एमपी में जीत के सर्वे भी बीजेपी नेताओं के चेहरों पर नहीं ला पा रहे मुस्कान, ये है चिंता की असल वजह
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान है और इसके लिए राजनीतिक दलों ने अपनी बिसात बिछानी शुरु कर दी है। मध्यप्रदेश में बीजेपी पिछले 15 साल से सत्ता में है और इस बार उसके सामने वापसी को लेकर कड़ी चुनौती है। हाल में दो मीडिया संस्थानों द्वारा कराए गए सर्वे में एक में बीजेपी की हार तो एक में उसकी जीत होना बताया गया है। जीत की संभावा से बीजेपी को खुश होना चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। पार्टी को लग रहा है कि इस वक्त जमीनी हकिकत कुछ और है। प्रदेश में उसका संगठनात्मक ढांचा बिगड़ चुका है और इसका असर उसके चुनाव प्रबंधन पर दिखने लगा है। इससे पहले पार्टी हमेशा ये दावा करती रही है कि मध्यप्रदेश में उसकी संगठनात्मक संरचना सबसे बेहतर रही है।
सूत्रों का कहना है कि कभी सबसे बेहतर संगठन के लिए जाना जाने वाला राज्य मध्यप्रदेश इस वक्त संगठन को लेकर बुरी स्थिति से गुजर रहा है। इस वक्त मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संगठन के नेताओं के बीच समन्वय की भारी कमी है और ये पार्टी के लिए चुनाव में संकट पैदा कर सकता है।
नहीं है कोई आपसी समन्वय
पार्टी
के
अंदरूनी
सूत्रों
का
यहां
तक
कहना
है
कि
समन्वय
की
बात
तो
दूर
इस
वक्त
सरकार
और
संगठन
के
बीच
किसी
भी
मामले
को
लेकर
कोई
आपसी
समझ
तक
नहीं
हैं।
पार्टी
की
ओर
से
निर्णय
लेने
के
लिए
कोई
नहीं
है।
पार्टी
में
ये
गिरावट
महीनों
में
नहीं
बल्कि
कई
सालों
से
हो
रही
है।
सरकार
और
संगठन
के
बीच
समन्वय
की
कमी
पिछले
दो-तीन
साल
पहले
शुरू
हुई
और
अब
जब
चुनाव
सिर
पर
हैं
तो
ये
अपने
चरम
पर
है।
पार्टी
ने
इसमें
सुधार
के
लिए
कोई
कदम
नहीं
उठाया।
इसके
विपरीत
राजस्थान
में
जहां
संगठन
और
सरकार
के
बीच
कोई
समन्वय
नहीं
था
वहां
मामले
को
बेहतर
तरीके
से
संभला
गया
है।
ये
भी
पढ़ें:-
अपने
ही
संसदीय
क्षेत्र
में
पीएम
मोदी
को
मिली
चेतावनी,
कहा-
अंजाम
भुगतने
को
तैयार
रहें
फिसल रहा है वक्त
पार्टी के अंदरूनी सूत्र कह रहे हैं कि मध्यप्रदेश में संगठन की संरचना इस वक्त लगभग ध्वस्त हो गई है और इसका असर चुनाव प्रबंधन और इससे जुड़े कामों पर दिख रहा है। ये तक कहा जा रहा है कि समन्वय की कमी के कारण पार्टी के कई कार्यकर्ता घर पर बैठे हैं और यही कारण है की बीजेपी की रैलियों में भीड़ नहीं आ रही है। राज्य में संगठन इस वक्त बड़े बदलाव से गुजर रहा है। इस संबंध में जानकारी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को भी भेजी गई है लेकिन राज्य में पार्टी के हाथ से वक्त बड़ी तेजी से फिसल रहा है।
लोग चाहते हैं बदलाव
अंदरखाने राज्य में बीजेपी नेतृत्व चिंतित हैं क्योंकि उसे लग रहा है कि कम से कम मध्य प्रदेश में कांग्रेस की तरफ लोग झुक रहे हैं और बीजेपी की सत्ता में वापसी संभव नहीं है। यदि उसे वापसी करनी है तो उसे गुजरात विधानसभा चुनाव की तरह कोई करिश्मा करना होगा। कहा जा रहा है कि भले ही राज्य में कांग्रेस नेतृत्व में मतभेद हो और एकजुटता की भी कमी हो लेकिन लोग इस बार भाजपा को हटाकर कांग्रेस को मौका देना चाहते हैं
ये भी पढ़ें:- बिहार में बीजेपी के मुखर बागी, कांग्रेस के टिकट पर लड़ सकते हैं चुनाव