ओवैसी-आंबेडकर गठबंधन बना तो?
राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए के सामने कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए गठबंधन है. लेकिन एक तीसरा फ्रंट भी है जो एनडीए को चुनौती देने का दावा कर रहा है. इस साल लोकसभा चुनाव में दलित नेता और बीआर आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन अगाड़ी (वीबीए) और असदउद्दीन ओवैसी की
महाराष्ट्र में अक्तूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टियों के साथ-साथ गठबंधनों के बीच भी कड़ा मुक़ाबला होगा.
राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए के सामने कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए गठबंधन है. लेकिन एक तीसरा फ्रंट भी है जो एनडीए को चुनौती देने का दावा कर रहा है.
इस साल लोकसभा चुनाव में दलित नेता और बीआर आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन अगाड़ी (वीबीए) और असदउद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के बीच हुए गठबंधन ने एक सीट हासिल की थी.
साथ ही कुल डाले गए मत का 14 प्रतिशत वोट हासिल करके इस गठबंधन ने सबको हैरान भी कर दिया था.
वीबीए-एआईएमआईएम के इस गठबंधन ने काफ़ी संख्या में दलित और मुसलमानों का वोट हासिल किया था. एआईएमआईएम के इम्तियाज़ जलील ने औरंगाबाद से चुनाव जीता जिससे महाराष्ट्र में एआईएमआईएम का लोकसभा के लिए खाता खुला.
'मतभेद हैं लेकिन फूट नहीं'
लेकिन विधान सभा चुनाव में थर्ड फ्रंट का गठबंधन खटाई में पड़ गया है. सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पक्ष में कोई समझौता होता नज़र नहीं आता.
एआईएमआईएम के विधायक वारिस पठान कहते हैं, "वंचित बहुजन अगाड़ी के साथ अब भी बातचीत चल रही है. दोनों तरफ़ के लीडरों के बीच डायलॉग जारी है."
मीडिया में छपी ख़बरों के अनुसार दोनों पक्ष में विवाद गहरा हो गया है. लेकिन वीबीए के नेता सिद्धार्थ मोकले इस बात से इंकार करते हैं कि दोनों दलों के बीच फूट है.
वो कहते हैं, "मतभेद है लेकिन हम ये नहीं मानते कि हमारे बीच फूट है. एआईएमआईएम से हमारा गठबंधन होना पहले से तय था. लोकसभा के चुनाव के समय कांग्रेस ने हमसे कहा था कि आप एआईएमआईएम को छोड़ दो तो हम आपको अपने गठबंधन में लेगें. उस वक़्त ये हमने ठान लिया था कि किसी भी हाल में हम एआईएमआईएम का साथ नहीं छोड़ेंगे."
साल 2014 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था और दो सीटों पर जीत हासिल की थी. हैदराबाद की ये पार्टी महाराष्ट्र में मुस्लिम और दलित समाज में अपना असर बढ़ा रही है.
राज्य में कुल आबादी का 14 प्रतिशत दलित और 12 प्रतिशत मुस्लिम हैं. सिद्धार्थ मोकले का दावा है कि ओवैसी की पार्टी महाराष्ट्र में ख़त्म हो चुकी थी. वो कहते हैं, "हमारे साथ गठबंधन से उनकी पार्टी को एक नई जान मिली है."
सियासी विश्लेषकों के अनुसार वीबीए-एआईएमआईएम गठबंधन लोकसभा चुनाव की तुलना में विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. एआईएमआईएम ने कई छोटे स्तर के चुनावों में भी जीत हासिल की है.
औरंगाबाद नगर पालिका में इसके 25 कौंसिलर चुने गए हैं. मराठवाड़ा के मुस्लिम समाज में पार्टी की पकड़ अच्छी है.
प्रकाश आंबेडकर की पार्टी नई है, लेकिन दलित समाज में इसकी पहचान बन चुकी है. सिद्धार्थ मोकळे के अनुसार पिछड़े वर्ग और दलित समाज में उनकी पार्टी की लोकप्रियता बढ़ रही है.
गठबंधन नहीं होने का फ़ायदा किसे मिलेगा
अगर वीबीए-एआईएमआईएम गठबंधन नहीं बन पाया तो इसका फ़ायदा किस पार्टी को होगा?
सियासी विश्लेषक विजय चोरमार की राय में गठबंधन न बने तो फ़ायदा कांग्रेस को होगा.
वे कहते हैं, "साल 2019 के आम चुनाव में हमने देखा कि ओवैसी की पार्टी के कारण कांग्रेस कम से कम 10 सीटें हारी. अब अगर वीबीए और एआईएमआईएम अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे तो मुस्लिम वोट बटेगा नहीं और ये ओवैसी के बजाय कांग्रेस को जाएगा."
मुंबई में कांग्रेस पार्टी की नेता भावना जैन कहती हैं कि वोट के ना कटने से उनकी पार्टी को फायदा ज़रूर होगा.
एनसीपी के साथ पार्टी के हुए गठबंधन पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि ये गठबंधन वोटों को जोड़ने का काम करेगा.
भावना जैन कहती हैं, "कांग्रेस के पास लाखों कार्यकर्ता और लीडर्स हैं. हम पूरी तैयारी से चुनाव के मैदान में उतरेंगें. मुझे ये भरोसा है कि महाराष्ट्र की जनता एक बार फिर कांग्रेस को नेतृत्व करने का मौक़ा देगी."
लेकिन बीजेपी प्रवक्ता राम माधव के अनुसार उनकी पार्टी की रणनीति ये है कि विपक्ष 30-35 सीटों पर आकर सिकुड़ जाए. महाराष्ट्र विधान सभा में 288 सीटें हैं. सरकार बनाने का दावा करने वाली पार्टी को कम से कम 145 सीटें जीतना होगा.
प्रकाश आंबेडकर के ख़िलाफ़ एक गंभीर इल्ज़ाम अक्सर ये लगाया जाता है कि वो दूसरी पार्टियों का वोट काटकर बीजेपी को फ़ायदा पहुंचाते हैं.
इस इल्ज़ाम को ख़ारिज करते हुए पार्टी प्रवक्ता सिद्धार्थ मोकले कहते हैं कि उनकी पार्टी नहीं बल्कि ओवैसी की पार्टी के 25 कौंसुलर्स ने एमएलसी के एक हालिया चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार को वोट दिया था.
एक-दूसरे के ख़िलाफ़ आरोपों के बीच दोनों पार्टी के नेताओं को उम्मीद है कि इनके बीच सीटों के बंटवारे पर कोई ठोस समझौता हो जाएगा.