गुजरात-महाराष्ट्र पर मंडराया 'हिका' तूफान का खतरा, अलर्ट जारी, 'साइक्लोन मैन' ने दी अहम जानकारी
नई दिल्ली। कोरोना संकट से जूझ रहे गुजरात पर 'चक्रवात' का खतरा मंडरा रहा है, भारतीय मौसम विभाग ने रविवार को अरब सागर के लिए दोहरे दबाव का अलर्ट जारी किया है,भारत में साइक्लॉन मैन के नाम से मशहूर चक्रवाती चेतावनी के विशेषज्ञ मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि दक्षिणपूर्व अरब सागर और लक्षद्वीप में आज एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना है, हम उम्मीद कर रहे हैं कि सोमवार को यह डिप्रेशन में बदलेगा और परसों चक्रवाती तूफान में बदल जाएगा और 3 जून की शाम तक यह तूफान गुजरात और उत्तरी महाराष्ट्र के तटों तक पहुंचेगा, इस तूफान का नाम 'हिका' है, जिसका नामकरण मालदीव ने किया है।
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अरब सागर में सक्रिय 2 तूफान
खास बात ये है कि दो दिन पहले एक निजी एजेंसी ने चक्रवात की संभावना जताई थी, लेकिन मौसम विभाग की ओर से इस बारे में कुछ नहीं कहा गया था लेकिन इस बार मौसम विभाग ने बताया कि अरब सागर में साइक्लोनिक सर्कुलेशन सिस्टम वेस्ट सेंट्रल और साउथ वेस्ट पर बन रहा है जो कि 48 घंटे बाद डिप्रेशन में बदल सकता है और चक्रवात का रूप धारण कर सकता है और अगर ऐसा हुआ तो सौराष्ट्र और साउथ गुजरात में भारी बारिश की आशंका है।
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'चक्रवात' को लेकर एडवाइजरी जारी
चक्रवात के मद्देनजर मौसम विभाग की ओर से पहले ही एडवाइजरी जारी की गई है और कहा है कि दक्षिण गुजरात, मध्यगुजरात और सौराष्ट्र में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश की संभावना है इसलिए लोगों को अलर्ट किया गया है।
एक नहीं दो तूफान का खतरा
आईएमडी ने कहा कि गुजरात पर एक नहीं दो तूफान का खतरा मंडरा रहा है, विभाग के मुताबिक पहला तूफान 3 जून और दूसरा तूफान 6 जून को आने की संभावना है, पहला तूफान की गति लगभग 110 किमी / घंटा के आस-पास होगी जो कि सौराष्ट्र , पोरबंदर, जूनागढ़, अमरेली, राजकोट और भावनगर जिलों को प्रभावित करेगी, जबकि 6 जून वाला तूफान गुजरात और महाराष्ट्र दोनों राज्यों को प्रभावित करेगा।
कैसे बनते हैं 'चक्रवात'?
पृथ्वी के वायुमंडल में हवा होती है, समुद्र के ऊपर भी जमीन की तरह ही हवा होती है, हवा हमेशा उच्च दाब से निम्न दाब वाले क्षेत्र की तरफ बहती है. जब हवा गर्म हो जाती है तो हल्की हो जाती है और ऊपर उठने लगती है, जब समुद्र का पानी गर्म होता है तो इसके ऊपर मौजूद हवा भी गर्म हो जाती है और ऊपर उठने लगती है. इस जगह पर निम्न दाब का क्षेत्र बनने लग जाता है, आस पास मौजूद ठंडी हवा इस निम्न दाब वाले क्षेत्र को भरने के लिए इस तरफ बढ़ने लगती है. लेकिन पृथ्वी अपनी धुरी पर लट्टू की तरह घूमती रहती है, इस वजह से यह हवा सीधी दिशा में ना आकर घूमने लगती है और चक्कर लगाती हुई उस जगह की ओर आगे बढ़ती है, इसे चक्रवात कहते हैं।