IIT मद्रास के शोधकर्ताओं ने विकसित की 'दिमाग पढ़ने वाली तकनीक', मन की बातों को अंग्रेजी में करती है ट्रांसलेट
नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास की रिसर्च टीम ने वह कारनामा कर दिखाया जिसको लेकर कई बड़े-बड़े वैज्ञानिक अभी शोध कर रहे हैं। यहां शोधकर्ताओं ने एक ऐसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक विकसित की है जो बोल पाने में असमर्थ लोगों का दिमाग पढ़कर उनकी सोच को अंग्रेजी भाषा में बदल सकती है। इतना ही नहीं, इस तकनीक की मदद से प्रकृति के संकेतों को समझने में मदद मिलेगी। हालांकि इस तकनीक पर अभी और काम किया जाना बाकी है।
प्रकृति को जानने में मिलेगी मदद
गौरतलब है कि आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित की गई तकनीक मानव सभ्यता को नई बुलंदियों पर पहुंचा सकती है। इस तकनीक से हम अपने आस-पास की प्रकृति के बारे में जान सकते हैं। बता दें कि रिसर्च टीम का नेतृत्व आईआईटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. विशाल नंदीगाना ने किया।
इस सिद्धांत पर करता है काम
विशाल नंदीगाना ने बताया कि हमारे द्वारा बनाई गई तकनीक की मदद से किसी भी मस्तिष्क संकेत, विद्युत संकेत या सामान्य रूप के संकेतों को भौतिक कानून या गणितीय परिवर्तनों जैसे फूरियर ट्रांसफॉर्म या लैप्लस ट्रांसफार्म का उपयोग करके सार्थक जानकारी तक डिकोड किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह तकनीक आयनों के प्रवाह का प्रतिनिधित्व करता है जो चार्ज किए गए कण होते हैं। इन विद्युत संकेतों को मानव भाषा में बदला जाता है जिससे हमें आउटपुट मिलता है।
मस्तिष्क में क्या संकेत चल रहा है लगेगा पता
विशाल नंदीगाना बताते हैं कि यह हमें बताता है कि आयन हमारे साथ क्या संवाद कर रहे हैं। अगम हम इस प्रयास के साथ सफल हो जाते हैं तो हम न्यूरोलॉजिस्ट से इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल डेटा प्राप्त करेंगे। जिससे हम यह जान सकते हैं कि भाषण देने वाले मनुष्यों के मस्तिष्क में क्या संकेत चल रहा हैं और वह क्या बोलने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने बताया कि भौतिक नियम और गणितीय परिवर्तन विज्ञान आधारित भाषाएं हैं जिन्हें सर आइजक न्यूटन और जोसेफ फूर्ये जैसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों द्वारा खोजा गया है।
प्रकृति के संकेतों को भी जान सकते हैं
डॉ. विशाल नंदीगाना ने कहा कि अनुसंधान के इस क्षेत्र के अन्य प्रमुख अनुप्रयोग जो हम संभावित रूप से देखते हैं। इससे हम प्रकृति के संकेतों की व्याख्या कर सकते हैं, जैसे कि पौधों की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया या बाहरी बलों के प्रति उनकी प्रतिक्रिया का मतलब है जब हम उनके वास्तविक डेटा सिग्नल एकत्र करते हैं। आईआईटी मद्रास के शोधकर्ता इस बात पर काम कर रहे हैं कि कैसे इन वास्तविक डेटा सिग्नल को मानव भाषा जैसे अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा में बदला जा सके।
आने वाली आपदाओं की पहले से होगी जानकारी
अगर वास्तविक डेटा सिग्नल की व्याख्या एक साधारण मानव भाषा के रूप में की जा सकती है जिसे सभी मानव समझ सकते हैं तो यह बहुत बड़ी उपलब्धी होगी। यह हमारे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीप लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके मानसून, भूकंप, बाढ़, सुनामी और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी करने में मदद करेगा।
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