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अगर एलियन हैं तो वे हमसे संपर्क क्यों नहीं करते ?

इंसान बरसों से एलियन की तलाश कर रहा है. वैज्ञानिक धरती से रेडियो तरंगें भेजकर एलियन्स से संपर्क करने की कोशिश करते रहे हैं.

मगर अब तक एलियन्स ने इंसान के किसी भी संदेश का जवाब नहीं दिया है.

एलियन इंसानों के संदेश का जवाब क्यों नहीं देते? वो कहां हैं? हैं भी या नहीं?

By BBC News हिन्दी
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इंसान बरसों से एलियन की तलाश कर रहा है. वैज्ञानिक धरती से रेडियो तरंगें भेजकर एलियन्स से संपर्क करने की कोशिश करते रहे हैं.

मगर अब तक एलियन्स ने इंसान के किसी भी संदेश का जवाब नहीं दिया है.

एलियन इंसानों के संदेश का जवाब क्यों नहीं देते? वो कहां हैं? हैं भी या नहीं?

"वो कहां हैं?"

ये सवाल मशहूर भौतिकविज्ञानी एनरिको फ़र्मी ने 1950 में अपने एक सहकर्मी से पूछा था.

फ़र्मी का मानना था कि इस ब्रह्मांड में इंसानों जैसी कई और बुद्धिमान सभ्यताएं अलग-अलग ग्रहों पर मौजूद हैं.

लेकिन फिर ये सवाल उठता है अगर वे हैं तो उनसे हमारा संपर्क क्यों नहीं हो पाता? वो आखिर हैं कहां?

ये सवाल बेहद मशहूर है और इस सवाल के कारण पैदा हुए विरोधाभास को 'फ़र्मी पैराडॉक्स' के नाम से जाना जाता है.

एसईटीआई (सेटी) यानी 'सर्च फ़ॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस' संस्था कई सालों से इस सवाल का जवाब तलाश रही है.

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एनरिको फ़र्मी
Science Photo Library
एनरिको फ़र्मी

हमारी आकाशगंगा में ही कम से कम करीब 100 अरब तारे हैं.

विरोधाभासी फ़र्मी पैराडॉक्स का ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय के तीन अकादमिकों ने हाल ही में फिर से मूल्यांकन किया.

उन्होंने इससे जुड़ी एक स्टडी की है, जिसे नाम दिया गया है "डिज़ॉल्विंग द फ़र्मी पैराडॉक्स."

स्टडी के मुताबिक इस बात की संभावना ज़्यादा है कि इंसान ब्रह्मांड में अकेला जीवित बुद्धिमान प्राणी है.

इसका मतलब ये हुआ कि एलियन्स का होना लगभग नामुमकिन है.

कैसे पहुंचे इस नतीजे पर

इस स्टडी को करने वाले तीन विशेषज्ञों में से एक एनडर्स सैंडबर्ग हैं. वो ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय के फ्यूचर ऑफ़ ह्यूमैनिटी इंस्टिट्यूट के रिसर्चर हैं.

दूसरे वैज्ञानिक हैं एरिक ड्रेक्सलर. इनका नैनोटेक्नोलॉजी का कॉन्सेप्ट ख़ासा लोकप्रिय है.

इनके अलावा इसी अकादमिक सेंटर में दर्शनशास्त्र के प्रोफ़ेसर टॉड ऑर्ड इस स्टडी से जुड़े थे.

इस नए अध्ययन में फ़र्मी पैराडॉक्स के एक गणितीय आधार का विश्लेषण किया गया है, जिसे ड्रेक समीकरण कहा जाता है.

ड्रेक समीकरण का पहले इस्तेमाल किया जाता था. इससे उन संभावित जगहों की लिस्ट बनाई जाती थी जहां जीवन हो सकता है.

अध्ययन में जीवन से जुड़े कई पहलुओं की जांच-पड़ताल करने के बाद पाया गया कि 39% से 85% संभावना है कि ब्रह्मांड में इंसान अकेला जीवित बुद्धिमान प्राणी है.

शोध में लिखा गया है, "हमने पाया कि इस बात की ठीकठाक संभावना है कि ब्रह्मांड में कोई और बुद्धिमान सभ्यता नहीं है. ऐसे में अगर उसके कोई संकेत न मिलें तो हमें हैरान नहीं होना चाहिए. इतनी ज़्य़ादा अनिश्चितता के आधार पर यह हमने यह निष्कर्ष निकाला कि हमारे अकेले होने की संभावना काफ़ी ज्यादा है."

हालांकि अध्ययन के इन लेखकों का यह भी मानना है कि वैज्ञानिकों को एलियन्स या ब्रह्मांड के दूसरे हिस्सों में जीवन की तलाश जारी रखनी चाहिए.

स्टडी में शामिल रहे सैंडबर्ग कहते हैं, "एलियंस होने की संभावना कम होने के बावजूद अगर भविष्य यह पता चलता है कि कहीं पर कोई समझदार एलियन सभ्यता है तो हमें ज़्यादा हैरान नहीं होना चाहिए."

यानी कि फ़र्नी के विरोधाभास का हल इतना भी आसान नहीं है.

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English summary
If there are aliens why do not they contact us
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