हरियाणा में भाजपा का संकटमोचन बने निर्दलीय विधायक, इनके हाथों में थी सत्ता की चाभी
हरियाणा में भाजपा का संकटमोचन बने निर्दलीय विधायक, इनके हाथों में थी सत्ता की चाभी
बेंगलुरु। हरियाणा में भाजपा बहुमत से भले ही दूर रह गई थी, लेकिन राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी बीजेपी ने निर्दलीय विधायकों के समर्थन से फिर से सरकार बनाने का ऐलान कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी की गाड़ी बहुमत से 6 सीट दूर ही अटक गई थी। ऐसे में हरियाणा लोकहित पार्टी के सिरसा विधायक और राज्य में पूर्व मंत्री रहे गोपाल कांडा समेत अन्य निर्दलीय विधायक भाजपा के संकटमोचन बने और हरियाणा में सरकार बनाने में मदद की। माना जा रहा कि इसमें सबसे अहम भूमिका गोपा कांडा ने निभाई। बीजेपी को सरकार बनाने के लिए महज 6 विधायकों की जरुरत थी लेकिन शुक्रवार दोपहर तक 7 निर्दलीय विधायकों और दो अन्य पार्टियों से जीत कर आए विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। यानी अब मनोहर लाल खट्टर के पास कुल 49 विधायकों का साथ हो गया है। जो कि बहुमत के आंकड़े से काफी ज्यादा है।
बता दें गुरुवार देर रात हरियाणा के पांच निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और हरियाणा बीजेपी के प्रभारी और महासचिव अनिल जैन से मुलाकात कर हरियाणा में बीजेपी को समर्थन देने पर मुहर लगा दी थी। उसके बाद बाकी के विधायक भी बीजेपी के साथ आए और अपना समर्थन देने की चिट्ठी दी। माना जा रहा है कि मनोहर खट्टर दिवाली के बाद सीएम पद की शपथ ले सकते हैं। इन निर्दलीय विधायको में रणधीर गोलन- पुंडरी, बलराज कुंडू- महम, रणजीत सिंह- रानियां, राकेश दौलताबाद-बादशाहपुर, गोपाल कांडा -सिरसा, सोमवीर सांगवान- दादरी, धर्मपाल गोंदर- नीलोखेड़ी, अभय चौटाला-आईएनएलडी नयनपाल रावत - पृथला से विधायक चुन कर आए है। मिलिए भाजपा के लिए संकटमोचन बन कर आए इन विधायको से।
राकेश दौलताबाद
सामाजिक संगठन परिवर्तन संघ के माध्यम से वह पिछले कई वर्षों से सेवा कार्यों में जुटे हुए हैं। कहावत है यदि सही दिशा में ईमानदारी से प्रयास किया जाए तो देर से ही सही लेकिन सफलता मिलती ही है। इस बात को परिवर्तन संघ के अध्यक्ष राकेश दौलताबाद की जीत से एक बार फिर प्रमाणित कर दिया है। बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र से दो बार लगातार असफल रहे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। तीसरी बार में उन्हें विजय हासिल हो गई। संघ की ओर से समय-समय पर रक्तदान शिविर, स्वच्छता अभियान सहित कई तरह के अभियान चलाए जाते हैं। गरीब कन्याओं की शादी के लिए उनके परिजनों को सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा भी कई तरह के कार्य हैं जो संघ के माध्यम से किए जाते हैं। स्वच्छता अभियान का भी समय-समय पर आयोजन किया जाता है। इन सभी वजहों से उन्होंने कम से कम समय में इलाके के बड़े सामाजिक कार्यकर्ता के साथ ही एक सशक्त नेता के रूप में पहचान बना ली।
हरियाणा की बादशाहपुर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे राकेश दौलताबाद ने 2009 और 2014 के चुनाव में रनर अप रहे थे। यानी अपनी मौजूदगी का मजबूती से अहसास तो उन्होंने पहले ही करवा दिया था. अब 2019 के चुनाव में वह निर्दलीय ही जीत का ताज भी पहन चुके हैं. आपको बता दें कि 2009 में राकेश दौलताबाद ने अपना पहला चुनाव निर्दलीय की तरह लड़ा था, जबकि 2014 में वह इनेलो के टिकट पर चुनावी मैदान में थे और इस बार इनेलो ने टिकट नहीं दिया तो वह बागी हो गए और निर्दलीय ही चुनाव लड़े और जीते भी।
गोपाल कांडा-सिरसा
हरियाणा की लोकहित पार्टी के नेता गोपाल कांडा सिरसा से विधायक बनकर बीजेपी को समर्थन कर सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई। हरियाणा की राजनीति की जब भी बात आती है, तब गोपाल कांडा का नाम आ ही जाता है। ये एक ऐसी शख्सियत हैं जो चर्चित और विवादित दोनो हैं। उनके जीवन की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं रही है। एक छोटे से दुकानदार से लेकर एयरलाइंस के मालिक बनने तक का कांडा का सफर काफी अनोखा रहा है। 54 साल के गोपाल कांडा का पूरा नाम गोपाल गोयल कांडा है, जो हरियाणा के सिरसा जिले में स्थित बिलासपुर गांव के मूल निवासी हैं। उनके पूर्वज यहीं के एक बाजार में सब्जी की तौल का काम करते थे और यहीं से उन्हें कांडा सरनेम मिल गया। ऐसा इसलिए क्योंकि लोहे के बाट को स्थानीय भाषा में कांडा कहा जाता है। हालांकि उनके पिता मुरलीधर कांडा ये काम नहीं करते थे। वह जिले के एक अच्छे वकील थे।
सोमबीर सांगवान
