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शी जिनपिंग ने कश्मीर का राग अलापा तो भारत इन 4 मोर्चो पर कर सकता है चीन की बोलती बंद

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नई दिल्ली- जब से जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 के प्रावधानों को खत्म किया है चीन, कश्मीर को लेकर बार-बार पैंतरा बदल रहा है। वह लगातार दो लाइन ले रहा है। कभी पाकिस्तान का रहनुमा बनकर इसमें यूएन चार्टर की बात उठाकर टांग घुसाने की कोशिश करता है तो कभी उसे भारत और पाकिस्तान के बीच का मुद्दा बताने में भी देर नहीं लगती। इसलिए यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तमिलनाडु के ऐतिहासिक शहर ममल्लापुरम में पीएम मोदी से इनफॉर्मिल समिट में मुलाकत करेंगे तब चीन क्या चालबाजी दिखाएगा। इसलिए हम यहां उन मुद्दों पर बात करेंगे, जिसे उठाकर भारत ड्रैगन की बोलती बंद कर सकता है।

चीन की भी हो सकती है बोलती बंद

चीन की भी हो सकती है बोलती बंद

भारत के पास चीन की चालबाजियों पर नकेल कसने के लिए कम से कम चार ऐसे ज्वलंत मुद्दे हो सकते हैं, जिनपर जवाब देना चीन के राष्ट्रपति शी जिपिंग के लिए आसान नहीं होगा। चीन, पाकिस्तान के अंधे प्रेम में कश्मीर में मानवाधिकार की बात करता है। शी जिनपिंग के भारत आने से पहले अपने अंतिम बयान में भी बुधवार को चीन ने इसे ही हवा देने की कोशिश की है और पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए इसे यूएन चार्टर के आधार पर सुलझाने की नसीहत देने की कोशिश की है। जबकि, भारत की ओर से एकबार फिर से यह साफ किया गया है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मुद्दा है, जिसमें किसी दूसरे देश को दखल देने की जरूरत नहीं है और चीन भी भारत के इस स्टैंड से पूरी तरह वाकिफ है। आइए अब चर्चा उन चार मुद्दों की जो पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान जिनपिंग की दुखती रग साबित हैं।

उइगर मुसलमानों के साथ ज्यादती

उइगर मुसलमानों के साथ ज्यादती

चीन का शिंजियांग प्रांत आज पूरी दुनिया में बदनाम हो चुका है। एक आंकड़े के मुताबिक चीन सरकार ने वहां के अल्पसंख्यक 10 लाख उइगर मुसलमानों को यातनागृहों में बंधक बनाकर रखा है और उनके साथ काफी बर्बरता की जा रही है। चीन पर उइगर मुसलमानों को नागरिक अधिकारों से वंचित रखने, मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के आरोप लगते रहे हैं। अब तो ऐसी खबरें आ रही हैं कि चीन उइगर मुसलमानों के कब्रिस्तान तक को मिटा रहा है, ताकि आने वाले वक्त में उनका वजूद ही खत्म कर दिया जाए। वहां चीनी सैनिक उइगर महिलाओं पर जिस तरह का अत्याचार कहते हैं, सभ्य भाषा में उसका जिक्र करना तक असंभव है। आलम ये है कि अभी-अभी अमेरिका ने उइगरों पर अत्याचार के लिए चीन की 28 कंपनियों को ब्लैकलिस्टेड कर दिया है।

हॉन्गकॉन्ग में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन

हॉन्गकॉन्ग में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन

हॉन्गकॉन्ग में पिछले 4 महीनों से लोकतंत्र के समर्थन में आंदोलन उबाल पर हैं और चीन सरकार उसे ताकत के दम पर कुचलने की कोशिशों में जुटी है। वहां लोकतंत्र समर्थक रैलियों पर पाबंदी लगाई गई है। सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी फिर भी मानने को तैयार नहीं हैं। अब वहां नकाब पहनकर प्रदर्शन किया जा रहा है, ताकि पहचान छिपाई जा सके। अब ऐसे प्रदर्शनकारियों पर चेहरा छिपाने के लिए कार्रवाई की जाने लगी है। आलम ये है कि कई बार जब लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग कर रहे लोगों के साथ सुरक्षाकर्मियों की झड़पें हिंसक हो जाती हैं तो चीन प्रशासन की ओर से प्रदर्शनकारियों को नजदीक से गोली मारने तक विडियो वायरल हो रहे हैं। भारत, चीन के राष्ट्रपति के सामने ये मुद्दा भी उठा सकता है।

दक्षिण चीन सागर में चीन का बढ़ता दखल

दक्षिण चीन सागर में चीन का बढ़ता दखल

दक्षिण चीन सागर में चीन लगातार अपनी दखल बढ़ा रहा है। यह ऐसा मसला है जो क्षेत्र की शांति के लिए खतरा तो पैदा कर ही रहा है, अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए भी बहुत बड़ी बाधा है। चीन ने इस इलाके में अपना बहुत बड़ा नौसैनिक बेस तैयार कर लिया है। इस क्षेत्र में चीन किस तरह से अपनी मनमर्जी चला रहा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह वियतनाम जैसे देश की संप्रभुता का भी उल्लंघन कर रहा है। पिछले कुछ महीनों में ही चीन के चार बड़े जहाज उसके स्पेशल इकॉनोमिक जोन में घुस चुके हैं, जिसकी शिकायत वह भारत से भी कर चुका है। यही नहीं दक्षिण चीन सागर के चलते चीन अमेरिका की भी आंख का कांटा बना हुआ है। अगर भारत उसकी पैंतरेबाजी पर आगाह करना शुरू करे तो चीन की चतुराई को भी सांप सूंघ सकता है।

तिब्बत पर जबरन कब्जा

तिब्बत पर जबरन कब्जा

चीन ने दशकों से तिब्बत पर अवैध कब्जा कर रखा है। तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा के नेतृत्व वाली तिब्बत की निर्वासित सरकार भारत में शरण लेकर रह रही है। लेकिन, चीन तिब्बत के असल शासकों को उनका राज सौंपने की जगह तिब्बत में लगातार अपना प्रभुत्व बढ़ाता जा रहा है। वहां की संस्कृति और पर्यावरण की चिंता किए बगैर अंधाधुंध इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करता जा रहा है। तिब्बत में चीन की बढ़ती ताकत भारत के लिए भी सामरिक दृष्टिकोण से बेहत खतरनाक है। ये सारे मसले ऐसे हैं, जिसको उठाकर पीएम मोदी चीन को पाकिस्तान की पैरवी करने से रोक सकते हैं। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने लगभग इसी लाइन पर एक ट्वीट करके प्रधानमंत्री मोदी को आगाह भी किया है और उनकी सरकार की खिंचाई भी करने की कोशिश की है। मनीष तिवारी ने लिखा है, "शी जिनपिंग कहते हैं कि उनकी निगाह जम्मू-कश्मीर पर है, तो पीएमओ या विदेश मंत्रालय क्यों नहीं कहता कि भारत हॉन्कॉन्ग में लोकतंत्र को लेकर जारी प्रदर्शन का मुंह बंद किया जाना देख रहा है। हम शिंजियांग में हो रहे मानवाधिकार के उल्लंघन, तिब्बत और दक्षिण चीन सागर में चीन के दखल पर नजर बनाए हुए हैं।"

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English summary
if Xi Jinping chants Kashmir, then PM Modi can stop him on these 4 fronts
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