बारामूला में एक दशक बाद दरवाजे-दरवाजे जाकर हो रहा सर्च ऑपरेशन
बारामूला के पुराने बारामूला में एक दशक बाद एक ऐसा सर्च ऑपरेशन चलाया गया है जिसमें सेना, पुलिस और पैरामिलिट्री के जवान शामिल है। हर दरवाजे को खटका कर हर घर की तलाशी ली जा रही है।
बारामूला। घाटी में पिछले तीन माह से अशांति का माहौल है। इस माहौल में ही कई ऐसी चीजें हो रही हैं जो या तो पहली बार हो रही हैं या फिर कई वर्षों के बाद सुनाई दे रही हैं। बारामूला में जारी सर्च ऑपरेशन इनमें से ही एक है।
सुबह से ही बुलेट प्रूफ गाड़ियों की भागमभाग
यहां पर करीब एक दशक बाद इंडियन आर्मी, पुलिस, सीआरपीएफ और बीएसएफ ने एक दशक बाद अब तक का सबसे गहन सर्च ऑपरेशन चलाया है।
बारामूला के पुराने शहर में मंगलवार को यह सर्च ऑपरेशन चलाया गया। करीब 12 घंटे से भी ज्यादा समय तक इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया जो तड़के सुबह पांच बजे शुरू हुआ था।
बारामूला में मंगलवार को जो लोग जल्दी जागे उन्हें एक अजीब सा माहौल देखने को मिला। शहर में चारों ओर बुलेट प्रूफ गाड़ियां नजर आ रही थीं।
इन गाड़ियों को सुबह की नमाज से पहले ही यहां पर तैनात कर दिया गया था। जो लोग प्रार्थना के लिए जाने वाले थे उन्हें घर में ही रहने को कहा गया।
लोगों से घरों में रहने को कहा गया
बाद में लाउडस्पीकर से घोषणा की गई कि शहर में सर्च ऑपरेशन और क्रैकडाउन जारी है। सुरक्षाबलों को छोटी-छोटी टीमों में बांट दिया गया था। हर टीम में आर्मी, पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स के जवान थे।
बारामूला के एसएसपी इम्तियाज हुसैन मीर ने बताया कि सेना पर हाल ही में दो बार हमला हुआ है और इन हमलों के बाद यह ऑपरेशन लाजिमी था।
सेना पर दो बार हमला
सेना पर पहला हमला 17 अगस्त को बारामूला के ख्वाजा बाग में हुआ जिसमें सेना के दो जवान और एक पुलिस ड्राइवर की मौत हो गई थी। वहीं एक और हमला तीन अक्टूबर को हुआ।
इसमें आतंकियों ने स्टेडियम कॉलोनी स्थित 49 राष्ट्रीय राइफल्स के हेडक्वार्टर में दाखिल होने की कोशिश की थी। इसमें बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गया तो एक सैनिक घायल हो गया था।
क्या है सर्च ऑपरेशन का मकसद
सुरक्षाबल भी पिछले शुक्रवार को घाटी में चीन के झंडे मिलने के बाद एक कड़ा संदेश देने के मूड में हैं। मीर की मानें तो सुरक्षाबल इस पूरे इलाके को आतंकियों से पूरी तरह से आजाद कराना चाहते हैं।
अब तक करीब 700 घरों की तलाशी ली जा चुकी है। बड़ी संख्या में ऐसे ठिकानों का पता लगा है जो आतंकियों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं।
क्यों संवेदनशील है पुराना बारामूला
बारामूला का पुराना शहर झेलम नदी के किनार बसा है और यह पांच पुलों के जरिए मुख्य शहर से जुड़ा हुआ है। शहर के दूसरी ओर सिविल लाइन, सरकारी अधिकारियों के घर और अहम सैन्य संस्थान हैं जिसमें 19 इंफेंट्री डिविजन के जीओसी का घर भी शामिल है।
अलगाववादियों का गढ़
बारामूला के पुराने शहर को अलगाववादियों का गढ़ भी माना जाता है। इस शहर ने हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से कई तरह के विरोध प्रदर्शन भी देखे हैं।
हर शुक्रवार को यहां पर एक बड़ी रैली निकलती है जिसमें पुलिस को भीड़ नियंत्रण के लिए आंसू गैस का प्रयोग तक करना पड़ता है।
पिछले तीन माह से जारी विरोध प्रदर्शनों के दौरान बारामूला में हालांकि अभी तक किसी की मौत नहीं हुई है लेकिन कई लोगों की गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।