अगर 28 जून तक नहीं आये तेजस्वी तो क्या तेजप्रताप को मिलेगी नयी जिम्मेदारी
नई
दिल्ली।
सवालों
के
तीर
चले।
तंज
की
तलवार
चली।
फिर
भी
तेजस्वी
यादव
नमूदार
नहीं
हुए।
28
जून
से
बिहार
विधानमंडल
का
बजट
सत्र
शुरू
होने
वाला
है।
लेकिन
अभी
तक
उनकी
कोई
खोज
खबर
नहीं
है।
अगर
28
जून
तक
तेजस्वी
यादव
नहीं
आते
हैं
तो
बिहार
विधानसभा
में
राजद
का
नेता
कौन
होगा
?
अभी
तक
तेजस्वी
यादव
विधानसभा
में
नेता
प्रतिपक्ष
हैं।
अगर
वे
सदन
की
कार्यावाही
से
गैरहाजिरी
रहते
हैं
तो
विधायक
दल
का
नेता
किसी
और
को
बनाना
होगा।
क्या
तेज
प्रताप
यादव
ये
भूमिका
निभा
सकते
हैं
?
तेज
प्रताप
यादव
ने
शनिवार
को
ही
रांची
जा
कर
लालू
यादव
से
मुलाकात
की
है।
हालांकि
तेज
प्रताप
ने
इस
मुलाकात
के
बारे
में
कुछ
नहीं
कहा
है,
लेकिन
यह
तो
साफ
है
कि
राजद
में
हालात
अब
संजीदा
हो
चले
हैं।
अब
सबकी
नजरें
5
जुलाई
पर
टिक
गयी
हैं
कि
उस
दिन
झारखंड
हाईकोर्ट
में
लालू
यादव
के
बेल
पर
क्या
फैसला
होता
है।
राजद
को
खड़ा
और
बड़ा
करने
वाले
लालू
यादव
ही
अब
इसे
बचा
सकते
हैं।
28 जून से विधानमंडल का सत्र
बिहार विधानमंडल का सत्र 28 जून से शुरू हो रहा है। बिहार विधान परिषद में राजद का नेतृत्व तो राबड़ी देवी करेंगी लेकिन विधानसभा में यह भूमिका कौन निभाएगा, ये एक बड़ा सवाल है। अगर पांच-छह दिनों में तेजस्वी प्रगट नहीं होते हैं तो किसी दूसरे नेता को ये जिम्मेवारी सौंपनी होगी। ऐसी स्थिति में लालू परिवार के सबसे करीबी विधायक भोला यादव को ये जिम्मेवारी मिल सकती है। वैसे सीनियर लीडर अब्दुल बारी सिद्दीकी और ललित यादव के नाम पर भी विचार हो सकता है। इस बीच शनिवार को तेजप्रातप यादव ने रांची जा कर लालू यादव से मुलाकात की है। उन्होंने अपने पिता को भगवत गीता भेंट की है। पिता से मुलाकात के बाद तेज प्रताप ने खामोशी अख्तियार कर ली है। वे कुछ भी कहने से बच रहे हैं। सबने जुबान पर इस लिए ताला लगा रखा है कि कहीं अंदर की बात बाहर न आ जाए। क्या तेजप्रताप भी विधानसभा में नयी भूमिका निभाना चाहते हैं ?
तेजस्वी अदृश्य, क्या तेजप्रताप होंगे नयी भूमिका में
तेजस्वी यादव आखिर क्यों अदृश्य हो गये हैं ? ऐसा पहली बार हुआ है कि करीब एक महीने से वे ओझल हैं। वे कहां हैं ? इसकी प्रमाणिक जानकारी न मिल रही है, न दी जा रही है। कुछ बात तो जरूर है जो छिपायी जा रही है। खुद को शेर का बेटा बताने वाले तेजस्वी आखिर क्यों कहीं छिपे बैठे हैं। अगर वे दिल्ली में हैं तो किसी से मिल क्यों नहीं रहे ? बिहार और देश के ज्वलंत मुद्दों पर उनकी चुप्पी का राज क्या है ? वे ट्वीटर से भी गायब हैं। राजद के प्रवक्ताओं की छुट्टी कर दी गयी है। पार्टी का आधिकारिक पक्ष रखने वाला कोई नहीं है। अटकलों का बाजार गर्म है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद राजद में बड़े फेरबदल की चर्चा चल रही है। लालू के विश्वस्त सहयोगियों को ही बड़ी जिम्मेदारी दी जानी है। इससे पार्टी में संशय की स्थिति बन गयी है। आगे का रास्ता क्या होगा, इसको लेकर अभी भ्रम है। इस बीच तेजप्रताप भी सक्रिय हो गये हैं।
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अब लालू ही बचा सकते हैं राजद को
पार्टी की हालत देख कर लालू यादव जेल से बाहर आने के लिए छटपटा रहे हैं। उन्होंने जेले से बाहर निकलने के लिए 13 जून को झारखंड हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की थी। 21 जून को इस मामले की सुनवाई हुई। अब 5 जुलाई को फिर इस मामले में सुनवाई होगी। लालू यादव ने कहा है कि देवघर कोषागार मामले में उन्हें कुल 42 महीने की सजा हुई है जिसमें से उन्होंने 25 महीने की काट लिये हैं। सीबीआइ ने लालू की जमानत अर्जी का विरोध किया है। अब देखना है कि 5 जुलाई को कोर्ट क्या फैसला सुनाता है। चुनावी हार के बाद राजद में हताशा और निराशा है। पार्टी के शीर्ष नेताओं को कहना है कि अब लालू यादव की इस पार्टी को बचा सकते हैं।