महज 7 दिन में पाकिस्तान में कोरोना संक्रमित की संख्या 53 से 645 पहुंच गई, जानिए वजह?
बेंगलुरू। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में कोरोनावायरस का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले पांच दिनों का आंकड़ा उठा कर देखेंगे तो दांतों तले उंगली दबाने का दिल करेगा। महज 7 दिन पहले जब प्रधानमंत्री मोदी सार्क देशों के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए कोरोनावायरस महामारी से निपटने के लिए मीटिंग कर रहे थे, तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने उसमें बिल्कुल रूचि नहीं दिखाई।
हालांकि सार्क मीटिंग के एक दिन बाद पाक पीएम ने कोरोनावायरस से लड़ने के लिए पाकिस्तानी सरकार को अक्षम बता दिया और पूरी दुनिया के आगे भीख का कटोरा लेकर बैठ गए। अब तक पाकिस्तान में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 645 हो चुकी है और महज 3 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, लेकिन उससे निपटने के लिए पाकिस्तान कोई माकूल कदम उठाती नहीं दिख रही है।
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गौरतलब है पाकिस्तान में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या में दो दिनों में करीब दोगुनी वृद्धि हुई। 17 मार्च को पाकिस्तान में जहां 237 मरीज पॉजिटिव रिपोर्ट हुए थे, लेकिन 19 मार्च रात 10 बजे तक पाकिस्तान में पॉजिटिव केसों की संख्या 448 पहुंच चुकी थी। यानी दो दिन में पाकिस्तान में संक्रमित मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई और अब दो दिन बाद यानी 21 मार्च को आंकड़ा अब 645 पहुंच चुका है।
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सिंध प्रांत में कोरोनावायरस पीड़ित मरीजों की संख्या सबसे अधिक रिपोर्ट की गई है, जहां अब 292 लोग, पंजाब में 152 लोग, बलूचिस्तान में 104 लोग, खैबर पख्तूनख्वा में 31 लोग, गिलगित-बाल्टिस्तान में 55, इस्लामाबाद में 11 लोग और गुलाम कश्मीर में 1 लोग कोरोनावायरस पॉजिटिव पाए गए है।
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार, 15 मार्च को सार्क देशों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग की थी, लेकिन कोरोनावायरस से बेफिक्री दिखाते हुए तब मीटिंग में पाक पीएम इमरान खान ने स्वास्थ्य मंत्री डा. जफर मिर्जा को बिठा दिया था, जिन्होंने एक संवेदनशील मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की पूरी कोशिश की।
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पाकिस्तान ने सार्क देशों की मीटिंग में महामारी पर चर्चा करने के बजाय कश्मीर मुद्दा लहराने वाले में अधिक व्यस्त दिखी और फिर जैसे ही पाकिस्तान में कोरोनावायरस पीड़ितों की संख्या इजाफा होने लगा तो पाक पीएम इमरान खान ने कोरोना के बहाने आईएमएफ से कोरोना संकट के बीच पाकिस्तान समेत सभी गरीब देशों के कर्जी माफ करने की गुजारिश करने लगे।
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पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने फैलते कोरोना में हाथ धोते हुए स्वास्थ्य संरचना और संसाधन को हवाला देते हुए वर्ल्ड बैंक से 20 करोड़ ऋण की गुहार भी लगा दी है जबकि यह पाकिस्तान ही था, जिसने चीन में मेडिकल सुविधा पहुंचाने में जुटी थी, तब उसे अर्थव्यवस्था और अपनी अवाम की न ही चिंता हुई और न ही पैसे की कमी आड़े आई।
मंगलवार, 17 मार्च को राष्ट्र के नाम संबोधन में इमरान खान ने देश के सामने हाथ खड़े करते हुए कहा, हम तो जी गरीब मुल्क है, लिहाजा कोरोनावायरस के डर से दूसरे देशों की तरह हर चीज पर तालाबंदी अथवा शटडाऊन नहीं कर सकते, क्योंकि अगर ऐसा किया गया तो लोग भूखे मरने लगेंगे।
