मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरी तो क्या भाजपा शिवराज को ही बनाएगी सीएम, जानें सच
If the Kamal Nath government falls after the floor test in Madhya Pradesh, the BJP will be able to form the government easily. But if BJP will make Shivraj Singh CM then many MLAs of BJP can be rebels. मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरी तो शिवराज के सीएम बनने में फंस सकता हैं पेंच
बेंगलुरु। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा कांग्रेस के 22 विधायक-मंत्रियों द्वारा इस्तीफा देने के बाद बीजेपी का दावा हैं कि वह आासनी से राज्य में सरकार बना लेगी। मध्य प्रदेश में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम और ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद कमलनाथ सरकार पर संकट गहरा गया हैं। हालांकि, कांग्रेस लगातार दावा कर रही है कि उनके पास बहुमत है और सरकार पर किसी तरह का संकट नहीं है।
सीएम पद के लिए शिवराज के नाम पर हो रही चर्चा
फिलहाल कमलनाथ सरकार को सिंधिया की धोबी पछाड़ देने के साथ ही भाजपा एमपी में सरकार बनाने की पूरी तैयारी में जुट चुकी हैं। फ्लोर टेस्ट में कमलनाथ सरकार बहुमत नहीं सिद्ध कर पाती है तो वहां कांग्रेस की सरकार गिर जाएगी और भाजपा की सरकार बनना तय हैं। मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने की खबरों के साथ सीएम पद के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम चर्चा में बना हुआ हैं। माना जा रहा हैं कि भाजपा उन्हें एक बार फिर सीएम पद की जिम्मेदारी सौंपेगी और शिवराज सिंह के पिछले दिनों के तेवर पर गौर करे तो वो भी इसके लिए पूर्ण रुप से आश्वस्त नजर आ रहे हैं। लेकिन शिवराज के सीएम बनने में एक बहुत बड़ा पेंच फंसता नजर आ रहा हैं। आइए जानते खास वजह
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बागी हो सकते हैं विधायक
बता दें सिंधिया के साथ 22 कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे के बाद शिवराज सीएम को बनाने की बात चल रही हैं। लेकिन इस संभावित पसंद को लेकर भाजपा की राज्य इकाई में नया नाटक आरंभ हो चुका हैं। खबरों के अनुसार अगर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भाजपा शीर्ष दोबारा मुख्यमंत्री बनाता हैं तो राज्य इकाई के कुछ नेता बागी हो सकते हैं।
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नेताओं की मांग अब किसी और को मौका दिया जाना चाहिए
शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर भाजपा के विधायकों में दो फाड़ अभी से नजर आ रही हैं। चौहान के विरोधी एक अन्य भाजपा नेता ने यहां तक कह दिया कि पार्टी में एक भावना है कि अन्य नेताओं को भी एक मौका दिया जाना चाहिए। पहले ही शिवराज चौहान 13 वर्षो तक सीएम की कुर्सी संभाल चुके हैं 2018 में उन्हें मध्यप्रदेश में भाजपा की हार का जिम्मेदारी ठहराया जाना चाहिए।
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एकमत नहीं हैं सारे भाजपा विधायक
गौरतलब हैं सिंधिया के कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिए जाने के बाद उनके करीबी 22 कांग्रेस विधायकों ने पिछले मंगलवार को विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति को अपना इस्तीफा सौंप दिया। जिसके मद्देनजर मध्य प्रदेश भाजप एक बैठक की और जिसमें अंदाजा लगाया कि अगर कमलनाथ सरकार अपनी सरकार बचाने में विफल रहती हैं तो एक नए विधायक को मुख्यमंत्री के रुप में भाजपा द्वारा सरकार बनाने के लिए चुना जाएगा। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गोपाल भार्गव की जगह पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल का प्रमुख चुने जाने की संभावना जब जतायी गई तो उसका विरोध हुआ। जिसके बाद विधायक दल की इस बैठक में किसी भी अन्य एजेंडे पर बात नहीं की गई और बैठक समाप्त करनी पड़ गई थी।
शिवराज और नरोत्तम मिश्रा के बीच पड़ चुकी हैं दरार
