चीन किसी इलाके का नाम बदले तो समझिए खतरा है, जानिए कब-कब किया ऐसा
नई दिल्ली- चीन पूरी प्लानिंग के साथ दूसरे देश की जमीन हड़पता है। यह माओ के जमाने से चला रहा है। उसके तिकड़म में एक हथकंडा यह भी शामिल है कि जब किसी के इलाके पर कब्जे का मंसूबा आसानी से कामयाब नहीं हो रहा हो तो उसका नाम बदल दिया जाए। करीब सात दशकों से चीन का यह आजमाया हुआ तरीका है। अब उसने पैंगोंग झील इलाके में ब्लैक टॉप चोटी के लिए भी यही चाल चली है। उसे लग रहा है कि वह इतना चतुर है कि आज ना कल नाम बदल देने की वजह से किसी न किसी तरह से उसे अपने नियंत्रण में लेने में कामयाब हो ही जाएगा। आइए समझते हैं कि वह यह सब कैसे करता है और अबतक कहां-कहां उसे सफलता हाथ लगी है।
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चीन किसी इलाके का नाम बदले तो समझिए खतरा है
29-30 अगस्त को चीन की सेना जब पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झीले के दक्षिणी छोर पर भारतीय सेना से मात खा गई और भारतीय सेना ने उस इलाके की सभी महत्वपूर्ण चोटियों पर अपनी सामरिक स्थिति बहुत मजबूत कर ली तो चीन ने अपना एक पुराना हथकंडा अपनाना शुरू कर दिया। पैंगोंग झील के इलाके में भारत की चोटियों पर कब्जे का उसका मंसूबा जब चकनाचूर हो गया तो पीएलए के वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता कर्नल झैंग शुइली ने यह समझाने की कोशिश की कि भारत 'शेनपाओ शान' इलाके में घुस आया है। पीएलए ने 'ब्लैक टॉप' के लिए यह नाम पहली बार लिया था। नाम बदलने का यह चाइनीज खेल कोई नया नहीं है। 1950 के दशक से उसने बहुत ही चालाकी से इसका इस्तेमाल किया है और दूसरों के इलाकों को हड़पता रहा है।
ब्लैक टॉप पर कब्जे की कोशिश में मात खा चुका है चीन
सिक्योरिटी एक्सपर्ट कर्नल विनायक भट्ट (रिटायर्ड ) ने इंडिया टुडे में लिखे एक लेख में बताया है, 'जब कोई नहीं देख रहा है तो घुसपैठ करो, कुछ जमीन पर कब्जा कर लो, गैर-कानूनी रूप से हड़पे गए क्षेत्र पर मिलिट्री बेस तैयार कर लोग, सीमाओं को बदल दो, नाम बदल दो और तब दावा करो कि यह हिस्सा ऐतिहासिक तौर पर उसका रहा है। पड़ोसियों को उकसाने के दौरान चीन का यह स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसेड्योर है।' जब, ब्लैक टॉप जैसी अहम चोटी को भारतीय सेना ने अपने कंट्रोल में ले लिया और चीन की अतिक्रमण की कोशिशों को नाकाम कर दिया तभी से चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने यह राग अलापा शुरू कर दिया कि भारत ने सीमा का उल्लंन किया है।, जबकि, भारत ने बार-बार साफ किया है कि उसने कभी भी एलएसी को पार नहीं किया है।
नाम बदलकर 'ब्लैक टॉप' पर चाहता है कब्जा
नाम बदलकर दूसरे के इलाके पर अपना ऐतिहासिक अधिकार बताने की चीन की ये चालबाजी पुरानी है। उसने 1950 के दशक में तिब्बत पर अवैध कब्जा जमाकर उसका नाम शिंजांग (पश्चिमी त्सांग) कर दिया और 1960 के दशक में पूर्वी तुर्किस्तान का नाम बदलकर शिंजियांग (न्यू फ्रंटियर) कर दिया। अब उसने यही चाल ब्लैक टॉप के लिए चलने की कोशिश शुरू की है। पैंगोंग झील इलाके में घटी घटना के बाद पीएलए की ओर से ब्लैक टॉप के लिए 'शेनपाओ शान' नाम का इस्तेमाल किया गया है। इससे पहले वह इसे 'हीडिंग' कहकर बुलाता था, जिसका मतलब ब्लैक टॉप हुआ, यानी वह चोटी जो भारत के हिस्से में है। लेकिन, अब चीन ने उसे 'शेनपाओ शान' का नाम दिया है, जिसका अर्थ है 'वालकैन माउंटेन' ताकि इसपर चीन के स्वामित्व का दावा किया जा सके।
'ब्लैक टॉप' हथियाने के लिए फिर घुसपैठ कर सकता है ड्रैगन
अब समझना जरूरी है कि आखिर ब्लैक टॉप पर अवैध कब्जा करने के लिए चीन में इतनी छटपटाहट क्यों है? यह वैसी चोटी है, जो चुशूल की रक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। बिल्कुल उसी तरह जैसे रिजांग ला और रेचिन ला हैं। ब्लैक टॉप पर इंडियन आर्मी के कब्जे का मतलब ये है कि पूरे सेक्टर में चीन की सेना बैकफुट पर जाने को मजबूर है और ऐसी स्थिति में अगर जंग होती है तो पीएलए के लिए अपने पोस्ट को बचा पाना भी नामुमिकन होगाा। जाहिर है कि जब चीन के नापाक मंसूबों की कामयाबी के लिए यह इलाका इतना अहम है तो वह बार-बार इसे हथियाने की कोशिशें कर सकता है। क्योंकि, पहले ही सैटेलाइज तस्वीरों से यह बात सामने आ चुकी है कि चीन ब्लैक टॉप माउंटेन की ओर बड़ी ही धूर्तता के साथ नया रोड बनाने की कोशिश कर रहा था। चीन की यह चालबाजी अभी भी खत्म नहीं हुई है।
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