लोकप्रियता प्राप्त कर चुकी हैं। दशकों से हिंदी फिल्मों ने देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी हिन्दी को प्रामोट किया है।आज देश में मनोरंजन का सर्वाधिक प्रचलित साधन निःसंदेह भारतीय फिल्में हैं। देश के हर कोने में हिन्दी फिल्म देखी-दिखाई जाती है। अतः हम कह सकते हैं कि हिन्दी फिल्मों ने हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में काफी योगदान दिया है। भारत में निर्मित होने वाली 60 प्रतिशत फिल्में हिन्दी भाषा में बनती हैं और वे ही सबसे अधिक चलन में होती हैं, वे ही सर्वाधिक लोकप्रिय हैं, वे ही सर्वाधिक कमाई करती हैं। यहीं कारण है लंबे समय से साउथ डायरेक्टर हिंदी में फिल्में बना रहे हैं।
60 प्रतिशत फिल्में हिन्दी भाषा में बनती हैं
हिन्दी फिल्में देश के साथ-साथ विदेशों में भी लोकप्रियता प्राप्त कर चुकी हैं। दशकों से हिंदी फिल्मों ने देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी हिन्दी को प्रामोट किया है। आज देश में मनोरंजन का सर्वाधिक प्रचलित साधन निःसंदेह भारतीय फिल्में हैं। देश के हर कोने में हिन्दी फिल्म देखी-दिखाई जाती है।
हम कह सकते हैं कि हिन्दी फिल्मों ने हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में काफी योगदान दिया है। भारत में निर्मित होने वाली 60 प्रतिशत फिल्में हिन्दी भाषा में बनती हैं और वे ही सबसे अधिक चलन में होती हैं, वे ही सर्वाधिक लोकप्रिय हैं,वे ही सर्वाधिक कमाई करती हैं। यहीं कारण है लंबे समय से साउथ डायरेक्टर हिंदी में फिल्में बना रहे हैं।
हिंदी शाहो फिल्म खूब चली
हाल ही में रिलीज हुई बॉलीवुड फिल्म शाहो इसका ज्वलंत उदाहरण हैं। साउथ फिल्मों के सुपरस्टार प्रभास की शाहो फिल्म हिंदी समेत कुल चार भाषाओं में रिलीज हुई लेकिन कर्नाटक समेत दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में हिंदी शाहो फिल्म खूब चली।आलम ये था कि दक्षिणभाषी भी अधिक संख्या में हिंदी संस्करण शाहो देखने पहुंचे। साउथ फिल्मों के सुपरस्टार प्रभास की फिल्म साहो वर्ल्डवाइड बेहतरीन बिजनेस ही नहीं कर रही है बल्कि प्रभास के हिंदी में डायलॉग डिलीवरी को भी काफी पसंद किया गया। कुल चार भाषाओं में रिलीज हुई फिल्म साहो का हिंदी संस्करण सबसे अधिक कमाई कर चुकी है और उसके हिंदी संस्करण को नॉर्थ में ही नहीं, साउथ में खूब अच्छा रिस्पांस मिला है। हिंदी संस्करण में रिलीज हुई फिल्म साहो ने महज 6 दिन में 109 करोड़ रुपए की कमाई कर झंडे गाड़ दिए।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक
ऐसा बिलकुल नहीं है कि क्षेत्रीय भाषा की फिल्में चलती ही नहीं हैं। लेकिन कन्नड़ फिल्म कर्नाटक में, तेलुगु फिल्म आंध्र में ही लोकप्रिय होती हैं। इसके विपरीत हिन्दी फिल्म सारे भारत में चलती है। जिस उत्साह से वह उत्तरी भारत में दिखाई जाती है उसी उत्साह से दक्षिण भारत में भी दिखाई जाती है। इसका एक कारण यह भी है कि हिन्दी हमारी संपर्क भाषा है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक हिन्दी लिखने, पढ़ने, बोलने वाले मिल जाएँगे।
पहली बोलती फिल्म 'आलमआरा'
हिन्दी फिल्मों के दर्शक और प्रशंसक भी आपको पूरे देश में मिल जाएँगे। अनेकता में एकता का जीवंत उदाहरण भारतीय फिल्मों के अतिरिक्त दूसरा हो ही नहीं सकता। भारत की सबसे पहली बोलती फिल्म 'आलमआरा' थी, जिसे सन् 1931 में आर्देशिर ईरानी ने बनाया था। यह फिल्म हिन्दी में बनी थी। कहते गर्व होता है कि पहली भारतीय बोलती फिल्म हिन्दी में थी।
'शोले' ने स्वर्ण जयंती मनाई
कुछ सीमा तक दक्षिण में हिन्दी का विरोध जरुर है, लेकिन वहां भी हिन्दी फिल्में लोकप्रिय हैं। खासकर तमिलनाडु में हिन्दी का विरोध किया जाता है, लेकिन इसी तमिलनाडु के तीन शहरों मदुरै, चेन्नई और कोयंबटूर में हिन्दी फिल्म 'शोले' ने स्वर्ण जयंती मनाई थी!
