‘आप’ की कलह खा ना जाए ‘आप’को
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) कहते हैं कि उस घर में कलह होती है,जहां पर दरिद्रता होती है। पर, आम आदमी पार्टी (आप) में कलह-क्लेश तब हो रहे हैं जब पार्टी को हाल के दिल्ली विधानसभा चुनावों में शानदार सफलता मिली। उसकी दिल्ली में सरकार बन गई।
आप में कलह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। आप में कलह अब आधिकारिक हो गई है। पार्टी ने एक चिट्ठी लिखकर बताया है कि क्यों योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और शांति भूषण पर कार्रवाई की गई। इसमें कहा गया है कि जब पार्टी का हर कार्यकर्ता दिल्ली में चुनाव जीतने की कोशिश में जुटा था, उस दौरान ये पार्टी को हराने की दिशा में काम कर रहे थे। प्रशांत भूषण ने लोगों को चंदा देने से रोका और योगेंद्र यादव ने खबरें प्लांट करवाईं।
जानकारों का मानना है कि आप में जो हो रहा है, वह इस दल को खा जाएगा। इसके नेता ही अपनी पार्टी की कब्र खोद रहे हैं। इस बीच, आप ने दावा किया है कि इसी के चलते आप ने इन पर कार्रवाई की।
तो पार्टी से निकालो
पर सवाल यह है कि अगर ये खराब हैं तो इन्हें पार्टी से निकाला क्यों नहीं जाता। इस सवाल का जवाब आप का कोई नेता नहीं देता। बहरहाल,प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को आम आदमी पार्टी (आप) के अंदर जिस तरह से अपमानित किया गया उसके चलते कहने वाले कह रहे हैं कि केजरीवाल घटिया आदमी निकला। दूसरे नेताओं जैसा ही है यह आदमी। संजय सिंह, आशुतोष जैसे चापलूसों और जी-हुजूरियों की फ़ौज बचेगी 'आप' में।
केजरीवाल की झूठी महानता
एक पत्रकार ने तो कहा कि केजरीवाल की महानता झूठी है। वह नौटंकीबाज हैं केजरी बाबू। उसकी आत्मा कतई डेमोक्रेटिक नहीं है। वह तानाशाह और आत्मकेंद्रित व्यक्ति है। उसमें और दूसरी पार्टियों के आलाकमानों में कोई फर्क नहीं है।
चापलूसों की जमात
कहने वाले यहां तक कह रहे हैं कि केजरीवाल के पास चापलूसों की जमात है। जो सिर्फ केजरीवाल की वजह से ही जाने पहचाने जाते हैं। चाहे वह संजय सिंह हों अथवा दिलीप पांडेय हों अथवा कोई और हो इस पार्टी की पीएसी में कुछ लोगों को छोड़ दिया जाए तो बाकियों को कौन जानता है। कौन हैं संजय सिंह सारे केजरीवाल की परछाई हैं। ये संजय सिंह कौन हैं? इनका खुद का वजूद क्या है? लेकिन लोकतंत्र में जो चमचागिरी करने में माहिर हैं वो हमेशा मौज में रहते हैं।