यूपी में बूथ मैनेजमेंट से SP-BSP के जातीय समीकरण से ऐसे निपटने में लगी बीजेपी
नई दिल्ली- चुनावी राजनीति में जो लोग थोड़ी भी दिलचस्पी रखते हैं, वह बूथ मैनेजमेंट (booth management) के लिए बीजेपी को दाद जरूर देते हैं। पार्टी के लिए बूथ लेवल वर्कर्स (booth level Workers) की अहमियत कितनी है, इसका अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि पिछले एक-सवा साल में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के हर कोने के हजारों ऐसे कार्यकर्ताओं से सीधे विडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संवाद किया है। पार्टी से जुड़ा कोई भी मौका हो मोदी ने बूथ लेवल वर्कर्स की मेहनत की हमेशा तारीफ की है। पिछले 26 अप्रैल को जब वे वाराणसी नामांकन दाखिल करने के लिए पहुंचे थे, तब भी बूथ लेवल के वर्कर्स से सीधा संपर्क करना नहीं भूले थे। उत्तर प्रदेश (UP) में आने वाले दोनों चरणों के चुनाव में पार्टी ने बूथ जीतने की सारी जिम्मेदारी ऐसे ही कार्यकर्ताओं को सौंप है। पार्टी इस रणनीति पर काम कर रही है कि चुनाव प्रचार खत्म होने वाले दिन से मतदान वाले दिन तक सभी बूथ कार्यकर्ता अपने वोटर्स को पोलिंग बूथ तक लाने की जिम्मेदारी संभाल लें। पार्टी को लगता है कि बाकी दोनों दौर में उसके समर्थक अगर ईवीएम (EVM) तक पहुंच गए, तो सपा-बसपा (SP-BSP) का सारा जातीय और सामाजिक समीकरण ध्वस्त हो जाएगा। पार्टी की टॉप लीडरशिप (top leadership) को यकीन है कि राज्य में जमीनी स्तर पर 60 फीसदी लोग मोदी और पार्टी के काम से खुश हैं, बस कोशिश ये है कि वह मतदान वाले दिन बूथ तक पहुंच जाएं। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि इसके लिए पार्टी किस रणनीति के तहत काम कर रही है।
पार्टी के लिए 48 घंटे बेहद महत्वपूर्ण
बीजेपी ने बूथ मैनेजमेंट के दम पर ही 2014 में यूपी में सारे जातीय और सामाजिक समीकरणों को तोड़ दिया था। अब छठे और सातवें दौर की 14 और 13 सीटों पर भी पार्टी वही करो या मरो वाली नीति अपना रही है। इन 27 सीटों में से 26 सीटों पर पिछली बार बीजेपी एवं अपना दल को इसी योजना से कामयाबी मिली थी। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक बीजेपी के बड़े नेताओं को लगता है कि अगर अंतिम 48 घंटे में बीजेपी के बूथ लेवल के कार्यकर्ता (booth level Workers) पीएम मोदी के गुडविल (Goodwill) को वोटों में तब्दील करने में कामयाब रहे, तो बीएसपी-एसपी-आरएलडी (BSP-SP-RLD) की बड़ी चुनौती का भी आसानी से सामना किया जा सकता है।
बूथ वर्कर को करना क्या है?
योजना के तहत बूथ लेवल के हर कार्यकर्ता को उनके इलाके में हर परिवार के मुखिया के नाम की एक 'परिवार पर्ची' मिलेगी। बस उन्हें उस परिवार में जाकर उनके सदस्यों से संपर्क करना है, उन्हें मोदी सरकार के द्वारा किए गए कामों को याद दिलाना है, पोलिंग वाले दिन के बारे में और पोलिंग बूथ से जुड़ी सारी जानकारी देनी है, ताकि उन्हें अंतिम समय में किसी तरह की परेशानी न हो। साथ ही साथ सोशल मीडिया के जरिए चुनाव होने तक लगातार उनके संपर्क में रहना है। पार्टी को भरोसा है कि उनके लिए वोटरों में जितना समर्थन है, अगर हर बूथ लेवल का वर्कर, उसे वोट में बदलने में कामयाब रहा तो उस बूथ की जीत पक्की है। इसी तरह एक-एक बूथ से उस सीट पर जीत की भी गारंटी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो जहां भी विक्ट्री मार्जिन (victory margins) कम रहने के चांस हैं, वहां अपनी संगठनात्मक क्षमता से उस अंतर को बढ़ाया जा सकता है।
हर मोर्चे को अलग-अलग जिम्मेदारी
