हिंदी में आया इमरान खान की पार्टी का ट्वीट तो कुमार विश्वास ने यूं ली चुटकी
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नई दिल्ली। हाल ही में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति बन गई थी। दोनों देशों के बीच लड़ाकू विमानों की तकरार के अलावा दोनों ही देश के लोगों के बीच सोशल मीडिया वार भी चलती रही। दोनों ही एक दूसरे को नीचा दिखाते नजर आए। इस दौरान भारत का एक विंग कमांडर अभिनंदन विमान ध्वस्त हो जाने पर पाकिस्तानी सेना की गिरफ्त में आ गया। ऐसे में भारत ने पाक के बिना किसी शर्त के अभिनंदन को छोड़ने को कहा। अभिनंदन को 60 घंटों के भीतर वापस भी भेज दिया गया। ऐसे में पाकिस्तान के लोग प्रधानमंत्री इमरान खान की दरियादिली का तारीफों के पुल बांधने लगे। यहां तक कि इमरान को शांति पुरुस्कार देने की मांग भी उठने लगीं। तो उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की ओर से एक ट्वीट आया।
इमरान खान की पार्टी ने हिंदी में किया ट्वीट
इमरान ने उनके लिए शांति पुरस्कार की मांग को लेकर जो बयान दिया उसे उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की ओर से एक ट्वीट के जरिए बताया गया। ट्वीट में लिखा था- 'मैं नोबेल शांति पुरस्कार के योग्य नहीं हूं। इस योग्य व्यक्ति वह होगा जो कश्मीरी लोगों की इच्छा के अनुसार कश्मीर विवाद का समाधान करता है और उपमहाद्वीप में शांति और मानव विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।' यहां अजीब बात ये रही कि आम तौर पर अंग्रेजी या उर्दू में ट्वीट करने वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ का ये ट्वीट हिंदी में था।
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हिंदी में PTI का ट्वीट देख कुमार विश्वास ने लिए मजे
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की ओर से हमेशा सारे ट्वीट अंग्रेजी या फिर उर्दू में किए जाते हैं। ऐसे में जब पीटीआई का ये ट्वीट हिंदी में दिखाई पड़ा तो जाने माने कवि कुमार विश्वास ने चुटकी लेते हुए कहा कि 'भारत ने "हिंदी" कर दी इनकी'। दरअसल कुमार विश्वास अपने इस ट्वीट से पीओेके में भारत की एयर स्ट्राइक और फिर लड़ाकू विमान की जवाबी कार्रवाई को लेकर पाकिस्ताना की मजे ले रहे थे।
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अभिनंदन की वापसी के बाद पाक में होने लगी इमरान की तारीफें
गौरतलब है कि 2 मार्च को पाकिस्तान की नेशनल एसेम्बली के सचिवालय को एक प्रस्ताव सौंपा गया, जिसमें कहा गया था कि भारतीय वायुसेना के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को रिहा करने के खान के फैसले से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम हुआ है। इमरान ने एक जिम्मेदारीपूर्वक काम किया है इसलिए वे शांति पुरस्कार के हकदार हैं। यहां बता दें कि जेनेवा संधि के अनुसार अभिनंदन को वापस लौटाना पाकिस्तान की मजबूरी थी।