IMF ने कृषि कानूनों का किया समर्थन, कृषि सुधार की दिशा में बताया बड़ा कदम
Imf supports farm laws: केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों का पिछले एक महीने से अधिक समय से किसान विरोध कर रहे हैं और इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार इन तीनों ही कानूनों पर अडिग है। सरकार कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है लेकिन इसे वापस नहीं लेना चाहती है जबकि किसान इन तीनों ही कानूनों को हर हाल में वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं। लेकिन इस बीच इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने केंद्र के इन तीनों कानूनों का समर्थन किया है।
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The International Monetary Fund (IMF) का मानना है कि भारत सरकर ने जिन तीन कानूनों को पास किया है वो कृषि सुधार की दिशा में बहुत ही जबरदस्त कदम है। आईएमएफ के एक प्रवक्ता गैरी राइस ने कहा कि नए बदलाव से जो लोग नकारात्मक तरह से प्रभावित होंगे उन्हें सामाजिक न्याय देने और सशक्त करने की जरूरत है।
राइस ने कहा कि हमारा मानना है कि कृषि कानून में क्षमता है कि वह भारत के कृषि सुधारों को आगे ले जा सकते हैं। ये कानून किसानों को सीधे खरीददार से कॉन्ट्रैक्ट करने का अधिकार देंगे, किसान अधिक से अधिक अपनी फसल का मूल्य हासिल कर सकेंगे और बीच के मिडलमैन की भूमिका कम होगी, साथ ही ग्रामीण विकास को भी रफ्तार मिलेगी। लेकिन इसके साथ ही यह भी अहम है कि जो लोग इन बदलावों से प्रभावित होंगे उन्हें सामाजिक सुरक्षा की जरूरत है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब आईएमएफ के प्रवक्ता से देश में चल रहे किसान आंदोलन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नए कानून के बीच जिन लोगों का रोजगार प्रभावित हो रहा है उन्हें सही तरह से रोजगार की सुरक्षा देने इस मुश्किल का समाधान किया जा सकता है। इन कानूनों को किस तरह से लागू किया जाता है और किस तरह से टाइमलाइन को लागू किया जाता है। इन मसलों पर ध्यान देने की जरूरत है।
गौरतलब है कि आंदोलित किसान और सरकार के बीच कई दौर की बैठक होने के बाद भी दोनों पक्षों के बीच किसी भी तरह का समाधान नहीं निकल सका है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए मामले का समाधान करने के लिए चार सदस्यी कमेटी का गठन किया था। हालांकि इस कमेटी के सदस्यों को लेकर भी सवाल खड़ा होने लगा है कि ये सभी सदस्य नए कानूनों के समर्थक है। जिसकी वजह से भूपिंदर सिंह मान ने कमेटी से अपना नाम वापस ले लिया।
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