ऐसे तो लाखों बेरोजगार हो जाएंगे, रेल टिकट बनाने वाले एजेंट की छुट्टी करने जा रही है रेलवे?
बेंगलुरू। रेलवे टिकटों की बुंकिंग अब निजी एजेंट्स और वेंडर्स के हाथों से छीनने जा रही है रेलवे विभाग। यानी पैसेंजर अब टूर एंड ट्रैवलर्स की शॉप के जरिए रेल टिकटों की बुंकिंग नहीं करवा पाएंगे, क्योंकि रेलवे विभाग जल्द पैसेंजर्स के लिए ट्रेन की ऑनलाइन टिकट की बुक एंजेटों और निजी वेंडर्स से छीनने के प्रस्ताव लाने जा रही है।
दरअसल, शुक्रवार, 13 मार्च को लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में बोलते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे टिकट के टिकिटिंग एजेंट और प्राइवेट वेंडर की कालाबाजारी का हवाला देते हुए संकेत दिया था। उन्होंने संकेत देते हुए कहा कि जब घर बैठे यात्री मोबाइल फोन के जरिए ट्रेन टिकट बुक कर सकता है तो अब निकट भविष्य में प्राइवेट एजेंट्स अथवा वेंडर्स की जरूरत क्या है।
बदलते दौर के लिहाज से रेल मंत्री पीयूष गोयल की बात काफी हद तक सही भी है, लेकिन इससे उन एजेंट्स और वेंडर्स का रोजगार उनसे अचानक छिन जाएगा, फिर उनके स्व-रोजगार का क्या होगा, जो इन टिकटों को बेंचने से मिलने वाले कमीशन पर अपनी रोजी-रोटी कमा रहे थे। हालांकि यह परिवर्तन रेल मंत्रालय ट्रेन टिकटों की कालाबाजारी में सक्रिय दलालों पर लगाम लगाने के लिए किया है।
अभी हाल में सूरत में आईआरसीटीसी टिकट का एक बड़ा घोटाला पकड़ा गया था और छापेमारी के बाद रेलवे को 8 करोड़ रुपए कीमत के ई-टिकट ब्लॉक करने पड़े थे। दुबई में बैठे एक मास्टरमाइंड ने इस घोटाले को अंजाम दिया था और आईआरसीटीसी को करोड़ों का चूना लगा चुका था।
इसका खुलासा लोकसभा में एक चर्चा के दौरान रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक सवाल के जबाव में किया। उन्होंने बताया कि पिछले 14 महीनों में 5,300 से अधिक लोगों को ट्रेन टिकट की कालाबजारी के मामले पकड़ा जा चुका है और छापेमारी के दौरान कुल 884 टिकट बुकिंग वेंडर्स को ब्लैकलिस्ट भी किया जा चुका है। शायद यही कारण है कि रेल मंत्रायल ने अब रेल टिकट की बुंकिंग की प्रक्रिया से एजेंट और निजी वेंडर्स को हटाने का क्रांतिकारी निर्णय लेने जा रही है।
बकौल पीयूष गोयल, मेरी सोच है कि ट्रेन टिकट बुकिंग के लिए अब प्राइवेट वेंडर्स और एजेंट्स की जरूरत नहीं है।' उन्होंने कहा कि वो इन्हें बंद करने पर विचार कर रहे हैं, जिन्हें ट्रेन टिकट खरीदना होगा वो 'कॉमन सर्विस सेंटर्स' जा सकते हैं, जिसे सरकार द्वारा संचालित किया जाता है। अमूमन यह देखा गया है कि बुकिंग शुरू होने तुरंत ही कुछ देर में ट्रेन टिकट सोल्ड आउट हो जाता है। इस पर मंत्रालय ने जांच के बाद रोकथाम के लिए कई कदम भी उठाया है।
गौरतलब है इसी वर्ष फरवरी माह में सूरत में मैक सॉफ्टवेयर नामक कंपनी को करोड़ों रुपए की रेल ई-टिकट बुकिंग केस में दबोचा। इसे भारत का सबसे बड़ा रेल-टिकट घोटाला कहा गया। छापेमारी के दौरान बरामद 8 करोड़ रुपए कीमत के ई-टिकट बरामद किए गए, जिन्हें ब्लॉक कर दिया गया।
