अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सही से नहीं हो रहा क्लोरोक्वीन दवा का ट्रायल, ICMR ने WHO को लिखा पत्र
नई दिल्ली: कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को काफी कारगर माना जा रहा था। भारत, अमेरिका समेत दुनिया के कई देश इस दवा का ट्रायल भी कोरोना मरीजों पर कर रहे थे। इसके बावजूद दवा के ट्रायल पर हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने रोक लगा दी थी। जिसके बाद अब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने WHO को पत्र भेजकर मामले में स्पष्टीकरण दिया है। ICMR के मुताबिक भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे ट्रायल में काफी अंतर है। जिस वजह से उसके नतीजे भी अलग आ रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के ट्रायल में बड़ा अंतर है। मौजूदा वक्त में भारत सरकार ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को देने का प्रोटोकॉल तय कर रखा है। जिसके मुताबिक पहले दिन मरीज को 400 mg का भारी डोज दिया जा रहा है, ये डोज वो एक बार सुबह और एक बार शाम को लेता है। इसके बाद अगले चार दिन ठीक उसी तरह उन्हें 200mg का डोज दिया जा रहा है। ऐसे में मरीज पांच दिन में 2400mg का कुल डोज ले रहा है।
वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले दिन 800mg की दो डोज दी जाती है, उसके बाद अगले दस दिन 400mg की दो-दो डोज दी जाती है। इस हिसाब से मरीज 11 दिनों में 9600mg डोज लेता है, जोकी भारत की तुलना में चार गुना ज्यादा है। ICMR की ओर से WHO को लिखे पत्र में कहा गया कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के परीक्षण को अस्थायी रूप से स्थगित करने से पहले सभी रिपोर्ट को ध्यान से नहीं देखा गया है। जब हम कम मात्रा में मरीजों को डोज दे रहे हैं, तो उनकी रिकवरी तेजी से हो रही है, जबकि ज्यादा डोज देने पर दुष्प्रभाव लाजमी है।
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हार्ट
पर
हानिकारक
प्रभाव
का
दावा
आपको
बता
दें
कि
कुछ
दिन
पहले
स्वास्थ्य
क्षेत्र
की
मशहूर
पत्रिका
द
लैंसेट
ने
दावा
किया
था
कि
क्लोरोक्वीन
और
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन
का
कोरोना
के
मरीजों
पर
कोई
खास
असर
नहीं
हो
रहा
है।
इसके
साथ
ही
पत्रिका
ने
कहा
कि
मर्कोलाइड
के
बिना
या
उसके
साथ
भी
इन
दोनों
दवाइयों
के
इस्तेमाल
से
कोरोना
की
मृत्युदर
बढ़
रही
है।
पत्रिका
के
मुताबिक
उन्होंने
करीब
15
हजार
मरीजों
पर
रिसर्च
की
थी।
जिसके
बाद
25
मई
को
WHO
ने
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन
के
ट्रायल
पर
रोक
लगा
दी
थी।
WHO
के
मुताबिक
ये
दवा
मलेरिया
के
इलाज
में
तो
कारगर
है,
लेकिन
कोरोना
के
इलाज
के
दौरान
हार्ट
मरीजों
पर
इसका
हानिकारक
प्रभाव
पड़
रहा
है।