हम अक्षय रहना चाहते हैं तो हमें सुनिश्चित करना होगा कि हमारी धरती अक्षय रहे: पीएम मोदी
नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लॉकडाउन के दौरान दूसरी बार रेडियो पर अपने 'मन की बात' कार्यक्रम को संबोधित किया है। इस मौके पर उन्होंने देशवासियों को अक्षय तृतीया पर शुभकामनाएं भी दी हैं और कहा है कि इस साल की परिस्थितियों के मद्देनतर अक्षय तृतीय का खास महत्त्व है। उन्होंने कोरोना वायरस संकट के बीच कहा कि चाहे जितनी भी आपदाएं आ जाएं इससे जूझने की हमारी मानवीय भावनाएं अक्षय हैं।
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पीएम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा है कि, ''क्षय' का अर्थ होता है विनाश। लेकिन जो कभी नष्ट नहीं हो, जो कभी समाप्त नहीं हो वो 'अक्षय' है। अपने घरों में हम इस पर्व को हर साल मनाते हैं, लेकिन इस साल हमारे लिए इसका विशेष महत्त्व है। आज के कठिन समय में यह एक ऐसा दिन है, जो हमें याद दिलाता है कि हमारी आत्मा, हमारी भावना अक्षय है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयां रास्ता रोंके, चाहे कितनी भी आपदाएं आएं, चाहे कितनी भी बीमारियों का सामना करना पड़े- इनसे लड़ने और जूझने की मानवीय भावनाएं अक्षय है।'
पीएम मोदी ने कहा कि ' माना जाता है कि यही वह दिन है जब पांडवों को अक्षय पात्र मिला था। हमारा अन्नदाता किसान इसी भावना से परिश्रम करते हैं। इन्हीं की वजह से हमारे पास अन्न के भंडार हैं।' पीएम मोदी ने कहा कि ' यदि हम अक्षय बने रहना चाहते हैं, तो हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी धरती अक्षय हो।'
इस मौके पर पीएम मोदी ने कोरोना वायरस के संकट के चलते लॉकडाउन से जूझ रहे जरूरतमंदों की ओर सहायता का हाथ बढ़ाने वालों की भी जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि 'अक्षय तृतीय का यह पर्व, दान की शक्ति यानि पावर ऑफ गिविंग का भी एक अवसर होता है। हम हृदय की भावना से जो कुछ भी देते हैं, वास्तव में महत्त्व उसी का होता है। यह बात महत्वपूर्ण नहीं है कि हम क्या देते हैं और कितना देते हैं। संकट के इस दौर में हमारा छोटा सा प्रयास हमारे आसपास के बहुत से लोगों के लिए बहुत बड़ा सम्बल बन सकता है।'
प्रधानमंत्री ने बताया कि 'जैन परंपरा में भी यह (अक्षय तृतीया) बहुत पवित्र दिन है, क्योंकि पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के जीवन का यह एक महत्वपूर्ण दिन रहा है। ऐसे में जैन समाज इसे एक पर्व के रूप में मनाता है और इसलिए यह समझना आसान है कि क्यों इस दिन को लोग, किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ करना पसंद करते हैं। चूंकि, आज कुछ नया शुरू करने का दिन है तो ऐसे में क्या हम सब मिलकर अपने प्रयासों से अपनी धरती को अक्षय और अविनाशी बनाने का संकल्प ले सकते हैं?'