'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' की ठसक के आगे फीकी पड़ रही है ताजमहल की चमक!
बंगलुरू। करीब 377 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक आगरा का ताजमहल अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में विख्यात है, लेकिन गुजरात के नर्मदा जिले में निर्मित महज एक वर्ष पुरानी स्टेच्यू ऑफ यूनिटी आजकल देश और दुनिया के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
नर्मदा नदी के तट पर बनी भारत के पहले गृह मंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल की आदमकद मूर्ति को देखने के लिए पर्यटकों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। यह संख्या इतनी है कि इसने अपनी संगमररी आभा से कई सदी से लुभा रही ताजमहल को भी पीछे छोड़ दिया है।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक एक वर्ष के अंतराल में ही स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ने ऐतिहासिक ताजमहल को पीछे छोड़ दिया है, क्योंकि पिछले एक वर्ष के अंतराल में देश दुनिया से आए पहुंचने वाले पर्यटकों ने ताजमहल की तुलना में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की ओर अधिक रूख किया है।
इसकी गवाही स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को देखने आने वाले पर्यटकों से होने वाली कमाई को आधार बनाया गया है। हालांकि ताजमहल की तुलना में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी में पर्यटकों की संख्या कम है, लेकिन इसकी कमाई ताजमहल से कहीं ज्यादा है। हालांकि स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की तुलना में ताजमहल के दीदार के टिकट का दर काफी कम है।
भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट के अनुसार 182 मीटर ऊंचे स्टेच्यू ऑफ यूनिटी पर्यटकों के बीच अधिक पॉपुलर हो रहा है। स्टेच्यू ऑफ यूनिटी आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ने के कमाई में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी ने प्यार की निशानी कहे जाने वाले ऐतिहासिक ताज महल को पीछे छोड़ दिया है।
आंकड़ों में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की सालाना कमाई जहां 65 करोड़ रुपए है, वहीं ताजमहल की वार्षिक कमाई महज 56 करोड़ रुपए रिकॉर्ड किए गए हैं। हालांकि पर्यटकों की संख्या के लिहाज से ऐतिहासिक ताजमहल अभी भी चोटी पर बना हुआ। वर्ष 2014 के आंकड़ों के मुताबिक ताजमहल को देखने 70-78 लाख पहुंचे थे।
दुनिया के सबसे ऊंची प्रतिमाओं में शुमार सरदाल बल्लभभाई पटेल की आदमकद मूर्ति कुल ऊंचाई तकरीबन 182 मीटर है, जो अमेरिका स्थित स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से करीब 89 मीटर ऊंची है और दुनिया के दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा चीन में स्थित स्पिंग टेंपल बुद्धा से कुल 29 मीटर ऊंची है। यही कारण है कि कौतुहल वश दुनिया भर के पर्यटक स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए नर्मदा जिले में लगातार पहुंच रहे हैं।
31 मार्च, 2018 को स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण में तकरीबन 3000 करोड़ रुपए का खर्च आया है, जिसके रख रखाव में ही हर रोज 12 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं। 182 मीटर लंबे सरदार बल्लभभाई पटेल की लोहे की मूर्ति के अंदर एक लिफ्ट भी लगी है।
स्टेच्यू ऑफ यूनिटी में लगी लिफ्ट पर्यटकों को ऊपर बने गैलरी तक ले जाती है और वहीं से पर्यटक खूबसूरत नर्मदा नदी पर निर्मित 163 मीटर ऊंचे सरदार सरोवर बांध का दीदार कर पाते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अनावरण के 11वें दिन स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को देखने वाले पर्यटकों की संख्या 1 लाख 28 हजार पार चुकी थी।
31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर इस विशालकाय मूर्ति के निर्माण का शिलान्यास किया था। यह स्मारक सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर है जो कि नर्मदा नदी पर एक टापू है। यह स्थान भारतीय राज्य गुजरात के भरुच के निकट नर्मदा जिले में स्थित है।
स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण कार्य का 11 अक्टूबर 2013 को शुरू हुआ और मूर्ति का निर्माण कार्य मध्य अक्टूबर 2018 में ही समाप्त हो गया। इसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर किया गया। स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण लार्सन एंड टूब्रो कंपनी द्वारा संपन्न किया गया।
गुजरात टूरिज्म डिमार्टमेट के मुताबिक 1 नवंबर 2018 से 12 सितंबर 2019 के बीच स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को देखने दुनिया भर से करीब 26 लाख लोग पहुंचे और स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए निर्धारित दर से हुई टिकटों की बिक्री से कुल 57 करोड़ रुपए की कमाई हुई। इसमें विदेशी और एनआरआई पर्यटकों की संख्या तकरीबन 12.35 लाख थी।
गुजरात टूरिज्म डिमार्टमेंट की वेबसाइट के मुताबिक स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए टिकट दर वयस्कों के लिए 120 रुपए और बच्चों के लिए 60 रुपए है, लेकिन स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की चोटी पर पहुंचकर गैलरी देखने के लिए वयस्कों को 350 रुपए चुकाने पड़ते हैं और बच्चों के लिए टिकट की दर 200 रुपए रखी गई है।
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