'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे'
'शोले' के अलावा 'हम आपके हैं कौन', 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे', 'बॉर्डर', 'दिल तो पागल है' भी पूरे देश में सफल रहीं। 'गदर' और 'लगान' जैसी कितनी ही फिल्में आई हैं जिन्होंने पूरे देश में सफलता के झंडे गाड़ दिए।
हिन्दी फिल्मों में अहिन्दी भाषी कलाकारों के योगदान के कारण भी हिन्दी को अहिन्दी भाषी प्रांतों में हमेशा बढ़ावा मिला है। सुब्बालक्ष्मी, बालसुब्रह्मण्यम, पद्मिनी, वैजयंती माला, रेखा, श्रीदेवी, हेमामालिनी, कमल हासन, चिरंजीवी, ए.आर. रहमान, रजनीकांत आदि प्रमुख सितारे हिन्दी में भी लोकप्रिय हैं। बंगाल की कई हस्तियाँ हिन्दी सिनेमा की महत्वपूर्ण हस्ताक्षर रही हैं।
लोकप्रिय कलाकार
मसलन मन्ना डे, पंकज मलिक, हेमंत कुमार, सत्यजीत रे (शतरंज के खिलाड़ी), आर.सी. बोराल, बिमल रॉय, शर्मिला टैगोर, उत्त कुमार आदि। प्रसिद्ध अभिनेता डैनी डेंग्जोग्पा अहिन्दी राज्य सिक्किम से हैं, तो हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध संगीतकार सचिन देवबर्मन तथा राहुल देव बर्मन मणिपुर के राजघराने से संबंधित थे। इसी प्रकार हिन्दी फिल्मों के लोकप्रिय कलाकार जितेंद्र पंजाबी होने के बावजूद दक्षिण में लोकप्रिय हैं। हिन्दी फिल्मों की प्रसिद्ध हस्तियाँ स्व. पृथ्वीराज कपूर एवं उनका समस्त खानदान, दारासिंह, धर्मेन्द्र आदि पंजाब से हैं। इस प्रकार के और भी कई उदाहरण दिए जा सकते हैं।
विदेशों में भी लोकप्रियता
हिन्दी फिल्में देश के साथ-साथ विदेशों में भी लोकप्रियता प्राप्त कर चुकी हैं। इस प्रकार इन फिल्मों ने देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी हिन्दी को प्रोत्साहित किया है।अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, लता मंगेशकर एवं हिन्दी फिल्मों के अन्य कई कलाकार सारी दुनिया के बड़े-बड़े शहरों में अपने रंगमंचीय प्रदर्शन सफलतापूर्वक कर चुके हैं। आज भी ऑल इंडिया रेडियो के उर्दू कार्यक्रमों के फर्माइशकर्ता 90 प्रतिशत पाकिस्तानी श्रोता होते हैं। भारतीय फिल्में और गीत वहाँ सर्वाधिक प्रिय हैं। यहीं कारण है कि विदेशी भी हिंदी फिल्मों के गानें गुनगुनाते और उसकी धुन पर थिरकतें हैं।
राजकपूर की 'आवारा'
राजकपूर की 'आवारा' और 'श्री 420' ने रूस में लोकप्रियता के झंडे गाड़ दिए थे। मेरा नाम जोकर फिल्म जिसमें रसियन एक्ट्रेस थी वह फिल्म रुस में खूब चली थी।
