Independence special: 15 अगस्त नहीं, 3 जून को स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ मना रहा होता भारत
बंगलुरू। 15 अगस्त, 2019 में भारत अपनी स्वतंत्रता दिवस की 73वीं वर्षगांठ मना रहा है, लेकिन क्या कभी आपके मन में यह सवाल नहीं कौंधता है कि आखिर भारतीय स्वतंत्रता की तारीख 15 अगस्त, 1947 ही क्यों रखी गई? सवाल सही है, जवाब भले ही आप अभी तक न तलाश पाए हों। इतिहास खंगालने पर पता लगेगा कि ब्रिटिश सरकार से सत्ता हस्तांतरण की तारीख 15 अगस्त, 1947 नहीं थी।
यह तारीख भारत के अंतिम वायसराय लार्ड माउंटबेटन ने चुनी थी, जो कि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ थी। ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश भारत के दो राज्यों में विभाजित करने के विचार को 3 जून, 1947 को स्वीकार कर लिया था और यह भी घोषित कर दिया था कि उत्तराधिकारी सरकारों को स्वतंत्र प्रभुत्व दिया जाएगा और ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने का पूर्ण अधिकार होगा।
गौरतलब है वर्ष 1946 में समाप्त हुए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सरकार का राजकोष का हाल खस्ताहाल हो गया था और इस बीच जब उन्हें यह एहसास हुआ कि घर और बाहर दोनों जगह उनका समर्थन घट रहा है और आजादी के लिए बेचैन भारत को नियंत्रण करने में भी उनके पसीने छूट रहे हैं, तो फ़रवरी 1947 में प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने घोषणा कर दी कि ब्रिटिश सरकार जून 1948 से ब्रिटिश भारत को पूर्ण आत्म-प्रशासन का अधिकार प्रदान करने की घोषणा कर दी, लेकिन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण की तारीख को बदल दिया।
अंतिम वायसराय को लगा कि कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच लगातार विवाद के कारण अंतरिम सरकार का पतन हो सकता है। उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की तारीख के रूप में 15 अगस्त को चुना, जो द्वितीय विश्व युद्ध, में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी सालगिरह थी। हालांकि ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश भारत को दो राज्यों में विभाजित करने के विचार को 3 जून 1947 को स्वीकार कर लिया था और यह भी घोषित किया कि उत्तराधिकारी सरकारों को स्वतंत्र प्रभुत्व दिया जाएगा और ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने का पूर्ण अधिकार होगा।
इससे पूर्व यूनाइटेड किंगडम की संसद के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 (10 और 11 जियो 6 सी. 30) के अनुसार 15 अगस्त 1947 से प्रभावी ब्रिटिश भारत को भारत और पाकिस्तान नामक दो नए स्वतंत्र उपनिवेशों में विभाजित किया और नए देशों के संबंधित घटक असेंबलियों को पूरा संवैधानिक अधिकार दे दिया और 18 जुलाई 1947 को इस अधिनियम को शाही स्वीकृति प्रदान की गयी।
हालांकि अभी तक यह गुत्थी नहीं सुलझ सकी है कि वायसराय लार्ड माउंटबेटन ने ब्रिटिस भारत की स्वतंत्रता के लिए 15 अगस्त, 1947 क्यों चुना, क्योंकि प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने 3 जून, 1948 से ब्रिटिश भारत को भारत-पाकिस्तान (पाकिस्तान+बांग्लादेश) को दो स्वतंत्र उपनिवेशों में विभाजित कर दिया था, लेकिन लार्ड माउंटबेटन की हस्तक्षेप से भारत की आजादी करीब 10 माह पहले मिल गई।
20 वर्ष तक 26 जनवरी को मनाया गया स्वतंत्रता दिवस
ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के संघर्ष के दौरान वर्ष 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लाहौर सत्र में पूर्व स्वराज घोषणा के बाद 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में घोषित किया था। स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन का उद्देश्य भारतीय नागरिकों के बीच राष्ट्रवादी ईधन झोंकने और ब्रिटिश सरकार को मजबूर करने के लिए किया गया था।
हालांकि कांग्रेस ने वर्ष 1930 और 1950 के बीच 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया, जिसमें लोग मिलकर स्वतंत्रता की शपथ लेते थे, लेकिन 15 अगस्त, 1947 में ब्रिटिश हुकूमत से आधिकारिक आजादी के बाद 26 जनवरी के बजाय 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा, क्योंकि 26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान प्रभाव में आया था।
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