इमरान खान का गिलगित प्लान कर रहा बैकफायर, पाकिस्तान में ही हो रहा विरोध
नई दिल्ली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) गिलगित-बाल्टिस्टान को देश का पांचवा प्रांत बनाने वाले हैं। अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के इस कदम का उनके ही देश में विरोध शुरू हो गया है। इमरान के विरोधी मौलाना फजलुर रहमान ने प्रधानमंत्री पाकिस्तान पर देश में चीन का एजेंडा लागू करने का आरोप लगाया है।
पाकिस्तान नेताओं को है ये डर
जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम के चीफ मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि इमरान खान के इस कदम से भारत के उस कदम को मान्यता मिल जाएगी जिसके तहत उसने 5 अगस्त 2029 को जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर उसे केंद्र शासित क्षेत्र बना दिया था।
रहमान ने कहा कि "कश्मीर के लोगों के खून पर ये समझौता हुआ है। कश्मीर नीति के नाम व्यापार किया गया है।" उन्होंने कश्मीर का बंटवारा न किए जाने की अपील की।
ये है विपक्षी पार्टियों के विरोध की असली वजह
वहीं पाकिस्तान की प्रमुख पार्टी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने भी इमरान खान के कदम का विरोध किया है। पार्टी के पाक अधिकृत कश्मीर के अध्यक्ष लतीफ अकबर ने मुजफ्फराबाद में कहा कि इमरान सरकार का गिलगिट-बाल्टिस्टान को देश का पांचवां प्रांत बनाने का फैसला उन्हें मंजूर नहीं है।
पाकिस्तान की अब तक की नीति रही है कि उसके द्वारा कब्जा किया कश्मीर का हिस्सा स्वायत्त क्षेत्र है और ये पाकिस्तान का पूर्ण रूप से हिस्सा नहीं है। पाकिस्तान का कहना है कि पूरे कश्मीर में लोगों की राय ली जानी चाहिए और इसके बाद कश्मीर के भविष्य का फैसला होना चाहिए।
गिलगित प्लान पाकिस्तान की विदेश नीति में बड़ा बदलाव
गिलगित-बाल्टिस्टान पर पाकिस्तान में मिलाने के कदम को लेकर माना जा रहा है कि इस्लामाबाद लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) को ही भारत और पाकिस्तान के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा मान लिया जाए। पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्टान प्लान के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ का दिमाग माना जा रहा है वे पहले ही LoC को अंतरराष्ट्रीय सीमा बनाने की वकालत करते रहे हैं। हाल ही में पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्टान मामलों के मंत्री अमीन गांडापुर ने कहा था कि शीघ्र ही क्षेत्र का दौरा करेंगे और क्षेत्र को पाकिस्तानन में शामिल किए जाने का ऐलान करेंगे। इसके बाद इस क्षेत्र को पाकिस्तान के दूसरे प्रांतों जैसे ही अधिकार प्राप्त होंगे।
गिलगित में चुनाव का भी हो रहा विरोध
यही वजह है कि पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियां पाकिस्तान सरकार के इस कदम का विरोध कर रही हैं। वहीं पाकिस्तान सरकार के गिलगित-बाल्टिस्टान में चुनाव कराए जाने को लेकर भी विरोध हो रहा है। दो दिन पहले ही नेशनल एसेंबली के स्पीकर असद कैसर ने इसी मुद्दे पर सोमवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी जिसका विपक्षी दलों ने बहिष्कार का ऐलान किया था।
बैठक के बहिष्कार की घोषणा अधिकारिक रूप से पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टे जरदारी ने की थी। बता दें कि पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अल्वी ने गिलगित-बाल्टिस्टान में 15 नवंबर को चुनाव कराने की घोषणा की थी।
चीन के दबाव में है इमरान का प्लान गिलगित
वहीं विपक्ष के विरोध के बावजूद इमरान खान सरकार गिलगित-बाल्टिस्टान में अपने कदम पीछे हटाने के मूड में नहीं दिख रही है। इमरान सरकार चुनाव को अपने पहले कदम के रूप में देख रही है। पाकिस्तान मामलों के जानकार इमरान खान और पाकिस्तान आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के इस कदम को चीन के दबाव में उठाया हुआ कदम मान रहे हैं। पाकिस्तान के ऊपर चीन के कर्ज का बहुत दबाव है। वहीं चीन का महत्वाकांक्षी चाइना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कोरिडोर गिलगित बाल्टिस्टान क्षेत्र से होकर गुजरता है। ऐसे में चीन के कर्ज तले दबा पाकिस्तान इसमें कोई रुकावट नहीं पड़ने देना चाहता है। भारत लगातार इस कोरिडोर का इस आधार पर विरोध करता है कि यह जिस क्षेत्र से गुजरने वाला है वह भारत का हिस्सा है। यही वजह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चीन को खुश करने के लिए गिलगित-बाल्टिस्टान को पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाह रहे हैं।
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