इन घोटालों को दुबई में बैठा एक मास्टरमाइंड कई वर्षों से अंजाम दे रहा था, जिससे आईआरसीटीसी को चूना लग रहा था। हालांकि उसके बाद आईआरसीटीसी ने ऑनलाइन टिकट-बुकिंग में संशोधन करके उसमें सिक्योरिटी फीचर्स एड कर दिए थे और बाद में प्रत्येक ई-टिकट बुकिंग के लिए ओटीपी भेजने की व्यवस्था की गई।
ट्रेन टिकटों की बुकिंग मे घोटाले और दलाली को लेकर रेलवे द्वारा किया जा रहा यह प्रयास प्रशंसनीय है, लेकिन ट्रेन टिकिट की बुंकिंग के जरिए अपनी रोजी कमा रहे निजी वेंडर्स और एंजेंट्स के लिए यह बुरी खबर है, जिससे उन लाखों लोगों के धंधे पर पर बिजली गिरना तय हैं, जो कमीशन के आधार पर वर्षों से व्यवसाय कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है पिछले साल जून में ऑपरेशन थंडर नामक एक गोपनीय मुहिम में रेल सुरक्षा बल ने अवैध तरीकों का इस्तेमाल कर ट्रेन टिकट कंफर्म कराने वाले दलालों के राष्ट्रव्यापी रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस मुहिम में देश के लगभग 150 शहरों में अलग-अलग जगहों पर छापे मार कर 276 दलालों को भी गिरफ्तार किया गया। उनके पास से 50, 000 यात्रियों से संबंधित 32 लाख रुपए अधिक कीमत के 22, 000 से ज्यादा टिकट जब्त किए गए थे। सबसे ज्यादा दलाल कोलकाता और बिलासपुर में पकड़े गए थे।
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आईआरसीटीसी के एजेंट भी करते है गोरखधंधा
साफ्टवेयर के माध्यम से आईआरसीटीसी के एजेंट भी टिकटों के गोरखधंधा में संलिप्त पाए गए। रेलवे पुलिस के मुताबिक 420 अधिकृत ऐसे एजेंट को पकड़ा गया है जो अवैध साफ्टवेयर से टिकटों की बुकिंग करते थे। 11 फरवरी से 12 फरवरी के बीच दो दिनों के ड्राइव में 319 एजेंट को गिरफ्तार किया गया इनमें 3 एजेंट ने स्वीकारा कि वह अवैध साफ्टवेयर से टिकटों की बुकिंग करते थे।
देश के 7 बड़े शहरों से चलता है यह काला करोबार
टिकट की कालाबाजारी करने वाले आरोपियों के तार कोलकाता, बेंगलूरू, लखनऊ, मुंबई, अहमदाबाद, शिलांग और जोधपुर से जुड़े हुए है। आरपीएफ ने इन जगहों से 59 दलालों को गिरफ्त में लिया है।
कॉमन सर्विस सेंटर्स भी की जा सकती है रेल टिकिट की बुकिंग
रेल मंत्रालय का मानना है कि निजी वेंडर्स और एजेंट के हटने के बाद यात्री 'कॉमन सर्विस सेंटर्स' जा सकते हैं, जिसे सरकार द्वारा संचालित किया जाता है। पीयूष गोयल ने कहा कि अमूमन यह देखा गया हे कि बुकिंग शुरू होने तुरंत ही कुछ देर में ट्रेन टिकट सोल्ड आउट हो जाता है। इसलिए मंत्रालय ने जांच के बाद कई कदम भी उठाए हैं।
गैर-कानूनी सॉफ्टवेयर्स की मदद से की जाती है बुकिंग
ट्रेन टिकट बुक करने के लिए कई तरह के 'गैर-कानूनी सॉफ्टवेयर्स' का इस्तेमाल किया जाता था। करीब 10 करोड़ रुपए के ट्रेन टिकट को कैंसिल कर दिया जाता है। इन सॉफ्टवेयर्स को बैन कर दिया गया है और इस मामले में 104 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। लोकसभा में रेल मंत्री ने कहा, 'हम सभी लोगों से आग्रह करुंगा कि गारंटीड टिकट की लालच में ऐसे एजेंट्स या वेडर्स के बहकावे में न आएं।
