Article 370: पूरी तरह से पाकिस्तानी आर्मी की गिरफ्त में हैं इमरान खान- अमेरिकी रिपोर्ट
नई दिल्ली- जिस वक्त कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान भारत के साथ तनाव बढ़ाने की कोशिशों में लगा है, उसी समय अमेरिका से पाकिस्तानी सेना को लेकर एक बहुत बड़ी सनसनीखेज खबर सामने आई है। इस रिपोर्ट का लब्बोलुआब ये है कि सुरक्षा और विदेश मामलों में पाकिस्तानी पीएम इमरान खान पूरी तरह से पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा की कठपुतली बनकर काम कर रहे हैं। यूं समझ लीजिए कि अभी इमरान खान जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर जो भी भड़काऊ बयान या एटम बम जैसी धमकियां दे रहे हैं वो पाकिस्तानी सेना के प्रभाव में आकर कर रहे हैं और ये स्थिति भारत के हिसाब से बेहद खतरनाक हो सकती है। क्योंकि, वहां मार्शल लॉ लागू नहीं होने के बावजूद भी पर्दे के पीछे से एक तरह से आर्मी का ही शासन चल रहा लगता है।
पाकिस्तान की हकीकत बयां करने वाली रिपोर्ट
अमेरिकी कांग्रेस से जुड़ी इस रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि इमरान खान के प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तानी सेना ने वहां के विदेश और सुरक्षा नीतियों पर पूरी तरह से अपना वर्चस्व कायम कर लिया है। इस रिपोर्ट में ये बात पूरी तरह से साफ लिखी गई है कि, "ज्यादातर विश्लेषकों ने पाया है कि पाकिस्तानी सेना से जुड़े संस्थानों ने विदेश और सुरक्षा नीतियों पर लगातार अपना वर्चस्व और प्रभाव बना रखा है।" मतलब इस रिपोर्ट की मानें तो भले ही इमरान खान सुरक्षा मामलों की कमिटी में बैठक करने का दावा करते रहे हों, लेकिन उसमें अंतिम फैसला खुद जरनल बाजवा ही ले रहे हैं और इमरान को पाकिस्तानी सेना सिर्फ मोहरे की तरह ही इस्तेमाल कर रही है।
आईएसआई-आर्मी और पाकिस्तानी न्यायपालिका ने इमरान को बनवाया पीएम
यह रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस के दोनों दलों के सांसदों की ओर से तैयार की गई है। इस कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) रिपोर्ट में इमरान खान को प्रधानमंत्री बनवाने के लिए आईएसआई, पाकिस्तानी आर्मी और न्यायपालिका के बीच हुई कथित साठगांठ का भी खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में साफ ये बात लिखी गई है कि आईएसआई, पाकिस्तानी आर्मी और न्यायपालिका का एकमात्र मकसद नवाज शरीफ को सत्ता से हटाकर इमरान खान की पार्टी को सत्ता पर काबिज कराना था। सीआरएस ने कहा है कि सरकार चलाने का कोई अनुभव नहीं होते हुए भी वहां की सेना और आईएसआई ने सिर्फ नवाज को हटाने के लिए ही इमरान के पक्ष में चुनावों में हेरफेर किया। सीआरएस ने कहा है कि 'नया पाकिस्तान' के नारे ने युवाओं, आम शहरियों, मध्यम वर्ग के वोटरों को इमरान खान की ओर देखने के लिए प्रेरित किया। उन्हें लगा कि भ्रष्टाचार मिटाने से पाकिस्तान भी 'वेलफेयर स्टेट' बन सकता है, जहां अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं भी मुमकिन हो सकती हैं। लेकिन, भारी वित्तीय संकट के कारण उनके सारे नारे हवा बन चुके हैं और अब उसे इससे निपटने के लिए विदेशी कर्ज की जरूरत है और सरकार के खर्चे घटाने की दरकार है।
पाकिस्तानी चुनाव में आतंकियों की भी दखल
सीआरएस रिपोर्ट से एकबार फिर से यह बात पुख्ता हो गई है कि 2018 में हुए पाकिस्तान के चुनावों में आंतकवादी संगठनों का भी दखल पूरा था। इसमें पाकिस्तानी चुनाव के ऑब्जर्वरों और मानवाधिकार संगठनों की ओर से जारी बयानों के आधार पर ये बात भी सामने लाई गई है कि वहां चुनावों में किस तरह से लोकतांत्रिक मर्यादाओं को ताक पर रख दिया गया था। उस चुनाव में अनगिनत छोटी पार्टियों ने भी हिस्सा लिया था, जिसके तार प्रतिबंधित मुस्लिम आतंकी संगठनों से जुड़े हुए थे। आतंकी समर्थित इन पार्टियों को वहां कुल 10% वोट मिले थे।
अमेरिकी सांसदों ने तैयार की रिपोर्ट
अमेरिकी कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) अमेरिकी कांग्रेस की एक स्वतंत्र रिसर्च विंग है, जो अमेरिकी सांसदों की आवश्यकताओं के मद्देनजर उनकी जानकारी बढ़ाने के लिए रिपोर्ट्स तैयार करती है। यह रिपोर्ट अमेरिकी सांसदों को कोई भी फैसला लेने से पहले पुख्ता और तथ्यों पर आधारित जानकारी हासिल करवाने में मदद करती है। हालांकि, यह रिपोर्ट अमेरिकी सांसद ही तैयार करते हैं और इस रिपोर्ट के आधार पर अमेरिकी कांग्रेस में फैसला भी लिया जाता है, लेकिन यह उसकी आधिकारिक रिपोर्ट नहीं मानी जाती।
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