'राष्ट्रीय हित दांव पर हों, तो सामान्य नियम लागू नहीं होते'
दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेसवार्ता के बाद क्या थी नेताओं की प्रतिक्रिया.
सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और अदालत के कामकाज पर सवाल उठाए.
प्रेस कॉन्फ़्रेंस के तुरंत बाद ऐसी भी ख़बरें आई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से बात की है, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, "सुप्रीम कोर्ट के चार जजों के सुप्रीम कोर्ट के कार्यकलाप पर चिंता जताने से हम बहुत चिंतित हैं."
https://twitter.com/INCIndia/status/951731928931098624
मुंबई कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष संजय निरुपम ने लिखा, "यह भारतीय राज्यव्यवस्था में एक नया मोड़ हो सकता है. जज सुप्रीम कोर्ट के अंदरूनी मामलों पर मीडिया से बात करने लगें और अपने साथी जजों पर सवाल उठाने लगें तो इससे लोकतंत्र का सबसे मज़बूत स्तंभ हिल सकता है."
https://twitter.com/sanjaynirupam/status/951732535788158978
सीपीआई एम के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने एनडीटीवी से बात करते हुए इस मामले की पूरी जांच की मांग की.
उन्होंने कहा, "इस मामले की पूरी जांच की जानी चाहिए कि अदालत की आज़ादी और अखंडता में कैसे दखल दिया जा रहा है या उस पर कैसे असर पड़ रहा है. एक धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र में इसकी इजाज़त नहीं दी जा सकती."
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्विटर पर लिखा, "हम आज सुप्रीम कोर्ट में हुई घटनाओं से बेहद परेशान हैं. सुप्रीम कोर्ट के माननीय जजों के बयान से हमें अदालत के हालात के बारे में जो जानकारी मिली उससे बतौर नागरिक हम बहुत दुखी हैं. अदालतें और मीडिया लोकतंत्र के स्तंभ हैं. न्यायिक प्रक्रिया में केंद्र सरकार का बहुत ज़्यादा दखल लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक है."
https://twitter.com/MamataOfficial/status/951757979094675457
https://twitter.com/MamataOfficial/status/951757981439344645
यशवंत सिन्हा ने इस मामले में तीन ट्वीट किए. जिनमें कहा गया है, "सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेस कॉन्फ़्रेंस अभूतपूर्व है. इसका सबसे बड़ा संदेश यह है कि जब राष्ट्रीय हित दांव पर हों तब सामान्य नियम लागू नहीं होते. मैं इस पर कई कमेंट देख चुका हूं. मैं पूरी तरह चारों जजों के साथ हूं. उनकी आलोचना करने के बजाय हमें उनके उठाए गए मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए. अगर सर्वोच्च अदालत में ही गड़बड़ी हो तो लोकतंत्र मुश्किल में आ जाएगा. जजों का इशारा बिल्कुल साफ़ है. उम्मीद है कि जस्टिस लोया की मौत का सच सामने आएगा."
https://twitter.com/YashwantSinha/status/951729991724642305
https://twitter.com/YashwantSinha/status/951746427465621504
https://twitter.com/YashwantSinha/status/951756355190194176
बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, "हम उनकी आलोचना नहीं कर सकते. ये लोग ईमानदार हैं. ये चाहते तो बतौर वरिष्ठ वकील पैसा बना सकते थे लेकिन उन्होंने अपने क़ानूनी करियर का बहुत बड़ा त्याग किया है. प्रधानमंत्री को सुनिश्चित करना चाहिए कि चारों जज और चीफ़ जस्टिस, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की पूरी टीम एकमत हो और आगे बढ़े."
गुजरात के दलित नेता और विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा, "चार जजों ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके देश को बताया कि हमारे संविधान के साथ छेड़छाड़ की जा रही है. यह बहुत, बहुत चौंकाने वाला है."
https://twitter.com/jigneshmevani80/status/951747852018921472