खींच लिए हाथ तो कैसे मिलेगी नौकरी? पढ़िए किसने भेजे मोदी के नाम 28 खत
नई दिल्ली। अटकलों के बाज़ार की मानें तो केंद्र सरकार मनरेगा योजना पर फुलस्टॉप लगा सकती है। सरकार के इस फैसले से बेरोज़गार युवाओं को फिलहाल ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है लेकिन देश के अर्थशास्त्रियों के माथे पर चिंता की लकीरें अवश्य दिख रही है। इसलिए मोदी को समझाने के लिए देश के 28 शीर्ष अर्थशास्त्रियों ने मोदी को पत्र लिखा है।
मोदी को लिखा पत्र
दरअसल दिलीप एब्रयू, प्रणब बर्धन, वी. भास्कर, अश्विनी देशपांडे, जीन ड्रेज़, मैत्रीश घटक, जयति घोष, दिलीप मुखर्जी, आर नागराज, देबराज रे जैसे कई अर्थशास्त्रियों की माने तो रोज़गार गारंटी कानून ने अच्छे परिणाम दिए है। ऐसे में अचानक बिना किसी विकल्प के इस योजना को बंद करने से देश की आय पर खासा असर पड़ेगा।
आदिवासी समाज का सहारा
मनरेगा
के
तहत
काम
करने
वाली
ज्यादातर
आबादी
दलित
और
पिछड़े
वर्ग
से
है।
ऐसे
में
इस
योजना
से
हाथ
खींच
लेना
कहीं
से
भी
तर्कसंगत
नहीं
है।
खामियां
दूर
करे
सरकार
मनरेगा राजनीति से ऊपर उठकर एक संयुक्त प्रयास था करोड़ों की आबादी को वित्तीय सुरक्षा देने का। देश के 50 करोड़ घरों में नरेगा की वजह से रोटी आती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस योजना में खामियां हैं लेकिन सरकार को चाहिए कि अपने पूरे सहयोग से इस योजना को जीवनदान दे।