देश को बनाना है तो अपने अधिकारों के साथ, इन मौलिक कर्तव्यों का भी करें पालन
नई दिल्ली। हम आज इस देश में खुली हवा में सांस ले रहे हैं तो इसके लिए देश के लाखों लोगों ने कुर्बानी दी है। अंग्रेजों से स्वतंत्रता हासिल की और देश नई दिशा देने के लिए कदम बढ़ाए। किसी भी देश के लिए उसका संविधान उस देश को चलाने का एक मूलमंत्र होता है। वो देश किस तरह की सरकार काम करेगी, देश के नागरिकों के क्या अधिकार होगें ये तामाम बातें देश का संविधान तय करता है। हमारे देश का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इस संविधान ने हमे तमाम अधिकार दिए हैं। जिनका हम खुलकर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन हम सभी जानते हैं कि अगर हम अधिकारों का निर्वाह करना चाहते हैं तो इसके लिए हमारे कुछ कर्तव्य भी बनते हैं जिन्हें हमें निभाना चाहिए। अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
सन 1976 से पहले हमारे यहां संविधान में सिर्फ मौलिक अधिकारों का ही उल्लेख था लेकिन 1976 में सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर संविधान के 42वें संशोधन के जरिए मौलिक कर्तव्य को संविधान में जोड़ा गया। इसे भाग 4(क )में अनुच्छेद 51(क)के तहत रखा गया। हमने मौलिक कर्तव्य पूर्व सोवियत संघ के संविधान से लिए और इन्हें भारत के अनुरूप संविधान में जगह दी।
ये
हैं
हमारे
11
मौलिक
कर्तव्य
1.
हर
एक
नागरिक
का
ये
कर्तव्य
होगा
कि
वो
संविधान
का
पालन
करे
और
उसके
आदर्शों,
संस्थाओं,
राष्ट्र
ध्वज
और
राष्ट्र
गान
का
आदर
करें।
2.
स्वतंत्रता
के
लिए
हमारे
राष्ट्रीय
आंदोलन
को
प्रेरित
करनेवाले
उच्च
आदर्शों
को
हृदय
में
संजोए
रखे
और
उनका
पालन
कर।
3.
भारत
की
प्रभुता,
एकता
और
अखंडता
की
रक्षा
करे
और
उसे
अक्षुण्ण
रखे।
4.
देश
की
रक्षा
करें
और
आह्नान
किये
जाने
पर
राष्ट्र
की
सेवा
करें।
5.
भारत
के
सभी
लोगों
में
समरसता
और
समान
भातृत्व
की
भावना
का
निर्माण
करे
जो
धर्म,
भाषा
और
प्रदेश
या
वर्ग
पर
आधारित
सभी
भेदभाव
से
परे
हो,
ऐसी
प्रथाओं
का
त्याग
करें
जो
स्त्रियों
के
सम्मान
के
विरूद्ध
है।
6.
हमारी
सामाजिक
संस्कृति
की
गौरवशाली
परंपरा
का
महत्व
समझे
और
उसका
निर्माण
करे।
7.
प्राकृतिक
पर्यावरण
की,
जिसके
अंतर्गत
वन,
झील,
नदी
और
वन्य
जीवन
है,
रक्षा
करें
और
उसका
संवर्धन
करें
तथा
प्राणी
मात्र
के
प्रति
दयाभाव
रखें।
8.
वैज्ञानिक
दृष्टिकोण
और
ज्ञानार्जन
की
भावना
का
विकास
करे।
9.
सार्वजनिक
संपत्ति
को
सुरक्षित
रखे
और
हिंसा
से
दूर
रहें।
10.
व्यक्तिगत
एवं
सामूहिक
गतिविधियों
के
सभी
क्षेत्रों
में
उत्कर्ष
की
ओर
बढ़ने
का
सतत
प्रयास
करे।
11.
माता-पिता
या
संरक्षक
द्वार
6
से
14
साल
तक
के
बच्चों
को
प्राथमिक
शिक्षा
प्रदान
करना।
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