केजरीवाल सरकार में इस बार भी कोई महिला नहीं बनी मंत्री, 1993 से सिर्फ इतनों को मिला मौका
नई दिल्ली-अरविंद केजरीवाल ने लगातार दूसरी बार अपनी पार्टी की महिला विधायकों और आम आदमी पार्टी को आगे बढ़कर वोट देने वाली महिला वोटरों को निराश किया है। एक चुनाव बाद के सर्वे का तो दावा है कि फर्स्ट टाइम वोटरों में से 68 फीसदी महिला वोटरों ने महिला सशक्तिकरण और महिला सुरक्षा के लिए केजरीवाल के नाम पर वोट डाले हैं। लेकिन, फिर भी सीएम केजरीवाल ने जिन 6 विधायकों को कैबिनेट में जगह दी है, उनमें पार्टी की 8 महिला विधायकों में से कोई भी शामिल नहीं है। बता दें कि अपनी पहली ही सरकार में उन्होंने एक महिला विधायक को कैबिनेट में जगह दी थी, लेकिन उसके बाद से वह महिलाओं को मंत्री बनाने से परहेज कर रहे हैं। वैसे आपको हैरानी होगी कि केजरीवाल की सरकार अकेले नहीं है। दिल्ली में 1993 के बाद से अबतक जितनी भी सरकारें बनी हैं, उनमें सिर्फ 4 महिलाओं को ही कैबिनेट में जाने का मौका मिल पाया है।
लगातार दूसरी बार महिला को कैबिनेट में जगह नहीं
तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली ही ऐसा राज्य है, जिसने दो-दो महिला मुख्यमंत्रियों की सत्ता देखी है। लेकिन, लगातार दूसरी बार ऐसा हुआ है, जब महिला सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण करने वाले अरविंद केजरीवाल की कैबिनेट में किसी महिला मंत्री को जगह नहीं मिली है। जबकि, यही सीएम केजरीवाल हैं, जिन्होंने 2013 में अपनी 49 दिनों वाली सरकार में भी राखी बिड़ला को मंत्रिमंडल में जगह दी थी। राखी बिड़ला आम आदमी पार्टी की कांग्रेस समर्थित सरकार में 28 दिसंबर, 2013 से लेकर 14 फरवरी, 2014 तक केजरीवाल की पहली कैबिनेट की सदस्य रही थीं। तब मुख्मंत्री ने उन्हें महिला और बाल कल्याण, समाज कल्याण और भाषा विभागों की जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन, 2015 और 2020 दोनों ही बार जब दिल्ली की जनता ने उन्हें ईवीएम भर-भर कर वोट दिए, तब उन्होंने महिलाओं को मंत्री बनने लायक नहीं पाया।
1993 से दिल्ली में सिर्फ 4 महिला मंत्री
आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि देश की राजधानी में महिला जनप्रतिनिधियों के प्रति लगभग सभी राजनीतिक दलों का रवैया एक जैसा ही नजर आता है। यही वजह है कि 1993 से यानि कि पिछले 27 वर्षों में दिल्ली में सिर्फ 4 महिलाओं को ही मंत्री बनने का मौका दिया गया है। जबकि, इस दौरान दिल्ली की तख्त पर दो-दो महिला मुख्यमंत्री बैठी हैं और शीला दीक्षित के नाम आज भी सबसे ज्यादा दिनों तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड कायम है। दिल्ली में 1993 से अब तक जिन 4 महिलाओं को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, उनमें पूर्णिमा सेठी (बीजेपी-1998), कृष्णा तीरथ (कांग्रेस- 1998 से 2001), किरण वालिया (कांग्रेस 2008-13) और राखी बिड़ला (आप-2013-14) का नाम शामिल है। इनमें से सिर्फ किरण वालिया ही अपना कार्यकाल पूरा कर सकी हैं, बाकी तीनों में से कोई पूरे कार्यकाल के लिए मंत्री नहीं रह सकीं।
27 साल में सिर्फ 39 महिला विधायक
दिल्ली में अब तक कुल 7 बार विधानसभा के लिए चुनाव हो चुके हैं। लेकिन, राज्य की राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत ही कम रहा है। सिर्फ दिल्ली सरकार में ही नहीं, विधानसभा में भी उनकी मौजूदगी बेहद कम रही है। 1993 से 2020 के बीच इन सातों विधानसभा चुनावों में दिल्ली के लोगों ने कुल मिलाकर महज 39 महिला विधायकों को ही विधानसभा में चुनकर भेजा है। इनमें कांग्रेस सब पर भारी है, जो पिछले दो चुनावों में शून्य पर सिमटने के बावजूद महिला विधायकों के मामले में 20 के आंकड़े को छू सकी है। भाजपा की बात करें तो उसकी दोनों ही महिला विधायक क्रमश: पहले विधानसभा चुनाव 1993 और दूसरी 1998 में चुनी गई थी। पिछले तीन चुनावों में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली को कुल 17 महिला विधायक दिए हैं, लेकिन जब बारी मंत्री बनाने की आती है तो केजरीवाल महिला मंत्रियों पर भरोसा जताने में यकीन नहीं रखते। क्योंकि, इस बार आम आदमी पार्टी की कुल 8 महिला विधायक जीती हैं, लेकिन फिर भी 6 कैबिनेट मंत्रियों में उनके नाम नदारद हैं।
17 लोकसभा चुनाव, सिर्फ 8 महिला सांसद
दिल्ली की बात करें तो सिर्फ विधानसभा में ही नहीं, लोकसभा में भी महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। पिछले 17 लोकसभा चुनावों में दिल्ली में महज 8 महिला सांसद चुनी गई हैं। 1999 से लेकर 2019 तक के चार लोकसभा चुनावों में हर बार दिल्ली की सात में से एक सीट पर महिला सांसद चुनाव जीती हैं। पिछले दो चुनावों से लगातार नई दिल्ली सीट पर भाजपा के टिकट पर मीनाक्षी लेखी चुनकर लोकसभा पहुंची हैं। लेकिन, 6 लोकसभा चुनावों में दिल्ली से कोई महिला सांसद नहीं चुनी गई और तीन चुनावों में ही ऐसा मौका आया जब एक से ज्यादा महिला सांसद चुनी गईं। 1977,1988 और 1996 लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सात में दो-दो पर महिलाएं जीतकर संसद पहुंचीं।