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Article 370: जम्मू-कश्मीर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाने के फेर में बर्बाद हुआ पाकिस्तान

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बंगलुरू। जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों मोर्चों पर मुंह खा रही पाकिस्तान अब भी रे ऑफ होप की तलाश में जुटी है, लेकिन झटकों पर मिल रहे झटकों से हताश पाकिस्तान को अभी कोई राहत मिल सकी है। जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर अपनी रणनीतिक गलतियों से जूझ रहा पाकिस्तान ने सपने में भी नहीं सोचा था कि प्रतिबंधों के सैलाब में भारत को बांधने को कोशिश में खुद अलग-थलग पड़ जाएगा।

Imran Khan

यह पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की कूटनीतिक और सियासी विफलता ही थी, क्योंकि इतने बड़े फैसलों पर अमल करने से चीन को छोड़कर पाकिस्तान को किसी ने साथ नहीं मिला। चीन क्यों पाकिस्तान का साथ दे रहा है, यह अक्साई चिन और ट्रांस काराकोरम पर उसके कब्जे से समझा जा सकता है, जिस पर चीन ने एक अवैध संधि के जरिए पिछले 70 वर्षों से कब्जा कर रखा है। आर्थिक मोर्च पर तबाह पाकिस्तान ने घरेलू समस्या से अपनी अवाम का ध्यान भटकाने के लिए जो भी प्रयास किया सब निर्रथक साबित हुआ है।

पाकिस्तान की ओर से इसकी पहल 5 अगस्त, 2019 को हुई जब उसने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने का भारत सरकार ने फैसला किया। वो पाकिस्तान, जो जम्मू-कश्मीर में पहले अनुच्छेद 370 और 35 ए का विरोध करती थी, उसने अचानक पाला बदल लिया और जम्मू-कश्मीर प्रदेश से विशेष राज्य का दर्जा छीनने के विरोध में खड़ी हो गई।

Imran Khan

पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने पहले भारत के साथ राजनयिक संबंध तोड़े, फिर व्यापारिक संबंधों को तोड़ने का फैसला कर लिया और अंततः दवाब बढ़ाने के लिए उसने दोनों देशों के बीच चलने वाली परिवहनों को भी तिलांजलि दे दी, इनमें समझौता एक्सप्रेस और दिल्ली-लाहौर बस सेवाएं प्रमुख हैं।

पाकिस्तान की ओर उठाए गए कदमों से भारत की सेहत पर कोई खास असर नहीं पड़ा, लेकिन भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते खत्म करने और परिवहनों को थाम कर पाकिस्तान ने कंगाली में अपना आटा जरूर कर लिया। पाकिस्तान इस खुशफहमी था कि भारत के खिलाफ प्रतिबंधों को थोपकर वह मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय समर्थन हासिल कर लेगी और भारत को अलग-थलग कर लेगी, लेकिन हुआ इसका उल्टा।

जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर भारत की कानूनी प्रक्रिया पर दखलंदाजी तो दूर कोई भी देश पाकिस्तान के साथ खड़ा भी नहीं हुआ। महाशक्ति अमेरिका, रूस और फ्रांस, जर्मनी जैसे देश ही नहीं, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव जैसे छोटे और इस्लामिक राष्ट्रों ने भी कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय बताकर पाकिस्तान को ठेंगा दिखा दिया।

Imran kHan

पाकिस्तान ने आखिरी उम्मीद चीन से लगा रखी थी। चीन ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की लाखों सिफारिशों के बाद यूएनएससी में फौरी तौर पर सुनवाई के लिए गुहार लगाई। यूएनएससी ने चीन की सिफारिश पर जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की बाद सुनने के लिए बंद कमरे में गुफ्तगू भी कर ली, लेकिन मामला फिर भी शिफर गया।

पाकिस्तान को यूएनएससी से भी कोई राहत नहीं मिली, क्योंकि रूस समेत कई देशों ने मामले को दो देशों के द्विपक्षीय बताकर रफा-दफा कर दिया गया। यही नहीं, भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीनने को उसका आंतरिक मसला बताया गया, जिससे पाकिस्तान की यूएनएससी में भी पूरी तरह से भद पिट गई।

Imran

झटकों पर मिल रहे झटकों के बाद के बाद पाकिस्तान अपनी गलतियों से सबक सीखने को तैयार नहीं हुई। पाकिस्तान में अब मसले को अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में ले जाने दावा कर रही है। यही नहीं, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने जर्मन चांसलर एंजिलीना मार्केल से भी फोन करके अपनी बात कही, लेकिन जर्मनी ने भी दो टूक शब्दों में समझा दिया गया कि मामले को द्विपक्षीय तरीके से ही निपटाएं। अब पाकिस्तान के पास एक ही चारा बचा है कि वह हेग में स्थित अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में जम्मू-कश्मीर में हुए हालिया बदलाव को लेकर फरियाद करे अथवा भारत कि खिलाफ सीधा युद्ध छेड़ दे।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि कंगाली से दौर से गुजर रहा पाकिस्तान क्या भारत के साथ युद्ध लड़ पाएगा। क्योंकि जम्मू-कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाने के चक्कर में पाकिस्तान आर्थिक मोर्च पर भी कई पाबंदियां झेलनी पड़ गई है। अमेरिका की ओर से मिल रहे कई आर्थिक सहायताएं इसी दौरान बंद हो गईं, वह भी तब जब पाकिस्तान भारत के खिलाफ वैश्विक माहौल बनाने में लगा हुआ था।

Donald

उधर, एफएटीएफ (FATF) ने टेरर फंडिंग मामले दोषी पाते हुए पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में डालकर उसकी ताबूत में आखिरी कील जड़ने का काम किया है। आर्थिक और राजनीतिक मोर्चो पर पहल से नाकाम रही पाकिस्तान हुकूमत अब अंतर्राष्ट्रीय जगत में भी धाराशाई हो गई और अब उसे सूझ नहीं रहा है कि कहां जाए और किससे मदद की गुहार लगाए।

माना जा रहा है कि एफएटीएफ की एशिया प्रशांत इकाई के ब्‍लैक लिस्‍ट में डाले जाने के बाद अब पाकिस्‍तान के एफएटीएफ के ग्रे लिस्‍ट से निकलने की संभावना और कम हो गई है। दरअसल, एफएटीएफ ने 'कड़ाई' से पाकिस्तान से अक्टूबर 2019 तक अपने एक्शन प्लान को पूरा करने को कहा था।पाकिस्तान पिछले एक साल से FATF की ग्रे लिस्ट में है और उसने FATF से पिछले साल जून में ऐंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग मैकेनिजम को मजबूत बनाने के लिए उसके साथ काम करने का वादा किया था।

Imran

ऐसा हुआ तो पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान मसलन आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एडीबी भी आर्थिक पाबंदियां लगा देंगी, जिससे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और देशों से भी कर्जा मिलना बंद हो जाएगा और ऐसे हालात में पाकिस्तान दीवालिया हो जाएगा, क्योंकि इससे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय व्यापार खत्म हो जाएगा और पाकिस्तान तबाह हो सकता है।

यह भी पढ़ें-PoK एक्टिविस्‍ट बोले, कश्‍मीर में हिंसा के लिए आतंकवाद का सहारा लेता है पाकिस्‍तान

Comments
English summary
Pakistan PM Imran khan failed to get support in Jammu-kashmir issue.Imran khan did everything to highlight the issue in international front but no one entertain him. Each country suggest in rtrurn to Pakistan to deal the issue by bilaterally.
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