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वैसे, पाकिस्तान की हालत किसी से छिपी हुई नहीं है, लेकिन उसकी प्राथमिकताओं पर सवाल उठते रहे हैं। पाकिस्तान की हालत इतनी खराब है तो इमरान खान ने फरवरी माह में चीन को कोरोना से बचाव के लिए मास्क समेत दूसरी जरूरी चीजों की जबर्दस्त सप्लाई कैसे की थी।
यह दावा हम नहीं बल्कि चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने किया है। चीन के अखबार ने पाकिस्तान के रवैये को सकारात्मक तरीके से पेश करते हुए उसे दोनों देशों के बीच अच्छी दोस्ती करार दिया था। पाकिस्तानी मीडिया लगातार इमरान सरकार पर आरोप लगाती आ रही है कि पीएसएल गेम के चलते पाकिस्तान अपने कोरोनावायरस संक्रमित लोगों को छुपा रही है।
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पाकिस्तानी स्वास्थ्य मंत्री डॉ. जफर मिर्जा ने हालांकि मीडिया के आरोपों को निराधार बताया। जफर मिर्जा के मुताबिक सरकार द्वारा कोरोनोवायरस के मामलों की कुल संख्या को छिपाने की रिपोर्ट झूठी हैं। उन्होंने कहा कि 'सामान्य खांसी या फ्लू के हर छोटे मामले को कोरोनो वायरस के तौर पर देखना गलत है। बकौल, स्वास्थ्य मंत्री, पीएसएल 20 फरवरी से शुरू हुआ है और यह 22 मार्च तक चलेगी।
निः संदेह पाकिस्तानी सरकार कर्ज के बड़े बोझ के तले दबी हुई और वहां की अर्थव्यवस्था का हाल भी बेहद खराब है। मंहगाई और भ्रष्टाचार का आलम ऐसा है कि जरूरी चीजों की कीमतों में जबर्दस्त आग लगी हुई है, जिससे सामान्य चीजें भी आम लोगों की पहुंच से दूर हो गई है।
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पाकिस्तान में मौजूद संसाधनों का रोना पाकिस्तानी सरकार तब भी रो चुकी है जब पाकिस्तानी छात्र वुहान शहर से वीडियो मैसेज के जरिए इमरान सरकार की लानत-मलानत कर रहे थे, क्योंकि पाकिस्तानी सरकार ने कोरोना वायरस से निपटने में अपने स्वास्थ्य सुविधाओं का हवाला देते हुए पाकिस्तान वापस लाने से मना कर उन्हें वहां मरने के लिए छोड़ दिया था।
माना जा रहा है कि कोरोना वायरस को टूल बनाकर पाकिस्तान अपने अंतरराष्ट्रीय ऋणों को माफ कराने अथवा उसमें रियायत पाने की वजह ढूंढ रही थी। इसलिए जानबूझ कर को मर्ज को खुला छोड़ दिया और अब जब पाकिस्तान में कोरोनावायरस पीड़ितों की संख्या में दिनोंदिन इजाफा होने लगा है, तो इमरान सरकार कटोरा लेकर वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ के सामने और ऋण और ऋणमाफी की याचना करने लगे है।
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हालांकि बुधवार, 18 मार्च तक पाकिस्तान सरकार ने चीन से मिलने वाली संभावित मदद का इंतजार किया। यही कारण था कि पाकिस्तान सार्क मीटिंग जानबूझकर रूचि नहीं ली, लेकिन दो दिवसीय चीन यात्रा से बुधवार, 18 मार्च को जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति के वतन खाली हाथ लौटे तो इमरान खान दुनिया से सामने आ गए। ऐसा लगता है कि चीन से उसे वादे से अधिक कुछ नहीं मिला।
ऐसा अनुमान है कि पाकिस्तान चीन से कोरोना वायरस से लड़ने मिलने वाली मदद के अलावा विश्व बैंक और आईएमएफ की ओर से मदद की घोषणाओं के इंतजार में भी बैठा था, लेकिन जब चीन ने उसे लगभग ठेंगा सा दिखा दिया तो लगभग बर्बाद हो चुके अर्थव्यवस्था और भारी कर्ज के बोझ तले दबे पाकिस्तान ने मदद के लिए ऋण, रियायत और ऋणमाफी की योजना को आगे बढ़ा दिया।
