पाकिस्तान में 2% से भी कम बच गए हिंदुओं का आक्रोश कम करने शिव मंदिर पहुंचेंगे इमरान
नई दिल्ली- पाकिस्तानी समाचार माध्यमों के मुताबिक वहां के पीएम इमरान खान जल्द ही सिंध प्रांत में एक शिव मंदिर की यात्रा करने वाले हैं। दरअसल, पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का मुद्दा हाल के दिनों में अमेरिका में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। इसलिए माना जा रहा है कि इमरान खान धार्मिक अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार को लेकर उठने वाले सवालों पर पाकिस्तान की छवि सुधारना चाहते हैं। हालांकि उनकी इस यात्रा की तारीख पक्की नहीं है।
सिंध प्रांत में शिव मंदिर जाएंगे इमरान
पाकिस्तान के जिओ न्यूज ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि इमरान खान सिंध के थारपारकर जिले में स्थित शिव मंदिर की यात्रा करने वाले हैं। इस दौरान उनका स्थानीय हिंदू समुदाय को संबोधित करने का भी कार्यक्राम है। बता दें कि हाल के वर्षों में पाकिस्तान में हिंदुओं और सिखों ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ वहां होने वाले मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ आवाज बुलंद करने की कोशिशें की है। अल्पसंख्यकों के साथ उत्पीड़न के ज्यादातर मामले पाकिस्तान के सिंध प्रांत से सुनाई देते रहे हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति क्या है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वहां उनकी संख्या दो प्रतिशत से भी कम रह गई है। उन्होंने या तो बहुसंख्यक मुसलमानों के डर से धर्म परिवर्तन कर लिया है या तो वे जानवरों जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। यही वजह है कि पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने सिंध में जाकर वहां के प्रसिद्ध शिव मंदिर का दौरा करने का फैसला किया है, ताकि हिंदुओं में सरकार को लेकर थोड़ा भरोसा बहाल हो सके और विश्व में भी पाकिस्तान की छवि सुधारी जा सके।
अमेरिकी सांसदों ने उठाया है मामला
पिछले महीने की ही बात है पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की हालत को लेकर अमेरिका के 10 सांसदों ने राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को एक साझा पत्र लिखा था। इन सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप से कहा था कि वे पिछले महीने पाकिस्तानी पीएम के साथ हुई अपनी मुलाकात में इस मुद्दे को जरूर उठाएं। इस पत्र में पाकिस्तान सरकार की नजरों के सामने वहां के अल्पसंख्यकों के मिटाए जाने की बात उठाने की गुजारिश की गई थी। इसमें हिंदू और ईसाई लड़कियों को अगवा करके जबरन धर्म परिवर्तन कराने का मुद्दा भी शामिल किया गया था। माना जा रहा है कि इसी वजह से इमरान खान दबाव में आए हैं और मंदिर की यात्रा करके पाकिस्तानी सरकार के चेहरे पर पुती कालिख को मिटाने के प्रयास में जुट गए हैं।
अल्पसंख्यकों की रक्षा का वादा कर आए थे इमरान
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री बनने से पहले इमरान खान ने कई चैनलों को दिए इंटरव्यू में माना था कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां उनके (धार्मिक अल्पसंख्यकों) गायब होने और बेरहमी से हत्या करने की घटना में शामिल हैं। उन्होंने यहां तक वादा किया था कि अगर इस सिलसिला को तोड़ने में वे नाकाम रहे और कसूरवारों को नहीं पकड़ा तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। लेकिन, सवाल है कि क्या सिर्फ एक मंदिर की यात्रा करने से और कुछ हिंदुओं के बीच भाषण देने से उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन रुक जाएगा। सोचने वाली बात तो ये है कि पाकिस्तान के भीतर अल्पसंख्यकों की बदतर हालात को ठीक करने के बजाय इमरान खान आजकल भारत में अल्पसंख्यकों को भड़काने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। उन्होंने हाल के अपने हर ट्वीट्स और भाषणों में जितना हिंदुओं, मोदी सरकार, बीजेपी और आरएसएस को कोसा है, अगर उसका थोड़ा हिस्सा भी दिल से अपने यहां के अल्पसंख्यकों के कल्याण पर दे देते तो उनको भी मानव के रूप में जीने का अधिकार मिल जाता।
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