iNCOVACC Bharat Biotech की पहली नेजल वैक्सीन, कीमत तय हुई, जानिए एक डोज वैक्सीन का मूल्य
कोरोना महामारी से बचाव के लिए भारत का पहला नेजल वैक्सीन iNCOVACC है। भारत बायोटेक के इस बूस्टर टीके की कीमत 800 रुपये प्रति डोज तय की गई है।
iNCOVACC भारत का पहला नेजल वैक्सीन है। Bharat Biotech ने भारत के इस पहले नेजल वैक्सीन और बूस्टर टीके की कीमत 800 रुपये प्रति डोज तय की है। बता दें कि वैक्सीन की दो खुराक 28 दिन के अंतराल पर देनी होती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने आज दुनिया का पहला कोविड-19 इंट्रानेजल वैक्सीन, iNCOVACC लॉन्च किया।
पहले इमरजेंसी यूज की अनुमति मिली
भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन सरकार को 325 रुपये प्रति डोज में उपलब्ध होगी। जबकि निजी अस्पतालों को इसकी कीमत 800 रुपये होगी। कंपनी की तरफ से जारी बयान में कहा गया, दिसंबर 2022 में प्राथमिक तौर पर दूसरी खुराक और बूस्टर खुराक के रूप में इस टीके को मंजूरी दी गई। इससे पहले केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने 18 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों पर इंट्रानेजल वैक्सीन के प्रतिबंधित उपयोग को मंजूरी दी थी। हालांकि, इस्तेमाल केवल आपातकालीन स्थितियों में ही किया जाना था।
वैक्सीन के लिए अपॉइंटमेंट
देश के वैक्सीन टास्क फोर्स के प्रमुख ने CoWin प्लेटफॉर्म पर वैक्सीन पेश किए जाने के एक हफ्ते बाद पिछले महीने एनडीटीवी को बताया कि नाक से लिया जाने वाला कोरोना टीका उन लोगों को नहीं दिया जा सकता है जिन्होंने प्रिकॉशन डोज या बूस्टर खुराक ले ली है। खास बात ये है कि वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक के अनुसार, कोविन वेबसाइट पर जाकर इंट्रानेजल वैक्सीन की खुराक के लिए अपॉइंटमेंट बुक किया जा सकता है।
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किन चरणों से विकसित हुई वैक्सीन
iNCOVACC वैक्सीन वॉशिंगटन विश्वविद्यालय, सेंट लुइस के साथ साझेदारी में विकसित की गई है। वैक्सीन कितना प्रभावी है इसके लिए प्रीक्लिनिकल अध्ययनों में मूल्यांकन किया गया था। भारत बायोटेक ने प्रीक्लिनिकल सेफ्टी इवैल्यूएशन, बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग स्केल अप, फॉर्मूलेशन और डिलीवरी डिवाइस डेवलपमेंट से संबंधित प्रोडक्ट डेवलपमेंट और ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल भी किए। बता दें कि उत्पाद विकास और नैदानिक परीक्षणों को भारत सरकार द्वारा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के कोविड सुरक्षा कार्यक्रम के माध्यम से आंशिक रूप से वित्त पोषित किया गया था।