अब ड्राइविंग लाइसेंस चाहिए तो यहां एक वादा किए बिना टेस्ट भी नहीं दे सकेंगे
नई दिल्ली- अभी आपको ड्राइविंग लाइसेंस चाहिए तो सारी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद आपको ड्राइविंग टेस्ट में सफल होना होता है, तभी आपको रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस से डीएल जारी होता है। मुंबई और पूरे महाराष्ट्र में भी अबतक यही व्यवस्था थी। लेकिन, एक नवंबर से वहां ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के नियमों में एक क्रांतिकारी बदलाव लाया गया है। अब वहां ड्राइविंग टेस्ट देने से पहले लोगों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने संबंधी कुछ वादे करने जरूरी हो गए हैं, तभी ड्राइविंग टेस्ट में शामिल होने दिया जा रहा है। सबसे बड़ी बात ये है कि नया नियम लागू हुए एक हफ्ते से ज्यादा बीत चुके हैं और किसी ने वादा करने से मना नहीं किया है। कुछ लाइसेंस लेने वाले लोगों से जो बात हुई है, उससे पता चल रहा है कि वह तो नई व्यवस्था से बहुत खुश नजर आ रहे हैं।
ड्राइविंग लाइसेंस बनाना है तो पहले ये वादा कीजिए
महाराष्ट्र में रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने आने वाले लोगों से ट्रांसपोर्ट अधिकारी जो वादा ले रहे हैं, वे हैं- 'मैं सड़क पर नियमों का पालन करने वाला अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक होने का वचन देता हूं। टू-व्हीलर चलाते वक्त हैलमेट पहनने का वचन देता हूं और पीछे बैठने वाला भी हैलमेट पहने यह सुनिश्चित करूंगा। मैं ध्यान भटकाने वाली सभी चीजों से परहेज करूंगा, जैसे सेल फोन का इस्तेमाल और गाड़ी चलाते वक्त टेक्सिटिंग करना। मैं रोड रेज की स्थिति पैदा होने देने से बचूंगा। मैं कभी भी शराब पीकर गाड़ी नहीं चलाऊंगा। मैं कभी भी गलत लेन में गाड़ी नहीं चलाऊंगा या रॉन्ग साइड ड्राइव नहीं करूंगा। ' इस प्रतिज्ञा पत्र को पब्लिक कंसर्न ऑफ गवर्नेंस ट्रस्ट ने ड्राफ्ट किया है, जिसकी स्थापना मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर जूलियो रिबेरो, डॉक्टर आरके आणंद और पूर्व एआईएस ऑफिसर बीजी देशमुख ने की थी।
एक नवंबर से शुरू हुई है नई व्यवस्था
महाराष्ट्र के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के दफ्तर से इस वचन पत्र के निर्देश पिछले 1 नवंबर को जारी हो चुके हैं और मुंबई के अधिकतर आरटीओ में इसका पालन भी किया जाने लगा है। मिरर में छपी एक खबर के मुताबिक एक वरिष्ठ आरटीओ अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि, 'ड्राइविंग टेस्ट लेने के लिए तैनात हमारे इंस्पेक्टरों को यह सुनिश्चित करना है कि टेस्ट शुरू करने से पहले उम्मीदवार यह प्रतिज्ञा लें।' राज्य के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर शेखर चान्ने का कहना है कि 'यह सिर्फ एक अनौपचारिक और अच्छे इरादों के साथ नैतिक कदम है।' बता दें कि महाराष्ट्र में हर साल करीब 25 लाख लर्नर्स लाइसेंस और 19 लाख स्थाई लाइसेंस बनाए जाते हैं और शायद नए और सख्त मोटर व्हीकल ऐक्ट लोगू होने के बाद इसकी ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है। अलबत्ता, यह आरटीओ अधिकारियों पर निर्भर है कि वह इस शपथ पत्र का पालन किस तरह से करवाते हैं। मसलन तारदेव आरटीओ में 10-15 लोगों से इकट्ठे वादे लिए जा रहे हैं तो कल्याण में आवेदकों से उसपर दस्तखत करवाया जा रहा है।
नई व्यवस्था पर लोगों की राय
हालांकि, अच्छे इरादे से शुरू की गई इस पहल के असर को लेकर लोगों की राय अलग-अलग है। जैसे ट्रांसपोर्ट विभाग के एक अधिकारी ने ही ने नाम नहीं बताए जाने की शर्त पर कहा कि 'मैं नहीं समझता कि भारत में जहां ज्यादातर लोग नियमों को तोड़ने में ही गर्व महसूस करते हैं, इस तरह के प्रयासों का कोई लाभ मिलने वाला है।' हालांकि, ज्यादातर लोग इसका स्वागत कर रहे हैं। तारदेव आरटीओ में तैनात एक अधिकारी एस पेडामकर के मुताबिक, 'लोगों को शिक्षित करने के लिए हम अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि इसका अच्छा नतीजा निकलेगा।' जब उनसे पूछा गया कि अगर कोई ये शपथ लेने से मना करता है तो क्या होगा, इसपर उन्होंने कहा कि अबतक किसी ने ऐसा नहीं किया है। क्योंकि, यह जागरुकता बढ़ाने के लिए है, इसलिए नहीं लगता कि किसी को कोई समस्या होनी चाहिए।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट और आवेदक ?
ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट की नजरों में भी महाराष्ट्र ट्रांसपोर्ट विभाग की ओर से उठाया गया ये कदम एक अच्छा प्रयास है। शैलेश गोयल नाम के एक ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट ने कहा कि, 'इसमें एक और चीज जोड़ा जाना चाहिए कि ड्राइविंग लाइसेंस एक विशेषाधिकार है और एक अधिकार नहीं है।' माहिम में रहने वाले 38 साल के विशाल अग्निहोत्री को गुरुवार को ही लर्नर्स लाइसेंस मिला है और वह वचने लेने की व्यवस्था की तारीफ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 'जब मुझसे वचन देने को कहा गया तो मैं हैरान रह गया, लेकिन उसके बाद मुझे लगा कि यह बहुत असरदार साबित हो सकता है।'
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