लद्दाख: LAC पर चीनी सैनिकों की घुसपैठ में तेजी, चार माह में 130 बार अतिक्रमण
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर इस समय चीनी सैनिकों का भारी जमावड़ा है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 के पहले चार माह में 170 बार चीनी सैनिकों ने अतिक्रमण की कोशिश की है जिसमें से 130 बार लद्दाख में की गईं कोशिशें शामिल हैं। जबकि साल 2019 में लद्दाख में इसी दौरान 110 बार चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में दाखिल होने की कोशिश की थी। इंग्लिश डेली इंडियन एक्सप्रेस की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है।
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लद्दाख में बनी है तनाव की स्थिति
लद्दाख में एलएसी पर इस समय तनाव की स्थिति बनी हुई है। चीन की तरफ से पूर्वी सेक्टर में हवाई मार्ग के जरिए भी रिकॉर्ड तोड़ अतिक्रमण की कोशिशें की गई। साल 2019 में 68 बार और साल 2018 में 42 बार चीनी सेना भारत के एयरस्पेस को पार करने की कोशिश की। साल 2019 की अगर बात करें तो चीनी सैनिकों ने रिकॉर्ड 663 बार एलएसी पर घुसपैठ का प्रयास किया। जबकि साल 2018 में यही आंकड़ा 404 था। दूसरी तरफ पश्चिमी सेक्टर में घुसपैठ में 75 प्रतिशत का इजाफा हुआ है तो पूर्वी सेक्टर में 55 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया है।
कैसे चलता है घुसपैठ का पता
अधिकारियों के मुताबिक जिस समय इलाके में सुरक्षाबल जिसमें इंडियन आर्मी और आईटीबीपी शामिल है, उसमें से कोई होता है तो चीनी घुसपैठ का पता लग पाता है या इसका रिकॉर्ड दर्ज होता है। ऐसे में यह बात तो तय है कि चीनी सैनिकों ने एलएसी के दूसरी तरफ से भारती सीमा में घुसपैठ की है। रक्षा सूत्रों की मानें तो पैंगोंग झील, हवा या फिर जमीन पर अगर चीन की तरफ से घुसपैठ होती है तो उसे रिकॉर्ड करने का अपना अलग तरीका होता है। बॉर्डर पोस्ट्स के जरिए अगर इसे देखा गया है, सर्विलांस उपकरणों पर अगर मौजूदगी दर्ज हुई, पेट्रोलिंग के समय होने वाला आमना-सामना, स्थानीय नागरिकों की तरफ से चीनी सैनिकों को देखे जाने के अलावा चीनी सैनिकों की तरफ से भारतीय सीमा में छोड़े गए बिस्कुट के पैकेट या रैपर्स की मदद से घुसपैठ का पता चलता है।
डोकलाम के बाद भी ऐसी स्थिति
साल 2017 में जब दोनों देशों के बीच डोकलाम विवाद हुआ था तो उस समय भी चीनी सेना का अतिक्रमण एलएसी पर देखा गया था। साल 2017 में 473 बार चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिशें की जबकि साल 2016 में यह आंकड़ा बस 296 था यानी इसमें 60 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी आई। सितंबर 2017 में ब्रिक्स समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी।
LAC को लेकर कोई जानकारी नहीं!
अप्रैल 2018 में वुहान में दोनों नेता मिले थे। इस मीटिंग में दोनों देश इस बात पर राजी हुए थे कि सेनाओं के बीच आपसी संपर्क बढ़ाया जाएगा और इसके लिए रणनीतिक मार्गदर्शन की मदद ली जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि यह अतिक्रमण की स्थिति इस वजह से पैदा होती है क्योंकि दोनों देशों की सेनाएं एलएसी पर अपना-अपना नजरिया रखते हुए यहां पर पेट्रोलिंग करती हैं। लेकिन साथ ही वो इस बात पर भी रजामंदी जताते हैं कि चीनी सैनिक अब तेजी से भारतीय सीमा की तरफ आने लगे हैं।