अक्साई चिन के करीब गुरुंग हिल पर Indian Army का कब्जा, 62 की जंग में चीन की सेना ने कर लिया था नियंत्रण में
नई दिल्ली। पिछले तीन हफ्तों में भारतीय सेना ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर छह बड़ी चोटियों पर कब्जा किया है। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी टकराव में यह एक बड़ा घटनाक्रम है। सरकार के टॉप सूत्रों की तरफ से रविवार को बताया गया कि सेना ने 29 अगस्त से सितंबर के दूसरे हफ्ते में छह बड़ी चोटियों को नियंत्रण में लिया है। अब एलएसी पर मगर हिल, गुरुंग हिल, रेकिन ला, रेजांग ला और मुखपारी, भारत के कब्जे में हैं। यहां से सेना लगतार फिंगर 4 के करीब स्थित चीनी सेना की पोस्ट्स पर नजर बनाए हुए है। गुरुंग हिल पर नियंत्रण को रिटायर्ड वरिष्ठ अधिकार भारत की एक बड़ी रणनीतिक जीत करार दे रहे हैं। गुरुंग हिल, अक्साई चिन के एकदम करीब है।
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गुरुंग जिसका, जीत उसकी
गुरुंग हिल के इतिहास को जब आप टटोलेंगे तो यह सन् 1962 में चीन के साथ हुई जंग से जुड़ा हुआ नजर आएगा। उस जंग में इसलिए ही चीन को विजय हासिल हुई थी, क्योंकि उसने इस पर कब्जा कर लिया था। गुरुंग और मगर हिल, स्पांगुर गैप के उत्तर में हैं। गुरुंग हिल, 4,809 मीटर पर तो मगर हिल 5,182 मीटर पर है। आठ नवंबर 1962 में पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने खून जमा देने वाली सर्दी में अचानक ही रेजांग ला पर हमला बोल दिया था। सुबह 4 बजे हुए इस हमले को चीन का साइलेंट अटैक माना जाता है। उनका यह हमला 13 कुमाऊं ने फेल कर दिया। इसकी अगुवाई मेजर शैतान सिंह कर रहे थे। इसके बाद पीएलए ने गुरुंग हिल, स्पांगुर गैप, मगर हिल और रेजांग ला पर दोबारा जोर से हमला बोला। चीनी सेना किसी भी तरह से इन्हें अपने कब्जे में करना चाहती थी। उस समय चीन की सेना ने 75 मिलीमीटर और 57 एमएम की रेकोलाइसेस गन के अलाचा 132 एमएम के रॉकेट्स का भी प्रयोग किया था।
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चीन के 500 जवान हुए थे ढेर
18 नवंबर 1962 को चीन ने सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर गुरुंग हिल पर हमला बोला था। पीएलए ने इंडियन आर्मी की पोजिशन पर आर्टिलरी और मोर्टार से हमला किया था। गुरुंग हिल, ब्लैक हिल के तहत आती है। ब्लैक हिल चीन के कब्जे में थे और गुरुंग हिल पर उस समय 1/8 गोरखा राइफल्स ने नियंत्रण किया हुआ था। कहते हैं कि गुरुंग हिल पर उस समय चीन के 500 जवान मारे गए थे। नॉर्दन आर्मी कमांडर रहे लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एचएस पनाग ने ट्विटर पर लिखा था कि सभी हिल टॉप भारत के लिए काफी अहम हैं। उन्होंने बताया कि स्पांगुर गैप के उत्तर में जो भी गुरुंग टॉप समेत बाकी हिल टॉप्स पर नियंत्रण रखेगा, युद्ध की स्थिति में उसकी विजय तय है। ऐसे में साफ है कि गुरुंग टॉप पर कब्जे से भारत, चीन पर हावी हो चुका है।
20 दिन में छह पहाड़ियां, 200 राउंड फायरिंग!
इंडियन आर्मी ने पिछले 20 दिनों में जिन पहाड़ियों पर कब्जा किया है, उसके बाद अब पीएलए के जवानों की मूवमेंट को ट्रैक करने में आसानी हो सकेगी। ऐसे में चीन को बड़ा नुकसान होगा। सूत्रों के मुताबिक चीन की सेना ने तीन बार इन पहाड़ियों पर कब्जा करने की कोशिशें की हैं। पिछले दिनों में पैंगोंग के उत्तरी हिस्से से लेकर दक्षिणी छोर तक फायरिंग तक हुई है। पैंगोंग त्सो पर भारतीय और चीनी जवानों के बीच 20 दिन के अंदर 100 से 200 राउंड फायरिंग हुई हैं। पीएलए जवान इस समय फिंगर 4 की चोटियों पर बैठे हैं। फिंगर 4, फिंगर 8 से आठ किलोमीटर दूर पश्चिम में है। भारत यहां तक एलएसी मानता है लेकिन चीन सिर्फ फिंगर 4 तक ही एलएसी की मान्यता देता है।
ब्लैक और हेलमेट टॉप चीन की सीमा में हैं
सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप एलएसी के दूसरी तरफ यानी चीन के हिस्से में हैं। जबकि जिन चोटियों पर सेना ने कब्जा किया है, वो सभी भारतीय सीमा में आती हैं। चीन की सेना की तरफ से अब 3,000 अतिरिक्त जवानों को भी तैनात किया गया है। पीएलए ने इनफ्रेंट्री के अलावा टैंक ब्रिगेड को भी रेजांग ला से लेकर रेकिन ला तक तैनात कर दिया है। चीनी सेना ने मोल्डो में अपने बेस को पूरी तरह से सक्रिय कर दिया है। यहां पर अतिरिक्त जवान मौजूद हैं और पिछले कुछ हफ्तों में पीएलए की तरफ से इन जवानों को तैनात किया गया है।