Mission Bengal: हर हाल में बंगाल फतह करना चाहते हैं अमित शाह, जानिए क्या है शाह की तैयारी?
बेंगलुरू। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 की तैयारियां बीजेपी ने शुरू कर दी हैं। पश्चिम बंगाल के राजरहाट में आयोजित पहली रैली में अमित शाह ने अपने आक्रामक रूख से इसके स्पष्ट संकेत दे दिए हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में पार्टी की करारी हार से सबक लेते हुए पूर्व बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पश्चिम बंगाल में जमीनी स्तर पर कैंपेन की शुरूआत की है।
शाह ने इसके लिए प्रति माह बंगाल का दौरान करने और प्रत्येक माह में एक सप्ताह बंगाल में डेरा डालने की योजना तैयार की है। इस दौरान शाह बंगाल में बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से मिलेंगे और बूथ टू बूथ की योजना तैयार करेंगे और ममता बनर्जी के मां, माटी और मानुष नारे की काट के लिए बांग्ला सीख रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने एक शिक्षक भी हाय कर लिया है।
गौरतलब है शाह के नेतृत्व में ही बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में कुल 18 सीटों पर जीत दर्ज करके पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री और सत्ताधारी त्रृण मूल कांग्रेस को हैरान कर दिया था। लोकसभा चुना में बीजेपी ने 40 फीसदी से अधिक वोट हासिल किए थे। बीजेपी ने सबसे अधिक लोकसभा सीटें आदिवासी बहुल और कुर्मी बहुल इलाके में हासिल की थी।
यही कारण है कि अल्पसंख्यक वोटों के बल पर दो बार पश्चिम बंगाल में सत्ता में काबिज रह चुकी त्रृण मूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी इस बार बीजेपी की चुनौती से निपटने के लिए 35 फीसदी वोट बैंक वाली जातियों यानी कुर्मी और आदिवासियों का वोट हासिल करने के लिए अपनी रणनीति बदलना पड़ी है।
दरअसरल, 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने टीएमसी के गढ़ में निकाली कुल 18 सीटों में से अधिकतम सीटें जंगलमहल क्षेत्र में कुर्मी और आदिवासी वोटों की बदौलत कुल 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी ने साल 2018 विधानसभा चुनाव में भी इसी क्षेत्र में हुए पंचायत चुनावों में कुल 150 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की थी। माना जाता है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में ओबीसी और आदिवासी वोटों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
माना जा रहा है कि बीजेपी के प्रति राजनीतिक रूप से निष्ठावान ओबीसी और आदिवासी वोटरों को तोड़ने के लिए ममता बनर्जी लगातार महतो समुदाय के संपर्क में है्। यह महतो समुदाय ऑल इंडिया झारखंड स्टूडेंट यूनियन ( आजसू) की समर्थक रही है। चूंकि अब झारखंड में आजसू से गठबधन टूट चुका है इसलिए माना जा रहा है कि ममता के लिए बीजेपी के इस गढ़ में सेंध लगाना आसान होगा। हालांकि बीजेपी आजसू को बड़ा फैक्टर नहीं मानती है।
पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज होने के लक्ष्य को हासिल करने की तैयारी में जुटे अमित शाह रविवार, 1 मार्च को कोलकाता पहुंचे थे। उन्होंने वहां करीब रात 12 बजे तक बैठक की और कार्यकर्ताओं से कहा कि वह अप्रैल से अक्टूबर तक हर महीने पश्चिम बंगाल में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच रहेंगे। इस दौरान उन्होंने पार्टी नेताओं के साथ कई मैराथन बैठक भी की थी, जिसका मजमून हर हाल में विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत सुनिश्चित करनी है।
शाह पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री शाह की व्यग्रता का पता इससे लगता है कि उन्हें रात 9:30 बजे के करीब वापस दिल्ली लौटना था, लेकिन वह रात 12 बजे तक बैठक करते रहे। कोलकाता से लौटते समय अमित शाह ने दो टूक शब्दों में इतना ही कहा कि इस बार हर हाल में बंगाल फतह करना है और दोहराया कि बंगाल की सत्ता पर काबिज होने और सांगठनिक मजबूती के लिए वो हर महीने राज्य का दौरा करेंगे और दुर्गा पूजा के समय बंगाल में ही डेरा जमाएंगे, जो पश्चिम बंगाल का सबसे बड़े त्योहारो में से एक है।