अहिंदी भाषी बच्चे भी सीख रहे हिंदी
हिंदी आगे बढ़ रही हैं इतना ही नहीं दक्षिण भारत के भी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में हिंदी दूसरे नंबर पर अनिवार्य भाषा के रुप में पढ़ाई जा रही है। शिक्षा विभाग के नियमों के चलते अधिकांश स्कूलों में राज्य की भाषा तीसरी अनिवार्य भाषा के रुप में पढ़ाई जाती है। एक रोचक बात ये हैं कि हिंदी भाषा सभी बच्चे समझे इसलिए साउथ के स्कूलों में हिंदी क्लास में टीचर बच्चों को हिंदी के वाक्यों का अर्थ अंग्रेजी अनुवाद के साथ पढ़ाया जाता हैं। यानी कि हिंदी भाषी राज्यों में बच्चे जहां हिंदी के शब्द के अर्थ हिंदी में ही पढ़ते हैं वहीं कर्नाटक समेत अन्य अहिन्दी राज्यों के बच्चे की हिंदी शब्द का अर्थ अंग्रेजी में पढ़ाया जाता है। इतना ही नहीं अहिंदी भाषी बच्चों को हिंदी सिखाने में हिंदी कार्टून चैनल को भी नकारा नहीं जा सकता। छोटा भीम समेत अन्य कार्टून ने बच्चों में हिंदी को पापुलर किया हैं।
हिन्दी की स्थिति में सुधार
पिछले
एक
वर्ष
में
हिन्दी
की
स्थिति
में
काफी
सुधार
आया
है।
लगभग
दो
वर्ष
पूर्व
तो
ऐसा
लगता
था
जैसे
हिन्दी
खो
ही
जाएगी।
पर
कई
संस्थाओं
के
प्रयास
से
जैसे
हिन्दी
को
एक
नया
जीवन
मिला
है।
आज
के
समय
में
अंग्रेजी
का
ज्ञान
होना
आवश्यक
हो
गया
है।
क्योंकि
अंग्रेजी
की
अज्ञानता
से
हमारा
करियर
प्रभावित
होता
है।
परन्तु
इसका
ये
अर्थ
कदापि
नहीं
है
कि
हम
अपनी
मातृभाषा
को
भूल
जाएं।
जब
चीनियों
को
चीनी
भाषा
बोलने
में
शर्म
नहीं
लगती,
जापानी
और
रुस
भी
अपनी
मातृभाषा
बोलते
हैं
तो
हम
क्यों
नहीं।
भारतीयों
को
हिन्दी
बोलने
में
शर्म
क्यों
महसूस
होती
है।
आमतौर
पर
लोग
कर्नाटक
को
कर्नाटका,
केरल
को
केरला
कहने
में
गर्व
महसूस
करते
हैं।
उसी
प्रकार
आम
बोल-चाल
की
भाषा
में
हिन्दी
के
साथ
अंगे्रजी
का
प्रयोग
बढ़
रहा
है
और
लोग
दोष
एक-दूसरे
पर
मढ़
रहे
हैं
लेकिन
इसके
लिए
सार्थक
प्रयास
कहीं
नहीं
दिख
रहे
हैं।
कम्प्यूटर में अब ऐसे भी सॉफ्टवेयर हैं जिसमें अपनी बात अंग्रेजी में लिखो और उसका हिन्दी रूप सामने आ जाता है। इसके अलावा धीरे-धीरे ही सही हिन्दी अपना अस्तित्व बढ़ाती जा रही है। विश्व की विभिन्न भाषाओं में अपना विशेष स्थान बनाने वाली इस भाषा को अहिन्दी भाषी राज्यों में पढ़ा और समझा भी जाने लगा है।
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