दार्जिलिंग में बंद की वजह से टूटी 100 साल की परंपरा, नहीं हो सकी जगन्नाथ यात्रा
भगवान जगन्नाथ की यात्रा भी इस बार दार्जिलिंग में बंद की भेंट चढ़ी, 100 साल की परंपरा टूट गई।
दार्जिलिंग। पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से दार्जिलिंग में हिंसा के बाद बंद का ऐलान किया गया है, उसने ना सिर्फ लोगों का दैनिक जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है बल्कि जगन्नाथ धाम की यात्रा को भी रोक दिया है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भी इस बंद के चलते रुक गई है। यह जगन्नाथ यात्रा हर वर्ष की तरह इस बार नहीं हो सकी। दार्जिलिंग में गोरखा जनमुख्ति मोर्चा ने 15 जून से इस महाबंद का ऐलान किया है।
दार्जिलिंग में पिछले 100 साल से जगन्नाथ यात्रा हो रही है, लेकिन इस रविवार को यह जगन्नाथ यात्रा नहीं हो सकी। यह जगन्नाथ यात्रा हिंदू धर्म का बड़ा पर्व है, जिसमें भगवान जगन्नाथ को रथ पर बैठकर पूरे शहर में घुमाया जाता है। हालांकि यह पर्व मुख्य रूप से ओडिशा के पुरी में मनाया जाता है, लेकिन समय के साथ यह देश के अन्य कोनों में भी मनाया जाने लगा है। दार्जिलिंग में यह जगन्नाथ यात्रा ठाकुरबारी की ओर से आयोजित की जाती है। यहां भगवान जगन्नाथ, भगवान बलराम, देवी शुभद्रा की मूर्ति तो रथ में रखकर हर वर्ष शहर में घुमाया जाता है।
ठाकुरबारी मंदिर के मुख्य पुजारी सालिक मिश्रा ने बताया कि इस वर्ष बंद की वजह से रथ यात्रा का आयोजन नहीं हो सका, यह हर वर्ष शहर में निकाला जाता है, लेकिन इस बार हमने इस रथ को सांकेतिक रूप से मंदिर के चारों ओर घुमाया। हालांकि इस मंदिर के निर्माण की पुख्ता जानकारी नहीं किसी को नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 1830 में बनवाया गया था।
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बनारस
की
शबाना
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बेहतरीन
ईदी
पिछले
100
सालों
से
दार्जिलिंग
में
यह
रथयात्रा
निकाली
जाती
है,
लेकिन
इस
बार
बंद
के
चलते
रथायात्रा
का
आयोजन
नहीं
किया
जा
सका।
वहीं
गोरखा
जनमुक्ति
मोर्चा
ने
फैसला
लिया
है
कि
वह
ईद
के
मौके
पर
सोमवार
को
12
घंटे
के
लिए
लोगों
इस
बंद
से
राहत
देने
का
फैसला
लिया
है।
मोर्चा
के
नेता
नोरबू
जी
लामा
ने
कहा
कि
मुस्लिम
समुदाय
के
लोग
सुबह
छह
बजे
से
शाम
छह
बजे
तक
सड़कों
पर
अपनी
गाड़ी
चला
सकते
हैं,
वह
अपने
परिवार
और
रिश्तेदारों
से
मिलने
जा
सकते
हैं।
दूर
सुदूर
मुस्लिम
समुदाय
के
लोग
मस्जिद
में
नमाज
पढ़ने
के
लिए
जा
सकते
हैं।
वहीं
मुस्लिम
समुदाय
के
लोगों
का
कहना
है
कि
जब
हमारे
घर
में
कुछ
खाने
को
ही
नहीं
है
तो
सड़क
पर
गाड़ी
ले
जाकर
क्या
करेंगे।