उल्लेखनीय है राजारहाट के एक होटल में हुई शाह की बैठक में अमित शाह के साथ भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सह प्रभारी अरविंद मेनन, राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मुकुल रॉय, प्रदेश महासचिव सायंतन बसु और संजय सिंह, सांगठनिक महासचिव सुब्रत चटर्जी समेत पार्टी के अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे।
अमित शाह ने प्रदेश इकाई को स्पष्ट किया है कि बंगाल के राजनीतिक हालात और कार्यकर्ताओं के साथ हो रही हिंसा की जमीनी हकीकत उन्हें भली-भांति पता है। प्रदेश इकाई को केंद्रीय स्तर से हर तरह की मदद मिलेगी। राज्य भाजपा नेतृत्व को किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है।
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अमित शाह खुद संभालेंगे पश्चिम बंगाल की कमान
बंगाल की सियासी धरती पर कमल खिलाने के लिए शाह ने खुद कमान अपने हाथ में लिया है। बात चाहे पश्चिम बंगाल में होने वाले आगामी निकाय चुनाव की हो अथवा 2021 में आसन्न विधानसभा चुनाव का, भाजपा का चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खुद से बंगाल में चुनावी कमान संभालने की तैयारी कर ली है। इसके लिए शाह ने कभी तृणमूल का चाणक्य रहे बीजेपी नेता मुकुल रॉय पर को जिम्मेदारी सौंपी है, जो निकाय और विधानसभा चुनाव का नेतृत्व करेंगे।
बांग्ला सीखने के लिए शाह ने बंगाली शिक्षक हायर किया
भले ही पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में अभी एक साल का समय है, लेकिन शाह ने चुनाव की तैयारियों में भाषा को आड़े नहीं आने देना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने बांग्ला भाषा सीख रहे हैं और इसके लिए एक बंगाली शिक्षक को भी हायर कर लिया है। कोशिश यह है कि भाजपा अध्यक्ष कम से कम बांग्ला भाषा को समझने लगें और पश्चिम बंगाल की सभाओं में अपने भाषणों की शुरुआत बांग्ला में करें, जिससे उनका भाषण प्रभावी लगे, क्योंकि ममता बनर्जी अक्सर मां, माटी और मानूष का नारा बुलंद करीत रही हैं।
बंगाल से ममता को हटाने के लिए शाह ने जारी किया मोबाइल नंबर
अमित शाह ने बंगाल से ममता बनर्जी सरकार के "अन्यायपूर्ण सरकार का हटाने को समर्थन देने के लिए बंगाल की जनता के लिए एक मोबाइल नंबर जारा किया। ममता को बंगाल से बाहर करने के लिए जारी किए गए मोबाइल नंबर 9727294294 डायल करने को कहा। मोबाइल नंबर जारी करते हुए शाह ने कहा कि बंगाल से ममता सरकार को हटाने की जरूरत है, क्योंकि राज्य की जनता सोनार बांग्ला के सपने को साकार करने के लिए अगले पांच साल राज्य की सत्ता भाजपा को सौंपे।
ममता की विफलताओं को वोटरों के घर-घर पहुंचाएंगे कार्यकर्ता
आगामी अप्रैल से भाजपा के दोनों शीर्ष यानी पूर्व बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और मौजूदा बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा बंगाल में हर महीने दौरा करने वाले हैं। बंगाल को लेकर बेहद संजीदा बीजेपी नेतृत्व कितना गंभीर है यह बीजेपी की दौरों और आक्रामक अंदाज से समझा जा सकता है। शाह ने पार्टी के प्रदेश नेतृत्व से आगामी निकाय चुनाव में ही राज्य सरकार की विफलताओं को लेकर वोटरों के घर-घर जाने की सलाह दी है। वहीं, पार्टी नेता मुकुल रॉय को चुनावी रणनीति बनाने के लिए हरी झंडी दे दी है।
ममता बनर्जी की नजर बीजेपी के निष्ठावान 35 फीसदी वोटरों पर
बीजेपी के प्रति राजनीतिक रूप से निष्ठावान ओबीसी और आदिवासी वोटरों को तोड़ने के लिए ममता बनर्जी लगातार महतो समुदाय के संपर्क में है्। यह महतो समुदाय ऑल इंडिया झारखंड स्टूडेंट यूनियन ( आजसू) की समर्थक रही है। चूंकि अब झारखंड में आजसू से गठबधन टूट चुका है इसलिए माना जा रहा है कि ममता के लिए बीजेपी के इस गढ़ में सेंध लगाना आसान होगा। हालांकि बीजेपी आजसू को बड़ा फैक्टर नहीं मानती है।