IIT पास इंजीनियर ने अमेरिका की नौकरी छोड़ खरीदीं 20 गायें, खड़ी कर दी 44 करोड़ रेवेन्यू वाली डेयर फर्म
हैदराबाद, 18 मई। अधिकतर मिडिल क्लास युवा का सपना क्या होता है? यहा न कि आईआईटी-आईएमएम जैसे संस्थान से पढ़ाई करके विदेश में नौकरी करना और डॉलर में कमाई करना। अगर ये नौकरी अमेरिका में हो तो सोने पर सुहागा है। किशोर इंदुकुरी का भी यही सपना था जो आईआईटी खड्गपुर से ग्रेजुएट करने के बाद हकीकत में बदलने लगा था। आईआईटी से ग्रेजुएट करने के बाद वह मास्टर्स की पढ़ाई के लिए अमेरिका के एमहर्स्ट स्थित मेसाच्यूसेट्स यूनिवर्सिटी पहुंचे। यहीं से उन्होंने पीएचडी की और फिर अमेरिका में ही मल्टीनेशनल कंपनी इंटेल में नौकरी लग गई।
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अमेरिका की नौकरी छोड़ लौटे भारत
यौर स्टोरी की खबर के मुताबिक किशोर के पास अच्छी खासी सेलरी वाली नौकरी थी सब बढ़िया जा रहा था लेकिन उन्हें अपना देश वापस खींच रहा था। कुछ तो था जो उन्हें नया करने के लिए बुला रहा था। 6 साल बीतने के बाद किशोर इंदुकुरी को ये समझ आ गया था कि वह भले ही अमेरिका में नौकरी कर रहे हैं लेकिन उनका मन उन्हें देश में अपनी खेती-किसानी की जड़ों की तरफ लौटने को कह रहा था।
उन्होंने अपने शौक को जीने का फैसला किया और आखिरकार अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला किया। 2012 में किशोर देश भारत लौट आए। भारत लौटने के बाद वह हैदराबाद में पहुंचे और शहर में लोगों को शुद्ध दूध पहुंचाने के विकल्पों के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी।
यौर स्टोरी से बातचीत में उन्होंने कहा "मैने अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला किया और अपनी किसानी की जड़ों की तरफ लौट गया।" हैदराबाद लौटने के बाद उन्हें महससू हुआ कि यहां पर शुद्ध और किफायती दूध मिलना बहुत मुश्किल था। इसके बाद उनके दिमाग में हैदराबाद के लोगों के लिए शुद्ध दूध तैयार करने का खयाल आया।
20 गायों के साथ शुरू की डेयरी
यहां रहकर उन्होंने जो जानकारी जुटाई तब उन्हें लगा कि ऐसा वह तभी कर सकते हैं जब वह अपना डेयरी फॉर्म खोलें। इसके बाद उन्होंने कोयम्बटूर से 20 गायें खरीदीं और डेयरी शुरू कर दी।
उन्होंने सब्सक्रिप्शन के आधार पर अपना बिजनेस शुरू किया। वह उन लोगों को शुद्ध दूध सप्लाई करते जो पहले से सब्सक्रिप्शन लिए हुए होते थे। धीरे-धीरे उनके ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी और 2016 में उन्होंने सिड फॉर्म के नाम से अपनी कंपनी रजिस्टर्ड की।
किशोर बताते हैं कि आज वह 10,000 ग्राहकों को रोजाना दूध पहुंचाते हैं और डेयरी उद्योग में 120 कर्मचारी काम कर रहे हैं। पिछले साल उनका रेवेन्यू 44 करोड़ रुपये का था।
आसान नहीं रहा सफर
हालांकि आज किशोर की डेयरी सफल है और उनकी कंपनी करोड़ों का सालाना टर्नओवर कर रही है लेकिन यहां तक का सफर शुरू से ही इतना आसान नहीं रहा है। किशोर बताते हैं कि उनके लिए शुरुआत में सबकुछ बहुत मुश्किल रहा था। उन्होंने बिजनेस में अपनी सारी पूंजी लगा दी थी। उन्होंने शुरुआत में 1 करोड़ का निवेश किया था और बाद में 2 करोड़ रुपये और लगाए। बैंक से भी लोन लेना पड़ा था।
किशोर के मुताबिक उनके लिए कुछ भी आसान नहीं था। वह नौकरी छोड़कर आए थे और डेयरी बिजनेस के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे। उन्होंने 20 गायों से शुरुआत की और लोगों के घरों में सीधे दूध पहुंचाना शुरू किया। लेकिन यह भी आसान नहीं था। लोग सुबह 6 बजे दूध का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं। लोगों के पास 6 बजे दूध पहुंचने का मतलब है कि 4 बजे से ही गायें दुहनी शुरू हो जानी चाहिए। यह एक कठिन काम था जिसके लिए लोगों के साथ ही रात में ही खिलाकर गायों को भी तैयार करना होता है।
दूध के साथ दूसरे उत्पाद भी
शुरुआत में किशोर ने सिर्फ दूध की सप्लाई की लेकिन उन्हें जल्द ही समझ में आया कि लोग सिर्फ दूध ही नहीं बल्कि इससे जुड़े अन्य उत्पाद में पसंद करते हैं। बाद में वह दही, पनीर और मक्खन भी तैयार करने लगे। यही नहीं उन्होंने गाय और भैंस के दूध की अलग-अलग सप्लाई भी शुरू की जिसने उन्हें अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बढ़त दिलाई।
किशोर की योजना दूसरे शहरों में भी डेयरी फार्म को लेकर जाने की है लेकिन कोरोना महामारी के चलते उन्हें यह फैसला अभी रोकना पड़ा है।
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