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ऐसा सुनने में आ रहा है कि वर्ल्ड बैंक ने कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए पाकिस्तान के ऋण डिमांड के मद्देनजर कुल 14 करोड़ डॉलर उसे देने के लिए संभवतः राजी हो गयी है। हालांकि इमरान खान ने वर्ल्ड बैंक से 20 करोड़ डॉलर यानी 1500 करोड़ रुपए ऋण मदद डिमांड रखी है।
पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से कहें तो पाकिस्तान में स्थिति ज्यादा खराब है। मीडिया का आरोप है कि सरकार जानबूझकर कोरोना वायरस के मामलों दबाने में लगी हुई थी ताकि वहां जारी टी20 क्रिकेट लीग पर कोई आंच न आए, जिससे पाकिस्तानी सरकार को कमाई की उम्मीद है।
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यही वजह है कि पाकिस्तानी पीएम ने कोरोनावायरस संक्रमण के बावजूद वहां के सिनेमाहॉल, बाजार, शॉपिंग मॉल, स्कूल, कॉलेज, जहां वायरस के फैलने का सबसे अधिक खतरा है, उसे भी बंद नहीं करने की मजबूरी गिना दी है। हालांकि कोरोना वायरस को देखते हुए इस WHO और अन्य कई संस्थाओं ने इस तरह के सार्वजनिक आयोजनों से परहेज करने की सलाह दी थी।
बकौल इमरान खान, अगर पाकिस्तान में सिनेमा हॉल, बाजार, शॉपिंग मॉल बंद कर दिए गए तो यहां के लोग भूखे मर जाएंगे। इमरान खान ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वो कोरोनावायरस से खुद को बचाने के लिए सभी सुरक्षा उपाय करें। उन्होंने इसके लिए उन्होंने धर्म गुरुओं से भी मदद मांगी है।
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यही वजह था कि WHO ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों की सही जानकारी मुहैया नहीं करा रहे हैं, जिसके लिए पाकिस्तान के दो मंत्रियों को सफाई देने के लिए बाहर आना पड़ा।
उल्लेखनीय है WHO की फटकार के बाद पाकिस्तान सरकार की ओर से बना दवाब जैसी ही छंटा तो पाकिस्तान में कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों की अचानक बाढ़ आ गई है। पिछले पांच दिनों के भीतर में पाकिस्तान में करीब 400 नए मरीज कोरोनावायरस संक्रमित घोषित किए गए हैं और संक्रमितों की संख्या में और इजाफा होने की पूरी आंशका है।
दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान सरकार ने कोरोनावायरस संक्रमण से बचाव के लिए एक तरफ जहां उसने ईरान, अफगानिस्तान के साथ लगी अपनी सरहदों को चौक-चौबंद कर रखा था, तो दूसरी ओर पैसा कमाने के चक्कर में पीएसएल खेलों का आयोजन बेखौफ होकर कर रहा है, जिसमें भारी भीड़ जुटती है।
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माना जा रहा है कि पाकिस्तान को कोरोना वायरस का खतरा बाकी देशों से ज्यादा है। इसकी सीमाओं से अंदर-बाहर करना आसान है, अस्पतालों की हालत खराब है, हाथ मिलाना और गले मिलने परंपरा का हिस्सा है और बड़े शहरों में भी लाखों की जनसंख्या अशिक्षित है। इस सबके अलावा देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और इसे कई बार इंटरनैशनल मॉनिटरी फंड से लोन लेने की जरूरत पड़ चुकी है। इन सब बातों से इमरान खान भी अच्छा तरह वाकिफ हैं। पाकिस्तान में अब तक पाकिस्तान में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 456 हो चुकी है और महज 23 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। सिंध प्रांत में कोरोनावायरस पीड़ित मरीजों की संख्या सबसे अधिक रिपोर्ट की गई है, जहां अब 245 लोग, पंजाब में 78 लोग, बलूचिस्तान में 87 लोग, खैबर पख्तूनख्वा में 23 लोग, गिलगित-बाल्टिस्तान में 12, इस्लामाबाद में 7 लोग और गुलाम कश्मीर में 1 लोग कोरोनावायरस पॉजिटिव पाए गए है।
पाकिस्तान में नहीं है जरूरी संसाधन, पर्याप्त नहीं है अस्पताल व लैब