सबसे बड़ा रेल-टिकट घोटाला, 8 करोड़ के ई-टिकट ब्लॉक किए गए
मैक सॉफ्टवेयर के जरिए करोड़ों रुपए की रेल ई-टिकट बुकिंग के मामले में भारतीय रेलवे ने 8 करोड़ रुपए कीमत के ई-टिकट ब्लॉक किया गया। इन टिकटों को दुबई में बैठे मास्टरमाइंड की गैंग ने जारी किया था, जिससे आईआरसीटीसी को चूना लगाया जा रहा था।अब आईआरसीटीसी ने ऑनलाइन टिकट-बुकिंग में संशोधन करके सिक्योरिटी फीचर्स एड किए हैं। दूसरी तरफ रेलवे ने आरबीआई को पत्र लिखकर प्रत्येक ई-टिकट बुकिंग के लिए ओटीपी भेजने की व्यवस्था करने के लिए कहा है।
ऑपरेशन थंडरः 275 दलाल पकड़े गए, 22000 फर्जी टिकट जब्त
रेल सुरक्षा बल ने ऑपरेशन थंडर' के तहत गोपनीय अभियान में अवैध तरीकों का इस्तेमाल कर ट्रेन टिकट कंफर्म कराने वाले दलालों के राष्ट्रव्यापी रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस सिलसिले में गुरुवार को देश के लगभग डेढ़ सौ शहरों में अलग-अलग जगहों पर छापे मार कर पौने तीन सौ दलालों को गिरफ्तार किया गया। इनके पास से पचास हजार यात्रियों से संबंधित 32 लाख रुपये से अधिक कीमत के बाइस हजार से ज्यादा टिकट जब्त किए गए। सबसे ज्यादा दलाल कोलकाता और बिलासपुर में पकड़े गए हैं।
आरक्षित टिकट हासिल करने के लिए जानिए क्या है दलालों का तरीका
आरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक आरक्षित टिकट हासिल करने के लिए टिकट दलाल विभिन्न तरीकों से आइआरसीटीसी की वेबसाइट को हैक करते हैं। टिकट दलाल कई नकली पर्सनल आइडी बनाकर रखते हैं। सुबह दस बजे आम यात्रियों के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा ओपन होती है। जबकि सवा दस बजे से एजेंट की आइडी ओपन होती है। करीब सवा 11 बजे से स्लीपर के रिजर्वेशन टिकट एजेंट बना सकते हैं। पंद्रह मिनट के इस अंतर में ही एजेंट फर्जी पर्सनल आइडी से धड़ाधड़ टिकटों की बुकिंग करते हैं।
हाईस्पीड इंटरनेट का उपयोग से जल्द टिकट बना लेते हैं दलाल
टिकट दलालों द्वारा जल्द टिकट बनाने के लिए हाईस्पीड इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। जिस बीच आपका कर्सर घूम रहा होता है, उसी दौरान ये लोग कई टिकट बुक करा चुके होते हैं। इसी वजह से आपको कंफर्म टिकट नहीं मिल पाता है। यही नहीं, वेटलिस्टेड टिकट पर इमरजेंसी कोटे के तहत आरक्षण की उम्मीद रखने वाले दिव्यांग, बुजुर्ग, महिला, खिलाड़ी, सैनिक और पदक विजेता खिलाडि़यों की उम्मीदें भी इन अराजक तत्वों के कारण पूरी नहीं हो पातीं।
जबलपुर में 13 फर्जी आईडी से बनाए गए 720 ई-टिकट
जबलपुर के कृष्णा ट्रैवल्स के संचालक ने अपने सहयोगी की मदद से आईआरसीटीसी की 13 फर्जी आईडी बनाकर तकरीबन 720 ई-टिकट बुक करने का मामला सामने आ चुका है। इन टिकटों की कीमत 15 लाख रुपए बताई गई थी। जांच के बाद ट्रैवल्स के ऑफिस से कंप्यूटर, प्रिंटर जब्त करते हुए संचालक और उसके सहयोगी को गिरफ्तार कर लिया गया।