बालाकोट का गाजी सुरक्षाबलों पर करा रहा आईईडी हमले, कश्मीर के युवकों को दे रहा ट्रेनिंग
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों के वाहनों पर आईईडी हमले का खतरा बढ़ गया है। जम्मू कश्मीर पुलिस में मौजूद काउंटर-टेररिज्म एक्सपर्ट और इंटेलीजेंस ऑफिसर्स की मानें तो जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी अब्दुल राशिद गाजी जो आईईडी एक्सपर्ट और जैश का ट्रेनर रह चुका है, वह कश्मीर में आईईडी हमलों के लिए जिम्मेदार है। गाजी उसी बालाकोट में आतंकियों को ट्रेनिंग देता था जहां पर 26 फरवरी को इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के मिराज जेट ने हमले किए थे।
यह भी पढ़ें-हमलों में निशाना बने आर्मी बेस के कमांडर्स की होगी 'छुट्टी'!
पुलवामा में आईईडी हमला, दो जवान शहीद
सोमवार को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा के अरिहाल में सेना की पेट्रोलिंग टीम को आईईडी हमले से निशाना बनाया गया। इसमें करीब नौ सैनिक घायल हुए जिनमें से दो शहीद हो गए। हमला सेना की 44 राष्ट्रीय राइफल्स टीम को निशाना बनाते हुए अंजाम दिया गया था। सेना ने इसे एक असफल प्रयास करार दिया। सेना का कहना था कि एक गाड़ी पर आईईडी मौजूद थी। इसके बाद बुधवार को सुरक्षाबलों ने शोपियां में एक आईईडी को डिफ्यूज किया। पुलवामा में ही 14 फरवरी को आतंकी हमला हुआ था जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। इसी हमले के जवाब में बालाकोट एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था।
कौन है गाजी
काउंटर-टेररिज्म विशेषज्ञों का कहना है कि गाजी, अफगान वॉर में हिस्सा ले चुका है। वह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के तहत आने वाले मनशेरा का रहने वाला है, जहां पर बालाकोट है। फिलहाल वह कश्मीर में ही है और यहां के स्थानीय आतंकियों को आईईडी का प्रशिक्षण दे रहा है। बताया जा रहा है कि जैश सरगना मसूद अजहर के दो रिश्तेदारों उस्मान हैदर और तल्हा राशिद की मौत का बदला लेने के लिए आईईडी हमलों की साजिश रची जा रहा है। उस्मान को सुरक्षाबलों ने साल 2017 में और तल्हा को साल 2018 में एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। गाजी ने खुद अजहर के भांजे उस्मान हैदर उर्फ हुजैफा को घाटी में लॉन्च किया था। इसके अलावा कुछ और ऑपरेटिव्स को अक्टूबर 2018 को शंकरगढ़ सेक्टर से कश्मीर भेजा गया था। हैदर को सुरक्षाबलों ने पुलवामा के त्राल में 30 अक्टूबर को हुए एनकाउंटर में ढेर कर दिया था।
दिसंबर 2018 में आया कश्मीर
गाजी नौ दिसंबर 2018 को तीन और आतंकियों के साथ कश्मीर घाटी में दाखिल हुआ था। उसने पुलवामा में अपना ऑपरेशनल बेस बनाया। गाजी फिलहाल कश्मीर में ही छिपा है और स्थानीय कश्मीरी नागरिकों को आईईडी तैयार करने की ट्रेनिंग दे दहा है। इसके लिए गाजी आसानी से उपलब्ध सामान जैसे अमोनियम नाइट्रेट का सहारा ले रहा है। वहीं, कश्मीरी पुलिस विशेषज्ञों के मुताबिक आतंकियों ने आईईडी से लैस गाड़ियों का प्रयोग तेज कर दिया है जिसे वीआईईडी के तौर पर जानते हैं। यह बात भी सच है कि घाटी में जैश काफी कमजोर होता जा रहा है। जहां उसके कैडर्स की संख्या 50 रह गई है तो वहीं, लश्कर-ए-तैयबा के पास 30 से 40 तक आतंकी है।
साल 2004-2005 में बढ़ा ट्रेंड
जम्मू कश्मीर पुलिस से जुड़े सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान के आतंकी संगठन हमेशा इस बात से इनकार कर देते हैं लेकिन सच यही है कि इस तरह के हमलों के पीछे जैश का ही हाथ है। आतंकी संगठन नहीं चाहते हैं कि ट्रेन्ड आतंकियों को सुरक्षाबलों के हाथों एनकाउंटर में गंवाया जाए और इसलिए वह आईईडी का प्रयोग करने लगे हैं। यह आसान है क्योंकि किसी भी कार में इसे फिट करके किसी सड़क पर टाइम सेट करके छोड़ना उन्हें बेहतर लगता है। पुलिस ऑफिसर्स का कहना है कि वीआईईडी का चलन घाटी में साल 2004-2005 के समय में काफी तेजी से बढ़ा था। उस समय हिजबुल मुजाहिद्दीन और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों की ताकत कम पड़ने लगी थी।