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गुजराल ने देखी थी भगत सिंह की अंत्येष्टि

पू्र्व प्रधानमंत्री इंदर कुमार गुजराल ने ये मंजर पत्रकार विवेक शुक्ला को सुनाया था.

By विवेक शुक्ला - बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
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भगत सिंह
BBC
भगत सिंह

जज ने फ़ैसला सुना दिया था. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को सांडर्स की हत्या के लिए फांसी दी जानी थी. बस तारीख़ तय होनी बाक़ी थी. समय तय हुआ 24 मार्च का.

देश में भारी तनाव का माहौल था. अंग्रेज़ों ने सज़ा को एक दिन पहले करने की सोची. लेकिन बात किसी तरह लोगों तक जा पहुंच गई.

"हमारे पहुंचने तक वहां काफ़ी लोग मौजूद थे. भगत सिंह की चिता जल रही थी. हालांकि वो कमजोर पड़ गई थी." इंदर कुमार गुजराल उस मंजर को याद करते हुए भावुक हो गए थे.

उन्होंने ये घटना मुझे सालों पहले दिल्ली के 6 जनपथ पर अपने बंगले में एक बातचीत के दौरान सुनाई थी.

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पूर्व प्रधानमंत्री इंदर कुमार गुजराल
SENA VIDANAGAMA/AFP/Getty Images
पूर्व प्रधानमंत्री इंदर कुमार गुजराल

भावुक स्वर में देश के पूर्व प्रधानमंत्री ने बताया था, "मेरे पिता अवतार नारायण गुजराल को किसी तरह मालूम चल गया था कि भगत सिंह को फांसी पर लटकाने के बाद उनके अंतिम संस्कार की तैयारी चुपचाप कर ली गई है."

स्वाधीनता सेनानी

उन्होंने बताया, "पिता जी अंत्येष्टि स्थल पर जाने को तैयार होने लगे. हमारे कई पड़ोसी भी हमारे साथ वहां जाने को तैयार थे. मैं हालांकि तब बहुत छोटा था, तो भी पिता जी मुझे भगत सिंह की अंत्येष्टि में ले जाने के लिए तैयार थे. मैं भी उनके साथ बस में बैठकर गया. अंत्येष्टि स्थल तक बस से पहुंचने में क़रीब पौन घंटा लगा था."

वो बताते हैं, "मेरा छोटा भाई सतीश, चित्रकार सतीश गुजराल, घर में ही रहा."

जिन लोगों ने इंदर कुमार गुजराल के साथ भगत सिंह की अंत्येष्टि देखी थी उनमें स्वाधीनता सेनानी सत्यवती भी थीं. वो पूर्व उप राष्ट्रपति कृष्णकांत की मां थीं.

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भगत सिंह
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भगत सिंह

गुजराल साहब ने बताया था कि भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी पर लटकाए जाने के चलते पंजाब समेत सारे देश में गुस्सा था.

आवाम अंग्रेज़ सरकार से सख्त खफा थी. पूर्व प्रधानमंत्री ने बताया कि शवों को ख़ानदान वालों को देने से मना करने के बाद ब्रितानी शासन ने भगत सिंह की अंत्येष्टि का इंतज़ाम सतलज नदी के किनारे किया था.

वो साल 2006 था जब गुजराल साहब ने मुझे ये क़िस्सा सुनाया था. तीनों लोगों का पोस्ट मॉर्टम नहीं किया गया था और उसके पहले ही अंग्रेज़ों ने शव की अपने स्तर पर अंत्येष्टि कर दी थी.

दरअसल सरकार को भय था कि उनके शव उनके परिवारों को सौंपे गए तो देश में आग लग जाएगी. गुजराल साहब को याद था कि किस तरह से सैकड़ों लोग चिता के पास बिलख-बिलख कर रो रहे थे.

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English summary
Inder Kumar Gujral Gujral saw the funeral of Bhagat Singh
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