भाजपा के सूत्रों के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा विधायक नरोत्तम मिश्रा के बीच दरार पड़ गई है। विधायकों की बैठक में जमकर विधायकों ने नरोत्तम मिश्रा के समर्थन में नारे लगाए और शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ नारेबाजी की। नरोत्तम मिश्रा को शिवराज सिंह चौहान से काफी जूनियर नेता माना जाता है, ऐसे में जिस तरह से नरोत्तम मिश्रा के समर्थन में नारेबाजी हुई, उसके बाद साफ नजर आ रहा है कि पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं है। अहम बात है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस में जिस तरह का संग्राम चल रहा है, उसपर शिवराज चौहान और नरोत्तम मिश्रा ने किसी भी भूमिका से इनकार किया था, उनका कहना था कि यह कांग्रेस का आंतरिक मसला है।
शिवराज के साथ नरोत्तम की भी रही इस आपरेशन में अहम भूमिका
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने में शिवराज सिंह चौहान और नरोत्तम मिश्रा की काफी अहम भूमिका है। भाजपा ने इस मिशन का नाम रंगपंचमी रखा था क्योंकि वह चाहते थे कि होली पर ही प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिरे। खुद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था कि मैंने कभी भी शिवराज और नरोत्तम मिश्रा पर कोई आरोप नहीं लगाया था, लेकिन अब साफ हो गया है कि कौन मुख्यमंत्री होगा और कौन उपमुख्यमंत्री होगा। वहीं राज्य के भाजपा मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने इस सभी बातों से इंकार करते हुए बयान दिया कि ऐसा कुछ नहीं है ये सिर्फ मीडिया की अटकलें हैं। उक्त बैठक में एजेंडा राज्यसभा में होने वाले चुनाव का था। किसी अन्य मुद्दे पर चर्चा नहीं की गई है।
वरिष्ठ नेता ने सतर्क रहने की दी सलाह
विधायक दल की इस बैठक के बाद केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और प्रहलाद सिंह पटेल, चौहान, राज्य भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने मुलाकात की। हालांकि ये बैठक कांग्रेस विधायकों द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद की स्थिति और राज्य में अचानक बदले राजनीतिक माहौल पर चर्चा करने लिए की गई थी। लेकिन इस मुलाकात में एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जैसा कि चौहान ने इस दौरान मोर्चा संभाला और पार्टी मे विभिन्न स्तरों पर उनसे सलाह ली गई, भोपाल को संदेश दिया गया कि उन्हें सतर्क रहना चाहिए।
शिवराज के इस ट्वीट पर लोग लगा रहे ये कयास
मध्य प्रदेश में मामा के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर एक्टिव नज़र आ रहे हैं। कमलनाथ सरकार पर संकट जैसे ही बढ़ा और बीजेपी की स्थिति मजबूत हुई तो फिर चर्चा शुरू हुई कि शिवराज सीएम बन सकते हैं। बुधवार सुबह शिवराज ने अपने ही अंदाज में ट्वीट किया और लोगों का हालचाल पूछा। शिवराज ने लिखा, ‘सुप्रभात, मेरे प्यारे भाइयों-बहनों, मेरे प्यारे भांजे-भांजियों आप का दिन मंगलमय हो। इस ट्वीट पर लोग कई तरह के कयास लगा रहे हैं, सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि लगता है मामाजी वापस आ रहे हैं। वो ही सीएम बन रहे हैं।
मध्यप्रदेश में ये हैं सियासी गणित
मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं और इसमें से दो सीट खाली है, जिसके बाद कुल संख्या 228 है। सिंधिया की बगावत के साथ अब तक 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा भेजा है। ऐसे में अगर इन कांग्रेसी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार हो जाता है तो इसकी कुल संख्या 206 हो जाती है, जिसके बाद बहुमत के लिए 104 विधायकों की जरूरत होगी। कांग्रेस के पास पहले 114 विधायकों के अलावा 7 अन्य का समर्थन हासिल था। कांग्रेस के पास कुल मिलाकर 121 विधायकों का समर्थन हासिल था। वहीं जिन कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दिया जिसके कारण उनका संख्या बल कम हो गया हैं। सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस को कुल 104 विधायकों की जरुरत हैं। भाजपा के पास कुल 107 विधायक हैं।