हरियाणा की दादरी सीट से भाजपा के बागी नेता सोमबीर सांगवान ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। उन्होंने विधानसभा चुनाव के समय टिकट बंटवारे के समय भाजपा का टिकट न मिलने पर भाजपा को बाय बाय बोल दिया था। बात दें भाजपा ने इनका टिकट काट कर बबीता फौगाट को टिकट दिया था। 2014 में उन्होंने इसी सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे. इस बार भाजपा ने सांगवान को टिकट ना देते हुए यहां से बबीता फोगात को खड़ा किया था, लेकिन दंगल गर्ल बबीता फोगात को सांगवान ने चारों खाने चित कर दिया है। सांगवान ने बबीता को टिकट दिए जाने पर अपना विरोध जताते हुए ये भी कहा था कि भाजपा ने सांगवान खाप के साथ-साथ कार्यकर्ताओं को भी निराश किया है। उन्होंने कहा था कि वह कार्यकर्ताओं से बात कर के ये फैसला करेंगे कि राजनीति छोड़ें या सिर्फ पार्टी. साथ ही ये भी कहा था कि अगर कार्यकर्ता कहेंगे तो वह निर्दलीय चुनाव जरूर लड़ेंगे. और देखिए उन्होंने न सिर्फ चुनाव लड़ा, बल्कि जीत भी गए।
बलराज कुंडु
हरियाणा की मेहम विधानसभा सीट पर जीते निर्दलीय नेता बलराज कुंडु पहले भाजपा में थे। जब भाजपा की ओर से उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्होंने निर्दलीय ही चुनाव लड़ने का फैसला किया। कुंडु पहले रोहतक में जिला परिषद के चेयरमैन थे। हालांकि, भाजपा ने शमशेर सिंह खरखरा को टिकट दे दिया, जो पिछले दो चुनावों में इस सीट से कांग्रेस के आनंद सिंह डांगी को हरा चुके हैं। खैर, तब तो भाजपा ने इन्हें टिकट नहीं दिया, लेकिन अब भाजपा को उन्हीं की जरूरत पड़ रही गयी है। निर्दलीय उम्मीदवार बलराज कुंडू ने अपने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन कहा था कि जनता अपना मन बना चुकी है। जनता शासक नहीं बल्कि सेवक चुनना चाहती है। ऐसा सेवक जो उनके दुख-सुख में साथ रहे।
धर्मपाल गोंडर
हरियाणा की निलोखेड़ी विधानसभा सीट से धर्मपाल गोंडर ने एससी सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा। करनाल लोकसभा के तहत आने वाली निलोखेड़ी विधानसभा सीट पर करीब 25 फीसदी आबादी एससी यानी अनुसूचित जाति वालों की ही है। धर्मपाल गोंडर को इसका बड़ा फायदा मिला है और वह निर्दलीय उम्मीदवार की तरह वहां से जीत गए हैं. दिलचस्प है कि गोंडर भी भाजपा के बागी नेता हैं, जिन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने निर्दलीय ही चुनाव लड़ा और जीत दर्ज कर के दिखा दी।
नयन पाल रावत
हरियाणा की निलोखेड़ी विधानसभा सीट से धर्मपाल गोंडर ने एससी सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा। करनाल लोकसभा के तहत आने वाली निलोखेड़ी विधानसभा सीट पर करीब 25 फीसदी आबादी एससी यानी अनुसूचित जाति वालों की ही है। धर्मपाल गोंडर को इसका बड़ा फायदा मिला है और वह निर्दलीय उम्मीदवार की तरह वहां से जीत गए हैं। दिलचस्प है कि गोंडर भी भाजपा के बागी नेता हैं, जिन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने निर्दलीय ही चुनाव लड़ा और जीत दर्ज कर के दिखा दी।
रणधीर सिंह गोल्लेन
हरियाणा की पुंद्री विधानसभा सीट से रणधीर सिंह गोल्लेन ने निर्दलीय की तरह चुनाव लड़ा और ये भी भाजपा के बागी नेता है। उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया तो उन्होंने निर्दलीय की तरह चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। यहां उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार सतबीर सिंह को हराया है।
रंजीत सिंह
हरियाणा में चुनाव निर्दलीयों में जीतने वालों की लिस्ट में एक कांग्रेस के बागी नेता भी हैं, जिनका नाम है रंजीत सिंह है। कांग्रेस ने उन्हें रानिया विधानसभा से टिकट देने से मना कर दिया और विनीत कंबोज को टिकट दे दिया तो वह निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते भी। टिकट कटने पर उन्होंने कांग्रेस पर आरोप भी लगाया था कि कांग्रेस में टिकटें बिकी हैं। उन्होंने ये भी कहा कि अशोक तंवर ने ही उनकी टिकट काटा है और कांग्रेस को गर्त में ढकेलने का काम किया है। सत्ता में शामिल होने वाले रानियां से जीते रणजीत सिंह 31 साल बाद वे एक बार फिर से विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ेंगे। गुरुवार देर रात एक वीडियो सामने आया था। जिसमें रंजीत सिंह यह कहते सुने गए कि, मैं बीजेपी को अपना समर्थन दे रहा हूं, मैं रानियां विधानसभा से एमएलए चुनकर आया हूं, मैं मोदी जी की नीतियों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी को अपना समर्थन दे रहा हूं। रणजीत सिंह को रानियां से दो विधानसभा चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा था।
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