खराब अर्थव्यवस्था और कर्ज के भारी बोझ से हलकान पाकिस्तान की हालत दिन-पे-दिन बिगड़ती जा रही है, लेकिन उसके पास कोरोना से निपटने के लिए कोई भी जरूरी संसाधन नहीं है। मास्क हो या सैनिटाइजर, यहां तक वहां पर कोरोना की जांच करने वाले किट की भी कमी है। इसलिए पाकिस्तान ने वर्ल्ड बैंक से कर्ज की गुहार लगाते हुए कहा कि उनके यहां मौजूद 270 सार्वजनिक अस्पताल और लैब जानलेवा कोरोना के संक्रमण को रोकने में पर्याप्त नहीं हैं।
कोरोना संक्रमण रोकने के लिए वर्ल्ड बैंक से 20 करोड़ डॉलर लोन की मांग
दिवालिया हो चुकी है इकॉनमी के चलते पाकिस्तान ने वर्ल्ड बैंक से कर्ज की गुहार लगाई है। पाकिस्तान वर्ल्ड बैंक से 20 करोड़ डॉलर कर्ज की मांग कर रहा है ताकि उसे कोरोना से लड़ने में मदद मिल सके। पाकिस्तान ये मदद कोरोना से लड़ने में संसाधन खड़े करने के लिए मांग रहा है।योजना आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में कोरोना वायरस से लड़ने की तैयारी में तेजी के लिए क्षमता विस्तार को मंजूरी दे दी गई। मंजूरी के दस्तावेज के मुताबिक, वर्ल्ड बैंक से उन्हें पाकिस्तान को कम से कम 14 करोड़ डॉलर मिलने की उम्मीद है
एडीबी ने भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद का भरोसा दिया
वहीं एशियाई विकास बैंक ने भी अपने विकासशील सदस्यों को कोरोना महामारी से लड़ने के लिए 650 करोड़ डॉलर (करीब 45,500 करोड़ रुपये) की वित्तीय मदद देने का भरोसा दिया है। बैंक ने कहा है कि इस शुरुआती पैकेज का मकसद विकासशील सदस्य देशों को कोरोना से लड़ने के लिए तत्काल मदद मुहैया कराना है। यह बैंक एशिया और प्रशांत क्षेत्रों में सतत विकास और गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में काम करता है।
पीएम मोदी ने COVID19 इमरजेंसी फंड बनाने का रखा प्रस्ताव
कोरोना वायरस के खतरे पर सभी सार्क देशों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'मेरा प्रस्ताव है कि हम COVID-19 इमरजेंसी फंड बनाएं। यह हम सभी के स्वैच्छिक योगदान पर आधारित हो सकता है। भारत इस फंड के लिए एक करोड़ अमेरिकी डॉलर के कंट्रीब्यूशन के साथ शुरुआत कर सकता है। मीटिंग में जानकारी साझा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कैसे भारत विदेशों से करीब 1400 भारतीय को सुरक्षित वापस लेकर आया और जनवरी से ही एहतियात और जांच शुरू कर दिया था.
संसाधनों की कमी के चलते पाक ने छात्रों को चीन में मरने के लिए छोड़ दिया
कोरोना वायरस से प्रभावित वुहान शहर में फंसे सैकड़ों पाकिस्तानी छात्रों को पाकिस्तान सरकार ने संसाधनों की हवाला देकर वापस पाकिस्तान लाने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद पाकिस्तान की इमरान खान सरकार से भारत से सीख लेने और उन्हें चीन के हुबेई प्रांत से निकालने के लिए पाकिस्तानी छात्रों ने गुहार लगाई थी। भारत ने मालदीव (Maldieves) के सात नागरिकों समेत 654 लोगों को वुहान से बाहर निकाल लाई। चूंकि पाकिस्तान ने भारत से पाकिस्तानी छात्रों को वुहान शहर से निकालने की पहल नहीं की वरना भारत पाकिस्तानी छात्रों को भी वहां से निकालने को तैयार थी। चीन में नियुक्त पाकिस्तान के राजदूत नगमाना हाशमी ने बकायदा बयान देकर कहा था कि पाकिस्तानी छात्रों को वुहान से इसलिए नहीं निकाला जाना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज करने की समुचित व्यवस्था नहीं है। हालांकि हाशमी की टिप्पणी से एक दिन पहले ही स्वास्थ्य मामलों पर प्रधानमंत्री के विशेष सहायक डा. जफर मिर्जा ने कह दिया था कि पाकिस्तानी सरकार अपने नागरिकों को वापस नहीं लाएगी।