आईआईएम बेंगुलरू का हिंदी में सर्टिफिकेट छापने का प्रस्ताव, छात्रों ने किया विरोध
बेंगलुरू। आईआईएम को एमबीए की पढ़ाई के लिए देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में जाना जाता है। आईआईएम बेंगलुरू ने छात्रों को उनकी पोस्टग्रैजुएट डिग्री हिन्दी में भी बांटने की तैयारी कर रहा था। इस बाबत आईआईएम बेंगलुरू ने छात्रों से पूछा था कि आप अपना नाम हिन्दी में कैसे लिखते हैं बताइए, ताकि इसी हिसाब से डिग्री में नाम को दर्ज किया जाए। लेकिन संस्थान के इस फैसले के खिलाफ छात्रों ने नाराजगी जाहिर की है। छात्रों ने संस्थान के इस प्रस्ताव पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि संस्थान उनपर जबरदस्ती हिन्दी भाषा को उनपर थोपना चाहता है।
संस्थान के इस फैसले के खिलाफ छात्र का कहना है कि जब हम विदेश की किसी यूनिवर्सिटी में आवेदन करते हैं तो वहां कौन हिन्दी समझता है, आखिर क्यों हिन्दी थोपी जा रही है। पूरे संस्थान में इस फैसले के खिलाफ बहस छिड़ गई है। संस्थान की ओर से 29 जनवरी को तमाम छात्रों को मेल भेजकर उनसे पूछा गया था कि वह अपना नाम हिन्दी में कैसे लिखते हैं। छात्रों से कहा गया था कि बुधवार तक अपने नाम का हिन्दी में कैसे लिखा जाता है बता दें, ताकि मार्कशीट की प्रिंटिंग की जा सके।
छात्र ने बताया कि हमे मेल करके कहा गया था कि इस मेल की महत्ता को समझिए और 31 जनवरी तक इसका जवाब दीजिए। इसके बाद छात्रों को बुधवार को फिर से रिमाइंडर मेल भेजा गया। कई छात्रों ने मेल का जवाब दिया है, जिसमे उन्होंने कहा है कि वह अपने नाम को हिन्दी लिख पढ़ नहीं सकते हैं। अगर सर्टिफिकेट दो भाषा में छपनी है तो इसे हमारी क्षेत्रीय भाषा में छापना चाहिए ताकि हम इसे समझ सके नाकि हिन्दी में।