अलीगढ़ में अस्पताल का बिल ना चुकाने पर मरीज़ की पीट-पीटकर हत्या, क्या है पूरा मामला?
पुलिस का कहना है कि अगर पोस्टमार्ट में मौत की वजह मारपीट साबित होती है तो हत्या का मुक़दमा दर्ज किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक निजी अस्पताल पर आरोप लगा है कि उसके कर्मचारियों ने बिल चुकाने में असमर्थ एक मरीज़ की पीट-पीटकर हत्या कर दी
मरीज़ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.
अलीगढ़ के एसपी (सिटी) अभिषेक ने बीबीसी को बताया, ''मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन के ख़िलाफ़ शिकायत दी है जिसके आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है.''
उन्होंने कहा, ''हमें सीसीटीवी वीडियो मिला है जिसमें मारपीट होती दिख रही है. परिजनों ने अपनी शिकायत में कहा है कि अस्पताल प्रशासन ने मरीज़ और उन पर हमला किया.''
एसपी (सिटी) के मुताबिक शुरुआती जांच में पता चला है कि मरीज़ के परिजनों का फ़ीस को लेकर अस्पताल प्रशासन से विवाद हुआ था. उनका कहना है कि मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.
मृतक सुल्तान ख़ान के परिजिनों का कहना है कि उन्हें पेशाब न होने की शिकायत के बाद एनबी अस्पताल लाया गया था. जहां अस्पताल के अधिक ख़र्च बताने पर वो मरीज़ को किसी और अस्पताल ले जा रहे थे. इस दौरान ही विवाद हुआ और अस्पताल से जुड़े लोगों ने उन पर हमला किया.
क्या हैं परिजनों के आरोप
सुल्तान के परिजन चमन ख़ान ने एक बयान में कहा है, ''हम अपने मरीज़ को इलाज कराने के लिए एनबी अस्पताल लेकर पहुंचे थे. हमने मरीज़ को भर्ती कराने से पहले अस्पताल से पूछा था कि हमें ख़र्च बता दें, हमारा हिसाब होगा तो हम इलाज करा लेंगे. लेकिन अस्पताल ने कहा कि पहले जांच की जाएगी उसके बाद ख़र्च बताया जाएगा.''
उन्होंने कहा, ''बिना अल्ट्रासाउंड कराए ही उन्होंने पांच हज़ार रुपए की दवा दी और कहा कि रोज़ाना इलाज में पांच हज़ार रुपए से अधिक ख़र्च आएगा. हमने कहा कि इतना महंगा इलाज हम नहीं करा पाएंगे, जो दवा ली थी वो वापस करके हमने सैंतीस सौ रुपए का भुगतान कर दिया.''
चमन ख़ान ने कहा, ''अस्पताल प्रशासन ने हमसे चार हज़ार रुपए और मांगे, हमने पूछा ये किसलिए तो उन्होंने कहा ये अस्पताल में भर्ती होने का बिल है. मैंने कहा ये मैं नहीं दे पाउंगा. मैं अपने मरीज़ को दूसरे अस्पताल में ले जाना चाहता था लेकिन उन्होंने जाने नहीं दिया. हमें पंद्रह मिनट तक रोका रखा. मैं मिन्नतें करता रहा, वो नहीं माने. फिर मैंने धक्का दिया जिसके बाद उन्होंने हम पर हमला कर दिया. मेरे चाचा को डंडों से मारा जिससे उनकी मौत हो गई.''
अस्पताल प्रशासन का क्या कहना है?
चमन ख़ान के आरोपों को ख़ारिज करते हुए बीबीसी से बातचीत में अस्पताल के मालिक शान मियां ने कहा कि विवाद अस्पताल में कराई गई जांचों के बिल को लेकर हुआ है.
उन्होंने कहा, "वो मरीज़ को लेकर आए और जांच कराई. अस्पताल प्रशासन ने उन्हें ख़र्च के बारे में पूरी जानकारी दी थी. जब अस्पताल प्रशासन ने उनसे कहा कि मरीज़ का ऑपरेशन होगा और उसके लिए कोरोना की जांच होनी ज़रूरी है तो उन्होंने कहा कि हम कोरोना की जांच नहीं कराएंगे और अपने मरीज़ का कहीं और इलाज कराएंगे.'
शान मियां ने कहा, "वो अपने मरीज़ को बिना बिल चुकाए ही लेकर जा रहे थे, अस्पताल के कर्मचारी ने जब उनसे पैसे मांगे तो हमला किया. मरीज़ को ऑटो में बिठाकर वो कहीं ले गए थे, उसके कुछ देर बात वापस आए और हंगामा करने लगे कि अस्पताल कर्मचारियों के हमले में उनके मरीज़ की मौत हुई है."
वो कहते हैं, "उनकी शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. पुलिस जांच कर रही है और अस्पताल प्रशासन सहयोग कर रहा है. मृतक की पोस्टमार्ट रिपोर्ट अभी नहीं आई है, यदि मौत की वजह लाठी लगना है तो पुलिस क़ानून संगत एक्शन ले, लेकिन हमें बेवजह परेशान न किया जाए."
शान मियां ने कहा कि मरीज़ों में कोरोना की जांच को लेकर डर है. उनके अस्पताल में कोरोना का इलाज नहीं होता है और जो भी संदिग्ध मरीज़ आते हैं उन्हें मेडिकल कॉलेज भेज दिया जाता है.
शान मियां ने बताया कि अस्पताल में किसी भी तरह का ऑपरेशन कराने के लिए कोरोना संक्रमण की जांच कराई जाती है.
अस्पताल की फ़ीस
शान मियां के मुताबिक यदि किसी मरीज़ को देखने के लिए डॉक्टर को बुलाया जाता है तो हर विज़िट पर हज़ार रुपए चार्ज किए जाते हैं. इसके अलावा बाकी जो जांच होती हैं उनकी दर तय है और वो मरीज़ को पहले ही बता दी जाती है.
शान मियां का आरोप है कि इस मामले में मरीज़ के साथ आए लोग जांचों के पैसे नहीं दे रहे थे जिससे विवाद हुआ. उनका कहना है कि अस्पताल को कोई पैसा नहीं चुकाया गया है.
अलीगढ़ के चीफ़ मेडिकल ऑफ़िसर भानु प्रताप ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि हाल के महीनों में अस्पतालों में फ़ीस बढ़ाई गई है. उनका कहना था कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ही रेट तय करती है.
इस प्रकरण के बारे में उन्होंने कहा कि मरीज़ के साथ किसी भी परिस्थिति में मारपीट करना ग़लत है, अस्पताल को नोटिस जारी किया जाएगा.
वहीं, पुलिस का कहना है कि फ़िलहाल मारपीट की धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया गया है. यदि पोस्टमॉर्टम में मौत की वजह मारपीट साबित होती है तो हत्या का मुक़दमा दर्ज किया जाएगा.