MP: 'महाराज के लिए कुएं में कूदने वाली' इमरती देवी के लिए कितना बदला है उपचुनाव ?
भोपाल। मध्य प्रदेश उपचुनाव में दतिया जिले की डबरा सीट पर मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। यहां से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाली और शिवराज सिंह चौहान में कैबिनेट मंत्री इमरती देवी भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। इमरती देवी के लिए यहां मुकाबला कांग्रेस से ही नहीं बल्कि रिश्तों से भी है। यहां उनके समधी सुरेश राजे को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है। पिछले तीन चुनाव से विधानसभा पहुंच रहीं इमरती देवी के लिए इस बार मुकाबला आसान नहीं होने वाला है। एक तरफ जहां वे नई पार्टी से मैदान में हैं वहीं उपचुनाव में बसपा ने यहां से उम्मीदवार उतारकर इसे त्रिकोणीय बना दिया है।
जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी थी तो इमरती देवी का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वो कहती नजर आई थीं कि 'महाराज कुआं में गिरने को कहेंगे तो कुएं में गिर जाऊंगी लेकिन जहां महाराज रहेंगे वहां साथ रहूंगी।' ये घटना ये बताने के लिए काफी है कि वो सिंधिया की सिपाही हैं। यही वजह रही कि जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी तो 56 हजार वोट से जीतने के बावजूद इमरती देवी ने पार्टी छोड़ने में संकोच नहीं किया।
तीन
बार
जीत
चुकीं
चुनाव
इमरती
देवी
के
सामने
मुकाबले
में
जहां
उनके
समधी
सुरेश
राजे
हैं
वहीं
बसपा
ने
संतोष
गौड़
को
उम्मीदवार
बनाया
है।
इमरती
देवी
कांग्रेस
नेता
के
रूप
में
यहां
से
आसानी
से
विधानसभा
पहुंचती
रही
हैं।
इस
बार
हालात
बदले
हैं।
उन्होंने
पार्टी
बदलकर
भाजपा
का
दामन
थाम
लिया।
2008
में
जब
से
ये
सीट
अनुसूचित
जाति
के
लिए
आरक्षित
हुई
है
यहां
से
भाजपा
को
कभी
जीत
नहीं
मिली
है।
ऐसे
में
भाजपा
को
उम्मीद
है
कि
इस
बार
उसका
खाता
खुल
सकता
है।
इसके
पहले
ये
क्षेत्र
भाजपा
के
कद्दावर
नेता
और
कैबिनेट
मंत्री
नरोत्तम
मिश्रा
का
चुनावी
क्षेत्र
हुआ
करता
था।
मिश्रा
ने
यहां
से
1998
और
2003
के
चुनाव
में
यहां
से
जीत
दर्ज
की
थी।
इमरती देवी ने 2008 में यहां से जीत का स्वाद चखा तो फिर कभी उतरा नहीं। तब उन्होंने बसपा के उम्मीदवार को 10 हजार से अधिक वोटों से हराया था। दिलचस्प बात ये है कि 2013 का चुनाव वो इस बार भाजपा प्रत्याशी सुरेश राजे के खिलाफ लड़ चुकी हैं। तब उन्होंने राजे को 33 हजार से अधिक वोटों के फासले से हरा दिया था। 2018 के विधानसभा चुनाव में ये अंतर और बढ़ गया जब उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी को 56 हजार मतों के अंतर से पराजित किया। इमरती देवी को 90,598 वोट मिले थे जबकि भाजपा प्रत्याशी कप्तान सिंह 33152 तक पहुंचकर ही रुक गए थे।
ये
है
वोट
का
गणित
अगर
वोट
का
गणित
देखें
तो
अब
तक
सबसे
अधिक
वोट
भाजपा
को
2013
में
मिले
थे।
वर्तमान
कांग्रेस
प्रत्याशी
सुरेश
राजे
तब
भाजपा
के
उम्मीदवार
थे।
तब
भाजपा
को
34,486
वोट
मिले
थे
जबकि
पिछली
बार
भाजपा
को
33,152
वोट
ही
मिले
थे।
इमरती देवी को जहां सिंधिया का समर्थन प्राप्त है। वहीं भाजपा के कद्दावर नेता और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का पूर्व क्षेत्र होने के चलते वे भी प्रचार करते नजर आएंगे। ऐसे में इमरती देवी को आसानी से इस सीट पर जीत की उम्मीद है। वहीं कांग्रेस ने सिंधिया परिवार के विरोध की राजनीति करने वाले अशोक सिंह को राजे के जिताने की जिम्मेदारी सौंप रखी है। कांग्रेस को उम्मीद है कि इमरती देवी के जाने से वोट ट्रांसफर नहीं होंगे और पार्टी प्रत्याशी एक बार फिर यहां से जीत दर्ज करेगा।
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