दिल्ली में मुसलमानों को साथ लेकर ऐसे 70 में 60 सीटें जीतना चाहती है BJP
नई दिल्ली- पहले दिल्ली नगर निगम (Municipal Corporations of Delhi) के चुनाव, फिर सातों लोकसभा सीटों पर बड़ी जीत से दिल्ली बीजेपी (Delhi BJP) का हौसला बुलंद है। पार्टी को उम्मीद है कि अगर कार्यकर्ताओं का यही जज्बा बरकार रहा, तो अगले साल फरवरी में दिल्ली (Delhi) की सत्ता से 22 साल का उसका वनवास खत्म हो सकता है। लोकसभा चुनाव के नतीजे देखने के बाद दिल्ली भाजपा (Delhi BJP) ने 2020 के विधानसभा चुनावों के लिए 70 में से 60 सीटें जीतने का टारगेट रखा है। इसके लिए वह उन वोटरों के बीच भी अपना बेस मजबूत करना चाहती है, जो अबतक उससे दूर रहे थे, लेकिन लोकसभा चुनावों में उनका सपोर्ट भी पार्टी को मिला है।
'मिशन 2020' में जुटी दिल्ली बीजेपी
दिल्ली की सातों सीटों पर जीत के जश्न के साथ-साथ दिल्ली बीजेपी (Delhi BJP) के नेताओं ने 2020 के विधानसभा चुनावों की रणनीति बनानी भी शुर कर दी है। इंडिया टुडे की एक खबर के मुताबिक बुधवार को तालकटोरा स्टेडियम (Talkatora Stadium) में इस सिलसिले में एक बड़ी मीटिंग भी होने वाली है, जिसमें 3,000 से ज्यादा पार्टी नेताओं के मौजूद रहने की संभावना है। कुल मिलाकर पार्टी का एजेंडा ये है कि लोकसभा चुनाव में भारी जीत के हौसले को ठंडा न होने दे और हर हाल में इसबार विधानसभा चुनावों में फतह हासिल करे।
स्लम कॉलोनियों पर भी भाजपा की नजर
दिल्ली की स्लम कॉलोनियों ने अबतक भाजपा (BJP) को निराश ही किया था। ऐसी कॉलोनियों के ज्यादातर वोटर आमतौर पर कांग्रेस (Congress) या आम आदमी पार्टी (AAP) के वोट बैंक माने जाते हैं। लेकिन, दिल्ली में 22 साल का वनवास खत्म करने के लिए अब दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) ऐसी कॉलोनियों से भी जुड़ने की योजना पर काम शुरू कर चुके हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly) के लिए वो जो कैंपेन शुरू कर चुके हैं, उसमें वाल्मीकि बस्तियों एवं झुग्गी-झोपड़ियों में ठहरने की योजना भी शामिल है। इसमें बीजेपी (BJP) के दूसरे बड़े नेता भी उनका साथ देंगे। दरअसल, इसबार के लोकसभा चुनाव में पार्टी को इन इलाकों में भी बढ़त मिली है, जिससे उसका उत्साह काफी बढ़ गया है। जानकारी के मुताबिक मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) ने वजीराबाद में तो ऐसा रात्रि विश्राम शुरू भी कर दिया है। उनका यह कार्यक्रम दिल्ली (Delhi) के सभी 70 विधानसभाओं और 14 संगठनात्मक जिलों में चलेगा। इस महीने तिवारी के दो और ऐसे कार्यक्रम होने हैं। जबकि, पार्टी के संगठन मंत्री सिद्धार्थन (Siddharthan) सभी विधानसभाओं में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करके उन्हें अगले चुनाव के लिए मोटिवेट कर चुके हैं। दिल्ली (Delhi) के चुनावों में अवैध कॉलोनियों (unauthorised colonies) का मुद्दा भी बड़ा होता है। साउथ दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी ने वादा किया है कि दिल्ली में सरकार बनने के 90 दिनों के अंदर इन कॉलोनियों को नियमित किया जाएगा। ये वादे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) सरकारें भी कर चुकी हैं, लेकिन इसे पूरा करने में सब नाकाम रही हैं।
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मुस्लिम वोटरों पर भी डोरे डालने की तैयारी
2019 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली (Delhi) के 13,816 बूथों में से सिर्फ 1,808 बूथों पर ही भाजपा (BJP) को हार का सामना करना पड़ा। ये बूथ अधिकतर मुस्लिम-बहुल इलाकों (Muslim-dominated areas) में हैं। अब ऐसी जानकारी है कि बीजेपी मुसलमानों के बीच भी अपना बेस मजबूत करने की कोशिश करेगी। दिल्ली बीजेपी के संगठन मंत्री सिद्धार्थन (Siddharthan) जल्द ही पार्टी की एक ऐसी मीटिंग कर सकते हैं, जिसमें कार्यकर्ताओं से मुसलमानों के बीच जाने और समुदाय के लोगों को पार्टी से जोड़ने के लिए कह सकते हैं। बीजेपी कार्यकर्ताओं की ये भी जिम्मेदारी रहेगी कि वे मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ गरीब मुसलमानों तक भी ज्यादा से ज्यादा पहुंचना सुनिश्चित करें। यानी दिल्ली बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नया नारा- 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' को जमीन पर उतारने की कोशिशों में भी जुट चुकी है।
70 में से 60 सीटें जीतने का टारगेट
जानकारी के मुताबिक हालिया चुनाव में भाजपा को 70 में से 65 विधानसभाओं में बढ़त मिली, सिर्फ मुस्लिम बहुल 5 क्षेत्रों में ही कांग्रेस उसपर भारी पड़ी। दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता अशोक गोयल (Ashok Goel) कहते हैं, "लोकसभा चुनाव में हमें (बीजेपी) समाज के सभी वर्गों के वोट मिले हैं। लोग नरेंद्र मोदी सरकार की कामयाबी और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सरकार की नाकामी के आधार पर बीजेपी को सपोर्ट करेंगे। भाजपा ने अगले साल के चुनाव के लिए कुल 70 सीटों में से 60 सीटें जीतने का टारगेट रखा है और हम उसे हासिल करेंगे।" यही नहीं उनके मुताबिक पार्टी दिल्ली में किसी को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश नहीं करेगी। पार्टी जून से लेकर नवंबर तक कार्यकर्ताओं का मुद्दों पर आधारित कई सर्वे करने जा रही है, जिसके आधार पर आगे की रणनीति बनाई जा सके।
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