नालंदा विश्वविद्यालय में एडमिशन शुरु, सितंबर से चलेगी पाठशाला
नामांकन के लिए 40 देशों के करीब एक हजार से अधिक छात्रों ने आवेदन दिया है। एक दौर में बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय पूरी दुनिया के शिक्षा और ज्ञान का केंद्र था। पांचवीं सदी में एशिया के विभिन्न इलाकों के छात्र इस विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए आते थे परंतु बाद में हमलावरों ने इसे नष्ट कर दिया।
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अब 21वीं सदी में एक बार फिर इस प्राचीन अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय को जीवित किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ़ गोपा सबरवाल ने बताया कि शुरुआती शैक्षणिक सत्र एक सितंबर से प्रारंभ हो जएगा। दो विषयों के लिए नामांकन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्टडीज और स्कूल ऑफ इकोलॉजी एंड एनवायरमेंट स्टडीज विषयों के स्नातकोत्तर में नामांकन के लिए भारत के ही नहीं, बल्कि अमेरिका, जापान, रूस, इंग्लैंड, श्रीलंका समेत अनेक देशों के 1000 से ज्यादा छात्रों ने आवेदन दिया है। अब तक इन दोनों विषयों में छह अध्यापकों की बहाली हो चुकी है। प्रारंभ में इन दोनों विषयों में 20-20 छात्रों का नामांकन किया जाना है।
नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की परिकल्पना तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने की थी। डॉ. कलाम उस समय जब जिले में एक रेल कोच कारखाने के शिलान्यास के मौके पर आए थे, तब उन्होंने तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार से नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने की चर्चा की थी। इसके बाद से ही तैयारियां शुरु हुईं व अब शुभ घड़ी आ गई है कि इतिहास के इस कण को वर्तमान में अपनाया जाए।