दलाई लामा: चीन कहे तो मैं तिब्बत वापस लौटने को तैयार
शिमला। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा तिब्बत वापस जाने को तैयार हैं। बशर्ते चीन सरकार उन्हें वापस आने को कहे। हालांकि, दलाई लामा समय-समय पर चीन की सरकार की नितियों की आलोचना करते रहे हैं। चीन भी दलाई लामा का विरोध करता रहता है, लेकिन अब अचानक दलाई लामा की ओर से बदलाव देखने को मिल रहा है।
दलाई लामा ने तिब्बती समुदाय की एक बैठक में तिब्बतियों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर चीन तिब्बत को आजादी देता है तो मैं आज ही तिब्बत वापस लौट जाऊंगा। उन्होंने आगे कहा कि यह लड़ाई तिब्बत की आजादी के लिए लड़ी जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि चीन सरकार एक बार कहे तो मैं वापस जाने के लिए तैयार हूं।
गौरतलब है कि तिब्बत की आजादी के लिए दुनिया भर में तिब्बती आत्मदाह करते हुए अक्सर देखे गए हैं। आजादी के लिए तिब्बतियों ने कई बलिदान दे दिए हैं, लेकिन चीन तिब्बतियों को आजादी नहीं दे रहा है। दलाई लामा के खिलाफ चीन अक्सर कोई न कोई षड्यंत्र रचता रहता है।
साल 1949 में चीन ने तिब्बत पर हमला किया था। हमले के बाद 1950 में दलाई लामा से तिब्बत के लोगों ने राजनीतिक विरासत संभालने का अनुरोध किया। 29 मई 2011 तक दलाई लामा तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष भी रहे। आज भी उन्हें लोग राष्ट्राध्यक्ष मानते हैं, लेकिन 2011 के बाद से उनकी सारी शक्तियां तिब्बत सरकार को दे दी गई थी। तिब्बत फिलहाल चीन के कब्जे में है, लेकिन भारत इसे एक अलग नजरिए से देखता है। साल 1954 में दलाई लामा तिब्बत में शांति के लिए चीनी नेताओं से वार्ता के लिए बीजिंग गए, लेकिन बात नहीं बन सकी और साल 1959 में तिब्बत के संघर्ष को इन लोगों ने कुचल कर रख दिया। तभी से ही दलाई लामा हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित के तौर पर जिंदगी गुजार रहे हैं।
दलाई लामा से मिलने वालों पर तिलमिलाया चीन, दुनिया के नेताओं को चेताया