सचिन पायलट के भाजपा में शामिल होने से कश्मीर की राजनीति में भी चटक होगा भगवा रंग!
सचिन पायलट के भाजपा में शामिल होने से कश्मीर की राजनीति में भी चटक होगा भगवा रंग!
नई दिल्ली। राजस्थान में सियासी संकट बरकरार है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत से नाराज चल रहे उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट बगावत करने के बाद कांग्रेस के साथ किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में राजस्थान में भी भाजपा के लिए सत्ता हथियानें के लिए ठीक मध्यप्रदेश जैसी बिसात बिछती नजर आ रही है। मध्यप्रदेश में जैसे कांग्रेस की प्रदेश सरकार से नाराज होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा का दामन थामकर कमलनाथ सरकार के पतन का कारण बने थे वैसी ही अटकलें राजस्थान सरकार के लिए सचिन पायलट को लेकर लगाई जा रही हैं।
पायलट के शामिल होने से भाजपा एक तीर से साध दो निशाने
अगर सचिन पायलट भाजपा में शामिल होते हैं तो भाजपा एक तीर से दो राज्यों के किले फतेह कर सकती है। एक तरफ जहां भाजपा राजस्थान की सत्ता पर काबिज हो सकेगी और दूसरी ओर जम्मू कश्मीर में भाजपा अपनी मजबूत जमीन तैयार कर वैली में अगले विधानसभा चुनाव में भगवा झंडा फहरा सकती है। आपके दिमाग में सवाल उठ रहा होगा आखिर कैसे? आखिर सचिन पायलट के भाजपा में शामिल होने और जम्मू कश्मीर की राजनीति के बीच क्या कनेक्शन हैं?राजस्थान में सियासी संकट: जब चुनाव में सचिन पायलट ने कांग्रेस पार्टी के लिए अपनी पगड़ी लगा दी थी दांव पर
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सचिन और जम्मू कश्मीर के बीच है ये खास कनेक्शन
मालूम हो कि सचिन पायलट जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला के दामाद हैं। पायलट की पत्नी सारा पायलट पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला की बेटी और उमर अब्दुल्ला की बहन है। हालांकि भाजपा और फारुख अब्दुल्ला की पार्टी में हमेशा से छत्तीस का आकड़ा रहा है लेकिन जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला फारुख अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला की पार्टी की राजनीति ठंडी पड़ी हुई है। जबकि बाप-बेटे दोनों ने जम्मू कश्मीर की सत्ता पर राज किया है और उनकी पार्टी का कश्मीरियों पर जबरदस्त पकड़ रही है। ऐसे में फारुख अब्दुल्ला के दामाद सचिन पायलट अगर भाजपा में शामिल होते हैं तो कश्मीर में भी राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं और भाजपा भगवा रंग कश्मीर की वादियों में और चटक हो सकता है।
जम्मू कश्मीर में 2021 में हो सकते हैं विधानसभा चुनाव
बता दें जम्मू कश्मीर में भी चुनाव होने हैं। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहला विधानसभा चुनाव 2021 में हो सकता है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने यानी पुनर्गठन के बाद विधान सभा क्षेत्रों का नए सिरे से परिसीमन होना है। नए पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट आने में 8 से 12 महीने लगने की उम्मीद जताई गई थी। नवंबर तक रिपोर्ट आनी थी लेकिन कोरोना और कश्मीर में बर्फबारी के चलते संभावना है कि 2021 में सारे हालात सामान्य होने पर ही जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे।
भाजपा पहले जम्मू-कश्मीर के लिए पायलट को दे चुकी हैं ये ऑफर
बता दें भाजपा पायलट को अपने पाले में करने के लिए भाजपा अब तक तीन बार प्रयास कर चुकी है , लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली। जब मार्च में मध्यप्रदेश कांग्रेस में सिंधिया और अन्य उनके साथी एमएलए ने बगावत की थी उस समय भी भाजपा ने सचिन पायलट से भी संपर्क किया था। सूत्रों के अनुसार भाजपा ने तब सचिन पायलट को जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल पद की पेशकश की थी। इसके पीछे सोच यही थी कि पायलट जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारुक अब्दुल्ला के दामाद हैं, इसलिए वे कश्मीर के हालात को अच्छे से संभाल लेंगे। लेकिन तब पायलट ने राजस्थान छोड़ने से मना कर दिया था।
भाजपा का पायलट को लेकर ये भी प्रयास हो गया था विफल
पायलट के द्वारा कश्मीर का प्रस्ताव ठुकराने के बाद भी भाजपा ने पायलट को अपने खेमें में शामिल करने की कोशिश बंद नहीं की। हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा ने पायलट को अपने गुट में शामिल करने का प्रयास किया था लेकिन सूत्रों के अनुसार तब पायलट पर्याप्त संख्या में संख्याबल नहीं जुटा पाए थे।जिस कारण दूसरा प्रयास भी भाजपा का फेल हो गया।
पायलट की सिंधिया से हुई ये मुलाकात ला सकती है रंग !
सूत्रों के अनुसार राजस्थान में गहराते राजनीतिक संकट के बीच सूबे के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से 12 जुलाई को मुलाकात की थी। दिल्ली दौरे के दौरान सचिन पायलट ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की। 40 मिनट तक चली ये मुलाकात ज्योतिरादित्य सिंधिया के आवास पर हुई। इतना ही नहीं इसके बाद भाजपा प्रवक्ता जफर इस्लाम ने सचिन पायलट से संपर्क किया। इस चर्चा के बाद जफर इस्लाम ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी जानकारी दी। गौरतलब है कि जफर इस्लाम वही नेता हैं, जिन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में शामिल करने में अहम भूमिका निभाई थी।
मुलाकात के बाद पायलट के बदले तेवर
सचिन की जिस दिन सिंधिया से मुलाकात हुई उसी दिन सचिन पायलट ने कांग्रेस से बगावती तेवर दिखाए। जिसके बाद इस मुलाकात के कई मायने निकाले गए। क्या सचिन पायलट भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर चलेंगे और कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होंगे। हालांकि, ये तो चर्चा का विषय है क्योंकि आखिरी फैसला तो सचिन पायलट को ही लेना है।