यूपी की बाकी बची 27 सीटों पर बीजेपी किस कदर फोकस कर रही है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने 12 और 19 मई के चुनावों के लिए अपने हर मोर्चे को एक्टिव कर दिया है। पार्टी की महिला मोर्चा, किसान मोर्चा और यूथ विंग सबको एक-एक मतदाताओं से सीधे संपर्क करने और उन तक मोदी सरकार के काम और कल्याणकारी योजनाओं को याद दिलाने और उसकी पूरी जानकारी पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी की महिला कार्यकर्ता उन घरों में जाएंगी, जिन्हें उज्ज्वला योजना का लाभ मिला है। जानकारी के मुताबिक वे वहां उन्हीं गैस चूल्हों पर चाय बनाकर पियेंगी और लाभांवित महिला के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर भी डालेंगी। इसी तरह प्रधानमंत्री आवास योजना और शौचालय का लाभ उठाने वाले लाभार्थियों के घरों में भी जाकर उन्हें वोटिंग के लिए मोटिवेट करने को कहा गया है। गौरतलब है कि इस योजना के तहत ज्यादातर आवास महिलाओं के नाम पर ही दिए गए हैं। इसी तरह किसान मोर्चे के कार्यकर्ता किसानों से बात करेंगे और उन्हें किसान सम्मान निधि के तहत मिलने वाले 6 हजार रुपये के बारे में बताएंगे, मोदी सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफे और फसल बीमा योजना जैसी तमाम योजनाएं की याद दिलाएंगे। यूथ विंग के कार्यकर्ता युवा वोटरों, खासकर फर्स्ट टाइम वोटरों से संपर्क करेंगे और उन्हें मुद्रा योजना,स्टार्ट-अप्स, स्किल इंडिया के लाभों और हकीकतों की रियल टाइम जानकारी देकर बूथ तक लाने की जिम्मेदारी निभाएंगे।
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'यूपी में 50 का आंकड़ा होगा आसानी से पार'
शायद बीजेपी लीडरशिप को भी इस बात का अहसास जरूर होगा कि उनके लिए यूपी की लड़ाई इस बार 2014 जितना आसान नहीं है। माया-अखिलेश (Mayawati-Akhilesh) के साथ आने से मोदी-शाह की जोड़ी भी निश्चिंत तो नहीं ही होगी। लेकिन, तीन राज्यों में सक्रिय बीजेपी के एक नेता कहते हैं कि यह 'नई' बीजेपी है, "यह अटल बिहारी वाजपेयी या एल के आडवाणी की बीजेपी नहीं है। मोदी और शाह दोनों का चुनावों को लेकर नजरिया एकदम अलग है। वह हर लड़ाई को एक जंग की तरह लड़ते हैं। वह कुछ भी चीज नजरअंदाज नहीं करते और अंतिम दम तक हथियार नहीं डालते।" वे ये भी कहते हैं कि, "दोनों नेताओं ने बीजेपी में एक नया रवैया अपनाया है और नया माहौल सिर्फ कामयाबी के लिए है- एक-एक इंच की लड़ाई लड़ी जाएगी।" यूपी की हालातों पर शाह समेत पार्टी के बड़े नेता हर पल नजर रख रहे हैं। उनके मुताबिक,"जब चुनाव प्रचार शुरू हुआ तो पार्टी ने (जीत पक्की मानकर चल रही थी) 30 सीटों से शुरू किया था, क्योंकि हमें गठबंधन की चुनौतियों के बारे में अंदाजा था। लेकिन, हर दिन हालात में सुधार हो रहा है। अंतिम अनुमानों के अनुसार, यूपी में बीजेपी 50 सीटें आसानी से पार कर लेगी।"
हर सीट के मुताबिक बनी है रणनीति
यूपी में बीजेपी को जिस सीट पर जैसा चैलेंज मिल रहा है, पार्टी उसी के आधार पर अपना बूथ मैनेजमेंट (booth management) कर रही है। इसमें जातीय समीकरण (caste equation), राष्ट्रवाद (nationalism) या सामप्रदायिक ध्रुवीकरण (communal polarisation) का गुणा-भाग भी शामिल है। बीजेपी के नेता स्वीकार करते हैं कि एसपी-बीएसपी एक-दूसरे के उम्मीदवारों को अपना वोट ट्रांसफर करवाने में सफल रहे हैं। लेकिन, पार्टी के नेताओं को इस बात का भी पक्का यकीन है कि बीजेपी का बूथ-लेवल मैनेजमेंट (booth-level management) सुपर-ह्युमैन (super-human) की तरह है। वे दावे के साथ कहते हैं कि बूथ-मैनेजमेंट (booth management) में उनसे किसी का कोई मुकाबला नहीं है। पार्टी की बूथ कमिटी, सेक्टर कमिटी और मंडल यूनिट महीनों से एक्टिव हैं और इसके लिए खुद प्रधानमंत्री के स्तर पर ध्यान रखा गया है। इन्हें वोटर लिस्ट में वोटरों का नाम शामिल करवाने, उनके हाथ तक वोटिंग स्लिप और पार्टी का संदेश पहुंचाने और अंत में उन्हें वोट डलवाने तक की जिम्मेदारी दी गई है। राज्य में बीजेपी के लिए काम कर रहे एक नेता कहते हैं कि, "यूपी में अब लास्ट माइल कनेक्टिविटी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। हम एक-एक आदमी को चिन्हित करने का काम सुनिश्चित कर रहे हैं।"
यूपी के नतीजों को लेकर आत्मविश्वास से भरपूर बीजेपी के लिए पार्टी के एक सीनियर नेता पौराणिक हिंदू कथा का हवाला देते हैं। उनका कहना है पौराणिक कथाओं के मुताबिक 'जो भी कोई मेहनत करता है, भगवान उसे ही फल देते हैं। तपस्या और प्रार्थना से तो असुरों को भी खतरनाक हथियार प्राप्त हुए हैं। यानी उनका मानना है कि जो मेहनत करता है, ईश्वर सफलता भी उसे ही देते हैं।
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