राजस्थान की स्कूल की किताब में वीडी सावरकर अब 'वीर सावरकर' नहीं कहलाएंगे
नई दिल्ली। राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के साथ ही यहां की किताबों में भी विचारधारा का टकराव देखने को मिल रहा है। अशोक गहलोत सरकार ने सत्ता में आने के छह महीने के भीतर स्कूल की तमाम किताबों में बदलाव किया है। यह बदलाव ऐतिहासिक घटनाक्रम, व्यक्तियों और एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान लिए गए फैसलों में किया गया है। ताजा मामला राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी कि किताबों में किया गया है। जिसमे वीडी सावरकर के नाम के आगे से वीर शब्द को हटा दिया गया है।
कमेटी का गठन
दरअसल 13 फरवरी को एक रिव्यू कमेटी का गठन किया गया था, जिसे यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वह इस बात की समीक्षा करे कि बीती सरकार में किताबों में जो संशोधन किए गए क्या वह राजनीतिक वजहों से थे और उसे जारी रखा जाना चाहिए या फिर उसे फिर से बदलना चाहिए। कक्षा 12वीं की इतिहास की किताब में वीडी सावरकर के की भूमिका में संशोधन किया गया है। सावरकर के नाम के आगे से वीर शब्द को हटा लिया गया। उनका नाम स्वतंत्रता आंदोलन के चैप्टर में है। इस चैप्टर में सावरकर के योगदान कृी विस्तृत चर्चा की गई है।
भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया
नई किताब में अब वीर सावरक का नाम विनायक दामोदर सावरकर है। जिसमे इस बात की जानकारी दी गई है कि कैसे जेल में बंद होने के दौरान अंग्रेजों को सावरकर चार बार दया याचिका के लिए पत्र लिखा। दूसरी दया याचिका में उन्होंने खुद को पुर्तगाली बताया था साथ ही लिखा गया है कि साावरकर ने देश को हिंदू देश बनाने की दिशा में काम किया। सावरकर ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया और पाकिस्तान के गठन का भी विरोध किया।
गोडसे की हत्या में चला ट्रायल
30 जनवरी 1948 में गांधी की हत्या के बाद गोडसे को उनकी हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया और उनपर केस चला, बाद में उन्हें इस मामले से बरी कर दिया गया। पुरानी किताब में लिखा था कि मुगल बादशाह अकबर महाराणा प्रताप को पकड़ने में विफल रहा था। हल्दीघाटी के युद्ध का परिणाम महाराणा प्रताप के पक्ष में बताया गया है, मुगल सेना ने महाराणा प्रताप का पीछा नहीं किया और भय में रही। जबकि नई किताब में लिखा है कि महाराणा प्रताप अपने घोड़े चेतक को मरता हुआ छोड़कर युद्ध के मैदान से भाग गए। महाराणा प्रताप और अकबर के बीच धर्म की लड़ाई नहीं थी, बल्कि श्रेष्ठता की थी। युद्ध के परिणाम के बारे में किताब में कुछ नहीं कहा गया है।
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