संक्रमित गर्भवती महिलाओं के गर्भनाल पर कोरोना कर रहा अटैक, शोध में हुआ ये बड़ा खुलासा
संक्रमित गर्भवती महिलाओं के गर्भनाल पर कोरोना कर रहा अटैक, शोध में हुआ ये बड़ा खुलासा
नई दिल्ली। कुछ दिनों पहले इग्लैंड द्वारा की गई अस्तपाल में भर्ती कुछ कोरोना पॉजिटिव महिलाओं पर की स्टडी के बाद दावा किया जा रहा था कि अन्य महिलाओं की तुलना में गर्भवती महिलाओं में कोरोना वायरस का गंभीर खतरा नहीं हैं लेकिन अब विशेषज्ञों ने ये खुलासा किया हैं कि गर्भवती महिलाएं जो कोरोना संक्रमित हैं उनके प्लेसेन्टा तक को कोरोना अफेक्ट कर रहा हैं जिसके कारण पैदा होने वाले बच्चे की सेहत को प्रभावित करेगा।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने पिछले महीने ही कोरोना पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं और बच्चे की देखभाल के लिए मानक निर्धारित किए थे। अब गर्भवती महिलाओं को लेकर ये नई चिंता उभर आई है, क्योंकि कोरोना गर्भवती महिला के प्लेसेन्टास को छति पहुंचा रहा हैं। मालूम हो कि गर्भनाल या प्लेसेंटा जो बच्चे के विकास में अहम रोल निभाता है ये गर्भ में पल रहे बच्चें और मां के बीच के बीच की सबसे खास कड़ी होती हैं।
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, शिकागो के शोधकर्ताओं द्वारा 16 महिलाओं पर किए गए अध्ययन जो कि गर्भवती होने के दौरान कोविद -19 के लिए सकारात्मक परीक्षण किया था, बच्चे के जन्म के तुरंत बाद किए गए परीक्षणों में पाया गया कि उनके प्लेसेंटा में चोटिल थे। शुक्रवार को द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल पैथोलॉजी में प्रकाशित किया गया था। वरिष्ठ लेखक डॉ जेफरी गोल्डस्टीन ने बताया कि बच्चों को कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया लेकिन गर्भनाल पर कोरोना के अटैक के कारण गर्भाशय में माताओं और शिशुओं के बीच असामान्य रक्त प्रवाह हुआ। शोधकर्ताओं ने कहा कि निष्कर्ष यह बताने में मदद कर सकते हैं कि गर्भवती महिलाओं को इस कोरोना के दौरान चिकित्सकीय निगरानी कैसे की जानी चाहिए।
अब तक, यह स्पष्ट नहीं था कि कोरोना शिशुओं के बीच स्वास्थ्य के मुद्दों का कारण कैसे बन सकते हैं, गोल्डस्टीन ने कहा, एक सदी पहले स्पेनिश फ्लू महामारी के दौरान संक्रमित महिलाओं के लिए पैदा हुए लोगों में दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव देखे गए। गोल्डस्टीन ने बताया, "यह बताने के लिए बहुत जल्दी है कि इन महिलाओं से पैदा हुए बच्चों में आगे क्या समस्यएं होगी लेकिन हम जानते हैं कि 1918-19 फ्लू महामारी के दौरान गर्भाशय में लोगों को हृदय रोग और अन्य दीर्घकालिक परिणाम मिले थे। उन्होंने कहा कि अब इन बच्चों की ऐसे परिणामों को देखने के लिए जारी रखने की आवश्यकता है।" उस महामारी में भी, फ्लू ने प्लेसेंटा को प्रभावित किया था। गोल्डस्टीन ने गर्भवती महिलाओं के प्लेसेंटा पर कोरोना के कारण घायल होने के कारण पैदा हुए बच्चें में प्रतिरोधक क्षमता समेत अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
इससे पहले कई रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया था कि गर्भवती महिलाओं का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और इसकी वजह से इनमें दूसरी महिलाओं की तुलना में संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी के अनुसार आम महिलाओं की तुलना में अश्वेत गर्भवती महिलाओं में कोरोना का खतरा चार गुना ज्यादा होता है। स्टडी में मोटापे, पहले से कोई बीमारी और 35 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में संक्रमण फैलने की संभावना के बारे में भी बताया गया है. शोध में यह भी पाया गया कि कोरोना वायरस से संक्रमित चार में से एक गर्भवती महिला ने समय से पहले बच्चे को जन्म दिया.