IncomeTax का अब कम होगा बोझ, सरकार जल्द करने जा रही इनकम टैक्स में कटौती
बेंगलुरु। मंहगाई की मार झेल रहे आम आदमी को केन्द्र सरकार से थोड़ी राहत मिल सकती हैं। माना जा रहा हैं कि त्योहारों से पूर्व मोदी सरकार मौजूदा इनकम टैक्स में कटौती करने की तैयारी में हैं।
बता दें अक्टूबर में हरियाणा, महाराष्ट्र में जहां विधानसभा चुनाव होने हैं वहीं इसके साथ 18 राज्यों की 63 सीटों उपचुनाव भी होगे। इसलिए इस बात की उम्मीद जताई जा रही हैं कि दशहरें के पहले सरकार आम जनता को यह तोहफा देकर खुश कर सकती हैं ।
गौरतलब हैं कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले कई हफ्तों से एक के बाद एक बड़े फैसले लेते हुए उद्योगों को राहत देने में लगी हैं। इसके बाद से शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखी जा रही है। देश में मांग बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री आने वाले समय में और भी फैसले ले सकती हैं। खबर है कि आने वाले दिनों में बारी आम आदमी की होगी।
वित्त मंत्रालय द्वारा डायरेक्ट टैक्स पर बनाए टास्क फोर्स द्वारा मौजूदा इनकम टैक्स स्लैब में बड़ी कटौती की सिफारिश की गई है। टास्क फोर्स ने 19 अगस्त, 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके मुताबिक, देश में उपभोक्ता मांग बढ़ाने के लिए इनकम टैक्स में कटौती करने की सलाह दी गई है।
सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में 5 लाख से लेकर 10 लाख रुपए तक की टैक्सेबल इनकम पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा गया है। अब इस पर 20 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है। माना जा रहा है कि सरकार अब इस मामले में कोई फैसला ले सकती है।
हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि सरकार ने अभी पर्सनल इनकम टैक्स में बदलाव करने के बारे में नहीं सोचा है। लेकिन, इसके बावजूद मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि सरकार इसे लेकर कोई कदम उठा सकती है। फिलहाल सालाना 20 लाख रुपए से ज्यादा टैक्सेबल इनकम वाले लोगों को अभी 30 प्रतिशत टैक्स चुकाना पड़ता है।
नया स्लैब संभव
रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि 35 फीसदी टैक्स का एक नया स्लैब जोड़ा जाए। जिन लोगों की टैक्सेबल आय सालाना 2 करोड़ रुपए से ज्यादा हो, उन्हें इस स्लैब में रखने का सुझाव दिया गया है।
खत्म होंगे सरचार्ज, सेस!
डायरेक्ट टैक्स रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि इनकम टैक्स पर से सरचार्ज और सेस (उपकर) हटा देना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक, इनकम टैक्स में बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है, ताकि मिडिल क्लास उपभोग पर ज्यादा पैसे खर्च करें।